पंचांग: नवरात्रि का तीसरा दिन, माँ चंद्रघंटा की आराधना से मिलती है शांति और शक्ति
नई दिल्ली। नवरात्रि का तीसरा दिन माँ दुर्गा के तीसरे स्वरूप माँ चंद्रघंटा की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित है। इस दिन भक्त माता के स्वरूप की उपासना कर जीवन में सुख-शांति, शक्ति और साहस की कामना करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माँ चंद्रघंटा की कृपा से साधक को मानसिक शांति, आत्मविश्वास और भय से मुक्ति प्राप्त होती है।
आज के दिन का विशेष महत्व है क्योंकि माँ चंद्रघंटा को सौम्यता और वीरता का संगम माना जाता है। उनके मस्तक पर आधा चंद्रमा होता है, जिससे उन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है।
माँ चंद्रघंटा का स्वरूप
माँ चंद्रघंटा दस भुजाओं वाली देवी हैं, जिनके हाथों में विभिन्न अस्त्र-शस्त्र और कमल का फूल होता है। वे सिंह पर सवार रहती हैं। उनके मस्तक पर घंटाकार अर्धचंद्र शोभित होता है।
- दाएँ हाथों में त्रिशूल, गदा, तलवार और कमल है।
- बाएँ हाथों में धनुष-बाण, कमंडल और खड्ग है।
- शेष दो हाथ वरमुद्रा और अभयमुद्रा में हैं।
उनका स्वरूप भक्तों को पराक्रम, साहस और विजय का आशीर्वाद देता है।
पूजा विधि
नवरात्रि के तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा की आराधना विशेष विधि-विधान से की जाती है।
- सुबह स्नान कर घर के पूजा स्थान को साफ करें और माँ दुर्गा की प्रतिमा या चित्र को स्थापित करें।
- गंगाजल से शुद्धिकरण कर दीपक जलाएँ।
- फूल, अक्षत, रोली, चंदन और फल अर्पित करें।
- माँ को सुनहरी या पीले रंग के फूल चढ़ाना शुभ माना जाता है।
- माँ चंद्रघंटा को दूध या दूध से बनी मिठाई का भोग लगाएँ।
- अंत में आरती करें और घंटा बजाकर माँ का स्मरण करें।
मान्यता है कि माँ चंद्रघंटा की पूजा से साधक के सभी कष्ट दूर होते हैं और घर में शांति का वास होता है।
आज का पंचांग (दिनांक अनुसार)
- तिथि: शारदीय नवरात्रि का तृतीया
- वार: मंगलवार
- नक्षत्र: स्वाति नक्षत्र
- योग: शुभ योग
- सूर्योदय: सुबह 6:08 बजे
- सूर्यास्त: शाम 6:04 बजे
- अभिजीत मुहूर्त: 11:45 बजे से 12:32 बजे तक
- पूजा का शुभ समय: प्रातः 9:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक
धार्मिक महत्व
माँ चंद्रघंटा की पूजा करने से जीवन के सभी भय दूर हो जाते हैं। जो लोग मानसिक तनाव, नकारात्मक ऊर्जा या बाधाओं से ग्रस्त होते हैं, उनके लिए यह दिन विशेष फलदायी होता है।
शास्त्रों के अनुसार, माँ चंद्रघंटा साधक को आत्मिक शांति और आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करती हैं। कहा जाता है कि उनकी उपासना से व्यक्ति के भीतर साहस उत्पन्न होता है और वह जीवन की कठिनाइयों का सामना कर पाता है।
कथा और मान्यता
पौराणिक कथा के अनुसार, माँ दुर्गा ने जब असुरों का वध करने के लिए सिंह पर आरूढ़ होकर युद्ध किया, तो उनके मस्तक पर अर्धचंद्र शोभित हो उठा और घंटा ध्वनि से पूरा आकाश गूंज उठा। तभी से वे चंद्रघंटा कहलाने लगीं।
माँ की घनघनाती घंटा ध्वनि असुरों के लिए विनाशकारी और भक्तों के लिए मंगलकारी मानी जाती है।
उपवास और नियम
नवरात्रि के तीसरे दिन व्रत रखने वाले साधक को शुद्धता और सात्त्विकता का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
- दिनभर फलाहार करना और केवल जल या दूध का सेवन करना श्रेष्ठ माना जाता है।
- तामसिक भोजन जैसे प्याज, लहसुन और मांसाहार से बचना चाहिए।
- शाम को आरती और भजन के साथ व्रत का समापन करना चाहिए।
ज्योतिषीय महत्व
माँ चंद्रघंटा का संबंध मंगल ग्रह से माना जाता है। उनकी पूजा से मंगल दोष और कुंडली के दोष दूर होते हैं। यह दिन उन लोगों के लिए विशेष है, जिनकी कुंडली में मंगल कमजोर स्थिति में है।
- पूजा से साहस, आत्मबल और निर्णय क्षमता बढ़ती है।
- विवाह में आ रही बाधाएँ दूर होती हैं।
- कार्यक्षेत्र और व्यवसाय में सफलता मिलती है।
भक्तों की आस्था
देशभर के मंदिरों में आज विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन किया जा रहा है। उत्तर भारत के मंदिरों में सुबह से ही भक्तों की भीड़ देखी जा रही है। माँ के दरबार में घंटियों और शंख की ध्वनि गूँज रही है।
वाराणसी, मथुरा, हरिद्वार और कोलकाता के दुर्गा पंडालों में आज खास सजावट की गई है। श्रद्धालु माता की मूर्ति के सामने दीपक जलाकर परिवार की सुख-शांति की प्रार्थना कर रहे हैं।
निष्कर्ष
नवरात्रि का तीसरा दिन माँ चंद्रघंटा की आराधना का दिन है। उनकी पूजा से साधक को साहस, आत्मविश्वास और शांति का आशीर्वाद मिलता है। इस दिन का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व बहुत गहरा है।
माँ चंद्रघंटा का स्मरण कर भक्त हर कठिनाई से पार पा सकते हैं और जीवन में सफलता के मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं।