उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में ‘I Love Muhammad’ पोस्टर्स को लेकर हुई हिंसा के बाद प्रशासन ने सख्त कदम उठाए हैं। इस विवाद में अब तक 56 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें मौलाना तौकीर रजा के करीबी सहयोगी नदीम और नफीस खान भी शामिल हैं। नदीम खान पर आरोप है कि उन्होंने पुलिस के वायरलेस सेट को छीनने और भीड़ को व्हाट्सऐप के माध्यम से उकसाने का प्रयास किया था। वहीं, नफीस खान की अवैध संपत्ति पर बुलडोजर एक्शन की तैयारी चल रही है।
विवाद की शुरुआत और प्रशासन की कार्रवाई
26 सितंबर को बरेली में ‘I Love Muhammad’ पोस्टर्स को लेकर प्रदर्शन हुआ था, जो बाद में हिंसक हो गया। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पथराव किया और कई वाहनों को नुकसान पहुंचाया। इस घटना में 10 पुलिसकर्मी घायल हुए और 50 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया। प्रदर्शन के आयोजक मौलाना तौकीर रजा खान को मुख्य आरोपी मानते हुए गिरफ्तार किया गया और उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया।
नफीस खान की अवैध संपत्ति पर बुलडोजर एक्शन
बरेली के सिविल लाइंस क्षेत्र में स्थित एक मजार की आड़ में नफीस खान और उनके सहयोगियों ने 70 अवैध दुकानों का निर्माण किया था, जिनसे लाखों रुपये की मासिक आय होती थी। नगर निगम ने इन दुकानों को सील कर दिया है और अब इन पर बुलडोजर एक्शन की तैयारी चल रही है। डॉ. तौसीफ, जो तौकीर रजा के करीबी सहयोगी हैं, अभी फरार हैं।
नदीम खान की गिरफ्तारी और उसके खिलाफ आरोप
नदीम खान, जो मौलाना तौकीर रजा का करीबी सहयोगी है, को भी गिरफ्तार किया गया है। उसके पास से एक तमंचा बरामद हुआ था और वह पुलिस के वायरलेस सेट को छीनने में शामिल था। नदीम ने व्हाट्सऐप के माध्यम से भीड़ को उकसाने का प्रयास किया था। पुलिस ने नदीम को गिरफ्तार कर उसके खिलाफ कार्रवाई की है।
प्रशासन की सख्त कार्रवाई और भविष्य की दिशा
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस हिंसा की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि कानून तोड़ने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने चेतावनी दी कि ऐसे तत्वों के खिलाफ ‘डेंटिंग और पेंटिंग’ की जाएगी, जिससे उनकी पहचान सार्वजनिक हो सके।
निष्कर्ष
बरेली में ‘I Love Muhammad’ पोस्टर्स को लेकर हुई हिंसा ने प्रशासन की नींद उड़ा दी है। गिरफ्तारियों और बुलडोजर एक्शन से यह स्पष्ट है कि प्रशासन अब किसी भी प्रकार की अवैध गतिविधि को बर्दाश्त नहीं करेगा। हालांकि, इस कार्रवाई को लेकर कुछ स्थानीय लोग इसे पक्षपाती मानते हैं, लेकिन प्रशासन का कहना है कि यह कदम कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए आवश्यक है।