प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के शताब्दी समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने संघ की 100 साल की गौरवपूर्ण यात्रा को रेखांकित करते हुए एक विशेष स्मारक डाक टिकट और 100 रुपये का सिक्का जारी किया।
आरएसएस की स्थापना 1925 में विजयदशमी के दिन हुई थी और अब विजयदशमी 2025 से लेकर विजयदशमी 2026 तक इसे शताब्दी वर्ष के रूप में मनाया जाएगा।
पीएम मोदी ने दिया नवरात्र और विजयदशमी का संदेश
कार्यक्रम में डॉ. अंबेडकर अंतरराष्ट्रीय केंद्र से संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि यह हम सभी के लिए गर्व की बात है कि हमें संघ का शताब्दी वर्ष देखने का अवसर मिल रहा है। उन्होंने स्वयंसेवकों को शुभकामनाएं देते हुए संघ के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार को श्रद्धांजलि अर्पित की।
साथ ही प्रधानमंत्री ने देशवासियों को महानवमी और नवरात्रि की शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा, “कल विजयदशमी का महापर्व है, जो असत्य पर सत्य, अन्याय पर न्याय और अंधकार पर प्रकाश की जीत का प्रतीक है। ठीक 100 वर्ष पहले इसी पर्व के दिन संघ की स्थापना होना संयोग नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति की उस अनादि परंपरा का पुनर्जागरण है।”
स्मारक डाक टिकट और सिक्के की विशेषताएं
पीएम मोदी ने बताया कि इस अवसर पर जारी किए गए 100 रुपये के सिक्के पर एक ओर राष्ट्रीय चिन्ह और दूसरी ओर सिंह के साथ वरद-मुद्रा में भारत माता की भव्य छवि अंकित है। उन्होंने कहा कि स्वतंत्र भारत के इतिहास में यह संभवत: पहली बार है कि भारतीय मुद्रा पर भारत माता की तस्वीर दिखाई गई है।
इसके अलावा इस सिक्के पर संघ का बोध वाक्य भी अंकित है –
“राष्ट्राय स्वाहा, इदं राष्ट्राय इदं न मम।”
आरएसएस और राष्ट्र निर्माण
पीएम मोदी ने अपने भाषण में संघ के राष्ट्र निर्माण में योगदान को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, “संघ की शाखाओं में आज भी व्यक्ति निर्माण की प्रक्रिया दिखाई देती है। यहां स्वयंसेवक की यात्रा ‘अहं’ से ‘वयं’ तक की होती है। संघ शाखाएं एक यज्ञ वेदी हैं, जहां से सेवा, संस्कार और राष्ट्रभावना का निर्माण होता है।”
उन्होंने 1963 का उल्लेख करते हुए कहा कि उस वर्ष गणतंत्र दिवस परेड में आरएसएस स्वयंसेवकों ने भी भाग लिया था और राष्ट्रभक्ति की धुन पर कदमताल किया था। जिस तरह नदियों के किनारे सभ्यताएं पनपती हैं, उसी तरह संघ की धारा में भी असंख्य जीवन फलते-फूलते रहे हैं।
निष्कर्ष
आरएसएस के शताब्दी वर्ष के इस ऐतिहासिक अवसर पर पीएम मोदी का संदेश साफ है कि संगठन का उद्देश्य हमेशा से राष्ट्र निर्माण और व्यक्ति निर्माण रहा है। विशेष स्मारक डाक टिकट और सिक्का इस गौरवशाली यात्रा की स्मृति को और भी खास बना देगा।