पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में सरकार और स्थानीय नागरिकों के बीच बढ़ते विवाद ने अनिश्चितकालीन हड़ताल का रूप ले लिया है। यह हड़ताल 29 सितंबर से प्रभावी है और इसका असर पूरे क्षेत्र में महसूस किया जा रहा है। इंटरनेट सेवा ठप है, स्कूल और कॉलेज बंद हैं, और सुरक्षा बल सड़कों पर तैनात हैं। स्थानीय नागरिक अपनी मांगों को लेकर काफी समय से आवाज उठा रहे थे, लेकिन हालिया घटनाओं ने इसे व्यापक आंदोलन का रूप दे दिया है।
पीओके में हड़ताल का असर
हड़ताल का असर पूरे पीओके में देखने को मिल रहा है। सार्वजनिक जीवन ठप है, स्कूल और कॉलेज बंद हैं, और स्थानीय प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है। नागरिक सड़क पर प्रदर्शन कर रहे हैं और कई स्थानों पर स्थानीय व्यापारिक गतिविधियां भी प्रभावित हो रही हैं।
नागरिकों की मुख्य मांगें
पब्लिक एक्शन कमेटी ने सरकार के साथ बैठक में अपनी मांगें रखीं। उनका कहना है कि पीओके की स्थानीय सरकार के पावर में कटौती हो और वीआईपी कल्चर को खत्म किया जाए। आंदोलन की शुरुआत आटे की बढ़ती कीमतों से हुई थी, लेकिन अब यह व्यापक राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों में बदल चुका है।
कश्मीर संयुक्त नागरिक कमेटी ने सरकार को 38 प्रमुख मांगों की सूची दी है। इनमें प्रमुख हैं:
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प्रवासियों के लिए आरक्षित विधानसभा की 12 सीटों को समाप्त करना
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पीओके शासन के प्रमुख अधिकारियों के भत्तों में कटौती
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वीआईपी कल्चर को खत्म करना
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जल विद्युत परियोजनाओं की रॉयल्टी की उचित व्यवस्था
विरोध का नेतृत्व और स्थानीय नाराजगी
इस आंदोलन का नेतृत्व शौकत अली मीर कर रहे हैं। उन्होंने भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और सरकारी नीतियों को मुख्य मुद्दा बनाया है। मीर का कहना है कि पाकिस्तान सरकार ने पीओके के नागरिकों को राजनीतिक और आर्थिक संकट में डाल दिया है और अब समाधान के लिए ठोस कदम उठाना जरूरी है।
पाकिस्तान सरकार का कड़ा कदम
स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए पाकिस्तान सरकार ने इस्लामाबाद से 3,000 जवान तैनात किए हैं। स्थानीय सुरक्षा बल पहले से ही सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे और समान वेतन व भत्तों की मांग कर रहे हैं। सरकार ने कहा कि यह कदम कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए जरूरी था।
पीओके हड़ताल का व्यापक प्रभाव
अनिश्चितकालीन हड़ताल के कारण पूरे पीओके में सार्वजनिक जीवन प्रभावित हुआ है। मोबाइल इंटरनेट ठप होने से डिजिटल सेवाएं बाधित हैं, स्कूल और कॉलेज बंद हैं, और शहरों में आवाजाही मुश्किल हो गई है। इस आंदोलन का असर व्यापार और रोज़मर्रा की गतिविधियों पर भी दिखाई दे रहा है।