समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खां मंगलवार, 23 सितंबर 2025 को लगभग 23 महीने की लंबी कैद के बाद सीतापुर जिला जेल से रिहा हो गए। दोपहर करीब 12:20 बजे जेल प्रशासन ने रिहाई की प्रक्रिया पूरी की।जेल से बाहर निकलते ही समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ गई। लोग नारेबाज़ी कर रहे थे, माला पहनाकर स्वागत कर रहे थे और राजनीतिक रूप से आज़म खां के सक्रिय वापसी की उम्मीद जताई जा रही थी।
जेल से बाहर निकलने का दृश्य
आजम खां जेल से दो गाड़ियों के काफिले में बाहर आए। पहली गाड़ी में उनके बेटे अब्दुल्ला आज़म, प्रतिनिधि और नज़दीकी लोग मौजूद थे। दूसरी गाड़ी में उनका निजी सामान था, जिसमें किताबें, कपड़े और अन्य वस्तुएं शामिल थीं।
उनकी रिहाई के दौरान सुरक्षा व्यवस्था बेहद कड़ी रखी गई। जेल परिसर और आसपास एलआईयू टीम, ड्रोन सर्विलांस और PAC जवान तैनात रहे। लगभग आठ थानों की पुलिस फोर्स मुस्तैद रही। ASP उत्तरी आलोक सिंह, प्रशिक्षु आईपीएस विनायक भोंसले और यातायात निरीक्षक फरीद अहमद ने खुद निगरानी की।
कोर्ट से ईमेल के जरिए हुई रिहाई
आजम खां की रिहाई से पहले रामपुर एमपी-एमएलए कोर्ट में दो मामलों में उन्होंने कुल 6,000 रुपये का जुर्माना जमा किया। इसके बाद कोर्ट ने ईमेल के जरिए जेल प्रशासन को रिहाई आदेश भेजा। आदेश मिलते ही जेल प्रशासन ने रिहाई की प्रक्रिया पूरी की।
समर्थकों में दिखा जोश
जैसे ही रिहाई की खबर फैली, बड़ी संख्या में समर्थक जेल के बाहर एकत्र हो गए। लोग नारेबाज़ी कर रहे थे, माला पहनाकर स्वागत कर रहे थे और आजम खां की राजनीतिक वापसी की उम्मीद जताई जा रही थी।
हालांकि, यह भी ध्यान देने योग्य है कि आज़म खां अभी विधायक नहीं हैं। अक्टूबर 2022 में हेट स्पीच मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद उन्हें रामपुर सदर सीट से अयोग्य घोषित किया गया था।
राजनीतिक भविष्य पर सवाल
जेल से बाहर आने के बाद आज़म खां के राजनीतिक भविष्य पर चर्चा तेज़ हो गई है। समर्थकों में ऊर्जा है, लेकिन सवाल यह है कि क्या वह दोबारा सक्रिय राजनीति में लौट पाएंगे या यह वापसी सिर्फ़ औपचारिकता बनकर रह जाएगी।
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि आज़म खां की जनप्रियता और समर्थक बेस उन्हें वापसी के लिए मजबूत स्थिति दे सकती है, लेकिन आने वाले दिनों में उनकी राजनीतिक रणनीति और पार्टी के फैसले तय करेंगे कि उनका रोल क्या होगा।