दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के कारण धुंध से ढकी सड़कों और मास्क पहने लोगों का दृश्य।

दिल्ली में प्रदूषण चरम पर, वायु गुणवत्ता सूचकांक 421 के साथ ‘गंभीर’ स्तर पर पहुँचा

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दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक ‘गंभीर’ श्रेणी में पहुँचा, प्रमुख मापदंड 421 दर्ज — सांस लेना हुआ मुश्किल

दिल्ली की हवा एक बार फिर जहरीली हो गई है। शुक्रवार सुबह वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 421 दर्ज किया गया, जो कि ‘गंभीर’ (Severe) श्रेणी में आता है। यह स्थिति तब उत्पन्न हुई जब उत्तर भारत में ठंडी हवाओं के साथ-साथ पराली जलाने और वाहन प्रदूषण का मिश्रित प्रभाव देखा गया।
विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि अगर प्रदूषण नियंत्रण के ठोस कदम जल्द नहीं उठाए गए, तो अगले कुछ दिनों में स्थिति और गंभीर हो सकती है।

दिल्ली की हवा में ज़हर का स्तर

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, दिल्ली का समग्र AQI गुरुवार के 382 से बढ़कर शुक्रवार को 421 तक पहुँच गया।
यह लगातार तीसरा दिन है जब राजधानी की हवा ‘बेहद खराब’ से ‘गंभीर’ स्तर में दर्ज की गई है।
दिल्ली के कई क्षेत्रों में हालात और भी बिगड़े हैं — आनंद विहार (AQI 460), जहांगीरपुरी (AQI 448), आईटीओ (AQI 436) और आरके पुरम (AQI 432) जैसे इलाकों में हवा का स्तर बेहद खतरनाक बताया गया है।

विशेषज्ञों के अनुसार, PM2.5 और PM10 कणों की मात्रा सामान्य से कई गुना अधिक पाई गई है।
जहां सामान्य PM2.5 का स्तर 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक सुरक्षित माना जाता है, वहीं कई इलाकों में यह 350-400 माइक्रोग्राम तक पहुँच गया।

स्वास्थ्य पर पड़ रहा गंभीर असर

डॉक्टरों का कहना है कि बढ़ते प्रदूषण ने सांस संबंधी बीमारियों, अस्थमा, और एलर्जी के मामलों में तेजी से वृद्धि कर दी है।
एम्स (AIIMS) के पल्मोनोलॉजी विभाग के एक वरिष्ठ डॉक्टर ने बताया —

“प्रदूषण के इस स्तर पर स्वस्थ व्यक्ति को भी सांस लेने में तकलीफ़ महसूस हो सकती है। बच्चों, बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं के लिए स्थिति विशेष रूप से खतरनाक है।”

अस्पतालों में सांस की तकलीफ, गले में खराश, और आंखों में जलन की शिकायत लेकर आने वाले मरीजों की संख्या में लगभग 30% की वृद्धि दर्ज की गई है।
डॉक्टरों ने सलाह दी है कि नागरिक जितना हो सके घर के अंदर रहें, एन-95 मास्क का प्रयोग करें और एयर प्यूरिफायर का उपयोग करें।

प्रदूषण के मुख्य कारण

दिल्ली में प्रदूषण की समस्या हर साल सर्दियों में बढ़ जाती है, और इस बार भी इसके पीछे कई कारण जिम्मेदार हैं:

  1. पराली जलाना:
    पंजाब और हरियाणा में खेतों में पराली जलाने की घटनाओं में इस हफ्ते भारी इजाफा हुआ है।
    सफर (SAFAR) के अनुसार, दिल्ली के कुल प्रदूषण में पराली जलाने की हिस्सेदारी 33% तक पहुँच गई है।

  2. वाहन उत्सर्जन:
    दिल्ली की सड़कों पर बढ़ती गाड़ियों की संख्या भी प्रदूषण की बड़ी वजह है। ट्रैफिक जाम और डीजल वाहनों से निकलने वाला धुआं हवा को और जहरीला बना रहा है।

  3. निर्माण कार्य और धूल:
    निर्माण स्थलों पर धूल नियंत्रण के उपायों का सही तरीके से पालन नहीं हो रहा। खुले में निर्माण सामग्री रखने और सड़क की सफाई की कमी से धूलकण बढ़ रहे हैं।

  4. मौसमी स्थिति:
    ठंडी हवाओं और कम हवा की गति के कारण प्रदूषक कण वायुमंडल में फंस जाते हैं। इससे स्मॉग परत बन जाती है जो सूरज की रोशनी को भी रोक देती है।

सरकार के आपात कदम

स्थिति को देखते हुए, ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) का तीसरा चरण लागू कर दिया गया है।
दिल्ली सरकार ने सभी निर्माण और तोड़फोड़ के कामों पर रोक लगा दी है और डीजल जेनरेटर के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाया गया है।

पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा,

“हम स्थिति पर लगातार नज़र रख रहे हैं। प्रदूषण को रोकने के लिए टीमों को सक्रिय किया गया है। यदि स्तर और बढ़ा तो हम GRAP के चौथे चरण को भी लागू करेंगे।”

इसके अलावा, स्कूलों में आउटडोर गतिविधियों को अस्थायी रूप से रोका गया है, जबकि निजी कंपनियों से वर्क फ्रॉम होम की अपील की गई है।
दिल्ली मेट्रो और डीटीसी बस सेवाओं की आवृत्ति बढ़ाने के निर्देश भी जारी किए गए हैं ताकि लोग निजी वाहनों की बजाय सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करें।

पड़ोसी राज्यों में भी स्थिति गंभीर

दिल्ली ही नहीं, बल्कि गुरुग्राम (AQI 398), नोएडा (AQI 406), गाज़ियाबाद (AQI 410) और फरीदाबाद (AQI 389) जैसे NCR शहरों की हवा भी बेहद खराब श्रेणी में पहुँच गई है।
विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक क्षेत्रीय स्तर पर एक समन्वित नीति नहीं बनाई जाती, तब तक इस समस्या का स्थायी समाधान संभव नहीं है।

नागरिकों की परेशानी बढ़ी

सड़कों पर धुंध की मोटी परत छाई हुई है, जिससे दृश्यता घटकर 200 मीटर तक रह गई।
सुबह और शाम के समय वाहन चालकों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
कई यात्रियों ने शिकायत की कि ट्रैफिक में चलना मुश्किल हो गया है और आँखों में जलन के कारण गाड़ी चलाना खतरनाक हो गया है।

लोधी रोड निवासी सीमा अग्रवाल ने बताया —

“सुबह टहलने जाना अब असंभव हो गया है। बच्चों को भी बाहर खेलने नहीं जाने देते। हवा में धुंध और बदबू दोनों हैं।”

भविष्य की चेतावनी

मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि अगले दो दिनों तक राहत मिलने की संभावना नहीं है। हवा की गति धीमी रहने और तापमान गिरने से प्रदूषक कण वायुमंडल में जमा रहेंगे।
यदि पराली जलाने की घटनाएं इसी तरह जारी रहीं, तो AQI 450 तक पहुँच सकता है।

समापन

दिल्ली का 421 का AQI सिर्फ एक आंकड़ा नहीं, बल्कि एक गंभीर चेतावनी है।
यह बताता है कि हवा अब जीवन के लिए खतरा बन चुकी है।
जब तक सरकार, उद्योग, और नागरिक मिलकर ठोस कदम नहीं उठाते — जैसे स्वच्छ ऊर्जा का उपयोग, वाहनों का नियंत्रण, और पराली प्रबंधन — तब तक यह वार्षिक ‘स्मॉग सीजन’ जारी रहेगा।

वर्तमान स्थिति में, दिल्ली फिर से अपने सबसे कठिन मौसम का सामना कर रही है — जहां हर सांस एक चुनौती बन गई है।

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