गुरुग्राम:घुटनों में बार-बार दर्द होना केवल उम्र बढ़ने या थकान का असर नहीं होता, बल्कि यह कई गंभीर बीमारियों का संकेत भी हो सकता है। यह समस्या युवाओं में भी देखने को मिलती है, खासकर उन लोगों में जो लंबे समय तक खड़े रहते हैं, ज्यादा चलने-भागने का काम करते हैं या जिनका वजन ज्यादा है। महिलाओं में हड्डियों की कमजोरी और हॉर्मोनल बदलाव के कारण यह समस्या अधिक दिखाई देती है। अगर दर्द लगातार बना रहे, तो यह किसी गंभीर स्थिति का संकेत हो सकता है और समय रहते जांच कराना बेहद जरूरी है।
1. घुटनों के दर्द के सामान्य लक्षण
घुटनों में लगातार दर्द के साथ कई अन्य लक्षण भी नजर आते हैं। सूजन, जकड़न, सीढ़ियां चढ़ने-उतरने में कठिनाई, चलने पर घुटनों से आवाज आना और नींद में बाधा जैसे संकेत किसी गंभीर समस्या की ओर इशारा कर सकते हैं। कभी-कभी घुटनों में जलन, गर्माहट या लालिमा महसूस होती है, जो सूजन या इंफेक्शन का संकेत हो सकती है। इसलिए इस समस्या को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
2. घुटनों के दर्द के प्रमुख कारण
एम्स के आर्थोपेडिक विभाग के प्रोफेसर डॉ. भावुक गर्ग के अनुसार, घुटनों में बार-बार दर्द कई बीमारियों से जुड़ा हो सकता है। सबसे आम कारण ऑस्टियोआर्थराइटिस है, जिसमें हड्डियों के बीच की कार्टिलेज घिसने लगती है और दर्द बढ़ता है। इसके अलावा रूमेटॉयड आर्थराइटिस, एक ऑटोइम्यून बीमारी है, जिसमें शरीर की इम्यूनिटी जोड़ों पर हमला करती है और सूजन व दर्द बढ़ जाता है। कुछ मामलों में गाउट भी इसका कारण बन सकता है, जिसमें यूरिक एसिड बढ़ने से जोड़ों में क्रिस्टल जम जाते हैं और तेज दर्द होता है। इसके अलावा हड्डियों में कैल्शियम की कमी, चोट या अधिक वजन भी घुटनों के दर्द का कारण बन सकते हैं।
3. घुटनों के दर्द से बचाव के उपाय
इस समस्या से बचाव के लिए कुछ जरूरी कदम उठाना चाहिए। वजन नियंत्रित रखना और ओवरवेट से बचना बेहद महत्वपूर्ण है। संतुलित और कैल्शियम-युक्त आहार लेना जैसे दूध, दही, पनीर और हरी सब्जियां घुटनों की हड्डियों को मजबूत बनाती हैं। रोजाना हल्की एक्सरसाइज, स्ट्रेचिंग और योग करना घुटनों की मांसपेशियों को सक्रिय रखता है। बैठने-उठने और चलने के सही तरीके अपनाना भी जरूरी है। जरूरत पड़ने पर नी कैप या सपोर्ट का इस्तेमाल करें और दर्द बढ़ने पर तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें।
4. निष्कर्ष: समय पर इलाज और सावधानी जरूरी
घुटनों का बार-बार दर्द केवल शारीरिक कमजोरी का संकेत नहीं है। यह ऑस्टियोआर्थराइटिस, रूमेटॉयड आर्थराइटिस, गाउट और हड्डियों की कमजोरी जैसी गंभीर बीमारियों का लक्षण हो सकता है। समय पर जांच और सावधानी बरतने से इस समस्या को नियंत्रित किया जा सकता है और घुटनों की सेहत बनाए रखी जा सकती है।