प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केवड़िया में विकास परियोजनाओं का लोकार्पण किया; स्टैच्यू ऑफ यूनिटी से नई ई-बसों को दिखाई हरी झंडी
ई-बस सेवा का शुभारंभ — हरित पर्यटन की दिशा में बड़ा कदम
प्रधानमंत्री मोदी ने स्टैच्यू ऑफ यूनिटी परिसर से इलेक्ट्रिक बसों के बेड़े को हरी झंडी दिखाते हुए कहा कि भारत का भविष्य हरित ऊर्जा (Green Energy) पर निर्भर है और यह पहल उस दिशा में एक सशक्त कदम है।
उन्होंने कहा,
“हमारा लक्ष्य ऐसा भारत बनाना है जो विकास के साथ पर्यावरण की रक्षा भी करे। ये ई-बसें केवड़िया आने वाले पर्यटकों को स्वच्छ और शांत यात्रा का अनुभव देंगी, साथ ही प्रदूषण को कम करेंगी।”
इन इलेक्ट्रिक बसों को स्टैच्यू ऑफ यूनिटी से लेकर सरदार सरोवर डैम, जंगल सफारी और वैली ऑफ फ्लॉवर्स जैसे प्रमुख पर्यटन स्थलों तक चलाया जाएगा। इससे हर दिन हजारों पर्यटकों को सुविधाजनक और पर्यावरण-अनुकूल परिवहन का लाभ मिलेगा।
परियोजना के तहत प्रारंभिक चरण में 25 ई-बसें शुरू की गई हैं, जिनकी संख्या भविष्य में बढ़ाकर 100 करने की योजना है। यह पहल गुजरात राज्य परिवहन निगम (GSRTC) और ऊर्जा मंत्रालय के सहयोग से शुरू की गई है।
विकास परियोजनाओं का उद्घाटन
इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने केवड़िया क्षेत्र में कई नई परियोजनाओं का उद्घाटन किया, जिनमें शामिल हैं —
- सरदार पटेल थीम पार्क विस्तार योजना
- गुजरात हरित ऊर्जा कॉरिडोर उपकेंद्र परियोजना
- जनआरोग्य स्वास्थ्य केंद्र और डिजिटल हेल्थ मॉनिटरिंग सिस्टम
- केवड़िया स्मार्ट टाउनशिप विकास योजना
- नर्मदा रिवरफ्रंट विस्तार परियोजना
प्रधानमंत्री ने कहा कि इन योजनाओं का मकसद सिर्फ बुनियादी ढांचे का विस्तार नहीं, बल्कि जनकल्याण और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन बनाना है। उन्होंने कहा,
“केवड़िया आज देश के विकास मॉडल का प्रतीक बन गया है। यहां प्रकृति और प्रगति दोनों का संगम दिखाई देता है।”
स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर
प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा कि इन परियोजनाओं से केवड़िया और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में 10,000 से अधिक रोजगार अवसर पैदा होंगे। उन्होंने स्थानीय युवाओं को पर्यटन, आतिथ्य और परिवहन क्षेत्रों में प्रशिक्षण दिलाने की नई योजना की घोषणा भी की।
उन्होंने कहा,
“सरकार का लक्ष्य है कि केवड़िया सिर्फ एक पर्यटन स्थल न रहे, बल्कि यह ‘आत्मनिर्भर गांवों’ का मॉडल बने, जहां हर परिवार को रोजगार और सुविधा मिले।”
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी — पर्यटन का नया केंद्र
2018 में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा उद्घाटन की गई स्टैच्यू ऑफ यूनिटी अब भारत के सबसे प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक बन गई है। हर साल लाखों लोग सरदार वल्लभभाई पटेल की 182 मीटर ऊँची प्रतिमा को देखने आते हैं।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, स्टैच्यू ऑफ यूनिटी से संबंधित पर्यटन गतिविधियों ने पिछले वर्ष ₹1,200 करोड़ से अधिक का राजस्व अर्जित किया है। इस परियोजना ने न केवल गुजरात बल्कि पूरे भारत में ग्रामीण पर्यटन और पारिस्थितिकी संरक्षण को बढ़ावा दिया है।
प्रधानमंत्री ने कहा,
“यह सिर्फ एक प्रतिमा नहीं, बल्कि एक प्रेरणा है — एकता, परिश्रम और राष्ट्र निर्माण की भावना का प्रतीक।”
पर्यावरण संरक्षण पर बल
कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने पर्यावरण संरक्षण के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने कहा कि भारत 2030 तक कार्बन उत्सर्जन में बड़ी कमी लाने के लक्ष्य की ओर अग्रसर है।
उन्होंने कहा,
“गुजरात हमेशा हरित पहल में अग्रणी रहा है। सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा और इलेक्ट्रिक परिवहन के क्षेत्र में राज्य की उपलब्धियाँ देश के लिए उदाहरण हैं।”
मोदी ने युवाओं से अपील की कि वे सस्टेनेबल डेवलपमेंट के लिए तकनीक और नवाचार को अपनाएं। उन्होंने कहा कि सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में ई-चार्जिंग स्टेशनों का नेटवर्क भी विकसित कर रही है ताकि आने वाले समय में इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग और बढ़ सके।
जनसभा में जनता से संवाद
कार्यक्रम के बाद प्रधानमंत्री ने जनसभा को संबोधित किया और जनता से सीधे संवाद किया। उन्होंने कहा कि केवड़िया सिर्फ एक पर्यटन स्थल नहीं, बल्कि “भारत की नई विकास सोच का प्रतीक” है।
उन्होंने कहा,
“आज केवड़िया की पहचान सिर्फ स्टैच्यू ऑफ यूनिटी तक सीमित नहीं है। यह अब भारत के ‘इको-टूरिज्म’ और ‘ग्रीन डेवलपमेंट’ का केंद्र बन चुका है। यह दिखाता है कि भारत विकास और प्रकृति के बीच सामंजस्य बना सकता है।”
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का केवड़िया दौरा न केवल विकास परियोजनाओं की समीक्षा का अवसर था, बल्कि यह भारत के हरित और आत्मनिर्भर भविष्य की दिशा में एक ठोस कदम भी है।
नई ई-बस सेवा और पर्यावरण-अनुकूल परियोजनाएं यह संदेश देती हैं कि “स्मार्ट भारत वही है जो स्वच्छ और हरित हो।”
केवड़िया, जो कभी एक शांत घाटी थी, अब मोदी सरकार की योजनाओं के चलते “नए भारत के विकास प्रतीक” के रूप में उभर रहा है — जहां पर्यटन, तकनीक, और पर्यावरण तीनों का संतुलित विकास हो रहा है।
