आज Chhath Puja Sandhya Arghya का शुभ दिन है। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को पूरे देश में यह पर्व भगवान सूर्य और उनकी पत्नी उषा-प्रत्यूषा की आराधना के लिए मनाया जाता है। दरअसल (in fact), यह पर्व लोक-आस्था और अनुशासन का प्रतीक माना जाता है। आज व्रती पूरे दिन निर्जल रहकर शाम को सूर्य देव को संध्या अर्घ्य अर्पित करेंगे और परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करेंगे। इसलिए (therefore), आइए जानते हैं इस खास दिन के शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और धार्मिक महत्व के बारे में विस्तार से।
छठ पूजा का शुभ मुहूर्त (Chhath Puja Shubh Muhurat)
पंचांग के अनुसार (according to the calendar), छठ महापर्व की षष्ठी तिथि 27 अक्टूबर 2025 को प्रातः 06:04 बजे से प्रारंभ होकर 28 अक्टूबर को सुबह 07:59 बजे समाप्त होगी। इस दौरान (during this period), सूर्य देव का उदय सुबह 06:30 बजे और सूर्यास्त शाम 05:40 बजे होगा। यही वह समय है जब श्रद्धालु Chhath Puja Sandhya Arghya के रूप में सूर्य देव को अर्घ्य देंगे। यानी कि (that is to say), यह समय पूजा और आराधना के लिए अत्यंत शुभ माना गया है।
संध्या अर्घ्य की विधि (Sandhya Arghya Vidhi)
सबसे पहले (first of all), व्रती नहाय-खाय और खरना के बाद तीसरे दिन निर्जल रहकर शाम को भगवान सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं। आज संध्या अर्घ्य होगा और अगले दिन प्रातःकाल सूर्योदय के समय दूसरा अर्घ्य दिया जाएगा। इसके बाद (after that), व्रती बांस की टोकरी या सूप में ठेकुआ, गन्ना, नारियल, फल, चावल के लड्डू और फूल रखकर घाट या जलाशय तक जाते हैं। फिर (then), सूर्यास्त के समय वे “ॐ घृणि सूर्याय नमः” मंत्र बोलते हुए पीतल के लोटे से सूर्य देव को जल अर्पित करते हैं।
अंत में (finally), व्रती सूर्य देव की पांच बार परिक्रमा करते हैं और दीप जलाकर अपने परिवार और संतान की मंगलकामना करते हैं। इस दौरान छठी मैया की भी विशेष पूजा की जाती है।
संध्या अर्घ्य का महत्व (Significance of Sandhya Arghya)
धार्मिक मान्यता के अनुसार (as per belief), छठ महापर्व में सूर्य देव को अस्त होते समय अर्घ्य देने की परंपरा है। क्योंकि (because), ऐसा कहा जाता है कि संध्या के समय सूर्य देव अपनी पत्नी प्रत्यूषा के साथ रहते हैं। इसी कारण (for this reason), इस समय अर्घ्य अर्पित करना विशेष फलदायी माना जाता है। श्रद्धालु इस पूजा के दौरान छठी मैया से संतान सुख, परिवार की उन्नति और जीवन में शांति की प्रार्थना करते हैं। इस प्रकार (thus), Chhath Puja Sandhya Arghya न केवल सूर्य उपासना का प्रतीक है, बल्कि यह आस्था, संयम और कृतज्ञता का पर्व भी है।
