सूर्यकुमार यादव का देशभक्ति भरा कदम: एशिया कप 2025 की मैच फीस दी जाएगी भारतीय सेना को

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नई दिल्ली। एशिया कप 2025 का रोमांचक फाइनल रविवार को दुबई इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम में खेला गया, जहां भारतीय टीम ने पाकिस्तान को 5 विकेट से मात देकर इतिहास रच दिया। यह जीत न सिर्फ भारत के लिए गर्व का पल रही बल्कि मैच के बाद कप्तान सूर्यकुमार यादव का भावुक ऐलान हर भारतीय के दिल को छू गया। उन्होंने कहा कि इस टूर्नामेंट में खेले गए सभी मैचों की अपनी फीस वे भारतीय सेना को दान करेंगे।

सूर्यकुमार यादव का राष्ट्रभक्ति भरा फैसला

फाइनल के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में सूर्यकुमार यादव ने कहा –

“यह जीत भारत के नाम है। मैं इस पूरे टूर्नामेंट की मैच फीस भारतीय सेना को समर्पित करना चाहता हूं। हमारी असली ताकत वही हैं।”

उनके इस कदम ने सोशल मीडिया पर तूफान मचा दिया। फैन्स ने उन्हें न सिर्फ ‘मैन ऑफ द मैच’ बल्कि ‘मैन ऑफ द नेशन’ कहना शुरू कर दिया।

फाइनल मैच का रोमांच

फाइनल मुकाबला पूरी तरह हाई-वोल्टेज रहा। तिलक वर्मा के शानदार अर्धशतक और संजू सैमसन-शिवम दुबे की महत्वपूर्ण साझेदारी ने भारत को मजबूत स्थिति में पहुंचाया। अंत में टीम इंडिया ने पाकिस्तान को हराते हुए दूसरा टी20 एशिया कप खिताब और कुल मिलाकर नौवां एशिया कप अपने नाम किया।

ट्रॉफी विवाद ने बढ़ाई निराशा

हालांकि इस जीत के जश्न में एक बड़ा विवाद भी जुड़ गया। मैच के बाद प्रजेंटरों ने घोषणा की कि भारत अपने पदक और ट्रॉफी नहीं लेगा। समारोह यहीं समाप्त हो गया। इस फैसले ने खिलाड़ियों और दर्शकों दोनों को निराश कर दिया।

सूर्यकुमार यादव ने इस पर नाराजगी जताते हुए कहा –

“मैंने कभी ऐसा नहीं देखा कि किसी चैंपियन टीम को उसकी ट्रॉफी से वंचित किया जाए। हमने लगातार दो दिन कठिन मुकाबले खेले, यह जीत मेहनत से अर्जित हुई थी।”

“मेरे लिए असली ट्रॉफी मेरी टीम है”

सूर्यकुमार ने आगे कहा –

“अगर आप मुझसे ट्रॉफियों के बारे में पूछें तो मेरे पास ड्रेसिंग रूम में 14 असली ट्रॉफियां हैं। मेरे खिलाड़ी और सपोर्ट स्टाफ ही मेरी सबसे बड़ी ताकत हैं। यही वे यादें हैं जिन्हें मैं जिंदगी भर संजोकर रखूंगा।”

निष्कर्ष

एशिया कप 2025 में भारत की जीत क्रिकेट इतिहास का सुनहरा अध्याय बन गई है। लेकिन कप्तान सूर्यकुमार यादव का मैच फीस दान करने का फैसला इस जीत को और भी खास बना देता है। उन्होंने साबित कर दिया कि मैदान पर वे जितने बड़े योद्धा हैं, मैदान के बाहर उतने ही बड़े देशभक्त भी हैं।

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