Bihar Chunav Result 2025 के दो चरणों—6 और 11 नवंबर—की वोटिंग के बाद 14 नवंबर को आए नतीजों ने स्पष्ट कर दिया कि बिहार की सत्ता पर नीतीश कुमार का दबदबा अभी भी बरकरार है। हालांकि (however) महागठबंधन ने पूरी ताकत लगाई, लेकिन फिर भी (yet) तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री बनने की दौड़ में काफी पीछे रह गए। वहीं (meanwhile) एनडीए की लहर इतनी तेज रही कि विपक्ष पूरी तरह बिखर गया।
एनडीए की भारी बढ़त, महागठबंधन की कमजोर पकड़
नतीजों से पता चलता है कि एनडीए की रणनीति न सिर्फ मजबूत थी बल्कि बेहद जमीनी भी थी। इसके अलावा (moreover) एनडीए ने 2010 के बाद पहली बार इतने बड़े स्तर पर सफलता दोहराई। दूसरी ओर (on the other hand), महागठबंधन का प्रदर्शन इस कदर कमजोर रहा कि कई दिग्गज नेता अपनी सीटें बचाने के लिए संघर्ष करते दिखे।
इसी बीच (in the meantime) सीटों के आंकड़ों पर नजर डालें तो राजद सिर्फ 25 सीटों पर सिमट गई, जबकि कांग्रेस महज 6 सीटें जीत पाई। यानी महागठबंधन हाफ सेंचुरी भी नहीं बना सका। नतीजतन (consequently), एनडीए की सीटें तेजी से बढ़ती गईं और विपक्ष के लिए चुनाव विनाशकारी साबित हुआ।
महिला मतदाताओं ने बदल दिया पूरा चुनाव
इस चुनाव में महिलाओं की भूमिका सबसे निर्णायक रही। दरअसल (in fact) महिलाओं ने पुरुषों की तुलना में लगभग 10 प्रतिशत ज्यादा वोट डालकर चुनावी समीकरण पूरी तरह बदल दिए। इसके अलावा (furthermore) नीतीश सरकार की महिला-केंद्रित योजनाएँ—जैसे छात्रा प्रोत्साहन योजना, साइकिल योजना और उज्ज्वला जैसी सुविधाएँ—ने महिलाओं का भरोसा और मजबूत किया।
इसके विपरीत (on the contrary) तेजस्वी यादव की ‘माई बहन मान’ योजना महिलाओं के दिल तक पहुँच नहीं पाई। नतीजतन (consequently) महिला वोट बड़ी मात्रा में एनडीए के पक्ष में चला गया, जिसने Bihar Chunav Result 2025 में निर्णायक भूमिका निभाई।
वीआईपी और कांग्रेस दोनों को करारा झटका
महागठबंधन में शामिल वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी ने खुद को ‘सन ऑफ मल्लाह’ के रूप में पेश कर वोट आकर्षित करने की कोशिश की। हालांकि (however) उन्हें 15 सीटें मिली थीं, लेकिन इसके बावजूद (yet again) उनकी पार्टी एक भी सीट नहीं जीत पाई। यह उनके राजनीतिक करियर के लिए एक बड़ा झटका रहा।
इसी तरह (similarly), कांग्रेस की स्थिति भी बेहद कमजोर रही। 2020 में 19 सीटें जीतने वाली कांग्रेस इस बार सिर्फ 6 सीटों तक सिमट गई। इसके उलट (in contrast), एनडीए के छोटे सहयोगी—जैसे चिराग पासवान और जीतनराम मांझी—बेहद बेहतर स्ट्राइक रेट के साथ उभरे, जिससे महागठबंधन का संकट और गहरा हो गया।
243 सीटों के पूरे नतीजे जारी
बिहार की सभी 243 सीटों की गिनती पूरी होने के बाद अब साफ दिख रहा है कि जनता ने इस बार एनडीए पर ही पूरा भरोसा जताया है। नतीजों में एनडीए को कुल 202 सीटें मिलीं, जिसमें बीजेपी को 89 सीटें, जेडीयू को 85 सीटें और एलजेपी (रामविलास) को 19 सीटें हासिल हुईं। इसके अलावा (furthermore) महागठबंधन का प्रदर्शन बहुत कमजोर रहा, जहां राजद सिर्फ 25 सीटें जीत पाई और कांग्रेस केवल 6 सीटों पर ही सिमट गई।
अंत में (finally)
अंततः Bihar Chunav Result 2025 ने यह साफ कर दिया कि महिलाओं का झुकाव, एनडीए की रणनीति और नीतीश सरकार की योजनाएँ इस चुनाव की सबसे बड़ी जीत का आधार बनीं। इसलिए (therefore) यह परिणाम सिर्फ राजनीतिक जीत नहीं बल्कि जनता की उम्मीदों की जीत भी मानी जा रही है। अंत में (finally) बिहार की जनता ने साफ कर दिया कि वे स्थिर और भरोसेमंद नेतृत्व को ही पसंद करते हैं।



