हिंदू धर्म में शरद पूर्णिमा का सबसे ज़्यादा महत्व है। यह वह रात है जब समुद्र मंथन के दौरान माता लक्ष्मी प्रकट हुई थीं, और चंद्रमा अपनी सभी 16 कलाओं से पूर्ण होकर पृथ्वी पर अमृत बरसाता है।
अगर आप जानना चाहते हैं कि शरद पूर्णिमा खीर मुहूर्त 2025 क्या है, और इस अमृतमयी रात का पूरा फायदा कैसे उठाएं, तो पूरी जानकारी यहाँ दी गई है।
शरद पूर्णिमा खीर मुहूर्त 2025: तिथि और समय
पंचांग के अनुसार, इस साल शरद पूर्णिमा का व्रत और पूजा 6 अक्टूबर को किया जाएगा।
विवरण तिथि/समय (2025)
- पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ-6 अक्टूबर, दोपहर 12 बजकर 25 मिनट
- पूर्णिमा तिथि समाप्त-7 अक्टूबर, सुबह 9 बजकर 18 मिनट
- चंद्र दर्शन का आरंभ- 6 अक्टूबर, शाम 6 बजकर 2 मिनट
खीर रखने का सबसे शुभ समय
शरद पूर्णिमा खीर मुहूर्त शुरू होता है चंद्रोदय होने के बाद।
- खीर रखने का आरंभ: 6 अक्टूबर को शाम 6 बजकर 2 मिनट से चंद्र दर्शन शुरू हो जाएंगे। आप पूजा-पाठ करने के बाद शाम 6:30 बजे से खीर रखना शुरू कर सकते हैं।
- सबसे खास समय (9 बजे से पहले): शास्त्रों के अनुसार, रात 9 बजे के बाद चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से पूरी तरह पूर्ण हो जाते हैं। इसलिए सबसे अच्छा है कि आप रात 9 बजे से पहले-पहले ही खीर को चंद्रमा की रोशनी में रख दें ताकि उसे अमृत का पूरा लाभ मिल सके।
- ध्यान रखें: भद्राकाल को लेकर परेशान न हों। शास्त्रों के अनुसार, भद्राकाल का खीर रखने से कोई संबंध नहीं है।

खीर रखने का महत्व: यह सिर्फ प्रसाद नहीं, अमृत है!
शरद पूर्णिमा खीर मुहूर्त में खीर रखने के पीछे दो बड़े कारण हैं:
- स्वास्थ्य लाभ (आरोग्य): खीर में मौजूद दूध, चावल और मेवों पर जब चंद्रमा की विशेष औषधीय किरणें पड़ती हैं, तो यह खीर रोगनाशक बन जाती है। इसे खाने से आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) बढ़ती है और दमा जैसे रोगों में फायदा होता है।
- माता लक्ष्मी का आशीर्वाद: यह रात माता लक्ष्मी के प्राकट्य का दिन है। उन्हें मखाने की खीर बहुत प्रिय है। इस दिन खीर बनाकर रखने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और परिवार पर धन-समृद्धि बनी रहती है।
खीर कब खाएं? खीर को रात भर चंद्रमा की रोशनी में रखने के बाद, अगले दिन सूर्योदय के बाद पूजा करके ही इसे परिवार में प्रसाद के रूप में बांटना और खाना चाहिए।

शरद पूर्णिमा पर खीर का वैज्ञानिक और स्वास्थ्य महत्व
खीर को चंद्रमा की रोशनी में रखना सिर्फ़ एक धार्मिक परंपरा नहीं है, बल्कि यह आयुर्वेद से जुड़ी एक प्राचीन चिकित्सा पद्धति भी है।
- रोगनाशक खीर: शरद पूर्णिमा 2025 की रात चंद्रमा से निकलने वाली विशेष तरंगें (Waves) जब खीर में मौजूद दूध, चावल और मेवों पर पड़ती हैं, तो ये खीर को रोगनाशक गुणों से भर देती हैं।
- श्वास रोगों में लाभ: आयुर्वेद के अनुसार, इस अमृतमयी खीर को खाने से रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) बढ़ती है। यह विशेष रूप से दमा, अस्थमा और श्वास संबंधी रोगों में बहुत फायदेमंद मानी जाती है।
- बढ़ाता है पाचन: खीर में मौजूद दूध और चावल की तासीर ठंडी होती है, जो पित्त (एसिडिटी) को शांत करती है और पाचन तंत्र को मज़बूत बनाती है।
ध्यान रखें: खीर को हमेशा चांदी या मिट्टी के बर्तन में, जालीदार कपड़े से ढककर खुले आसमान के नीचे रखना चाहिए।

अधूरी है पूजा, अगर ये 3 चीज़ें नहीं कीं
शरद पूर्णिमा 2025 की रात माता लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं। धन और समृद्धि की प्राप्ति के लिए इन 3 चीज़ों को पूजा में ज़रूर शामिल करें:
- माता लक्ष्मी की पूजा: शाम को चंद्रोदय होने के बाद, माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा करें। पूजा में कमल के फूल ज़रूर चढ़ाएं।
- जागना (कोजागरी): रात भर जागकर (या कुछ देर के लिए जागकर) माता लक्ष्मी का ध्यान करें या भजन-कीर्तन करें। माता लक्ष्मी उसी घर में वास करती हैं, जहाँ रात में जागकर उनका ध्यान किया जाता है।
- कौड़ी और धनिया: पूजा के बाद देवी लक्ष्मी के चरणों में कुछ कौड़ी (पुराने समय के सिक्के) और सूखा धनिया रखें। अगले दिन इसे अपने धन के स्थान (तिजोरी) में रखने से घर में बरकत आती है।
शुभकामनाएं: शरद पूर्णिमा 2025 आपके जीवन में सुख, समृद्धि और उत्तम स्वास्थ्य लेकर आए!