अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गाजा में शांति बहाल करने और इस्राइल-हमास युद्ध समाप्त करने के लिए 20 सूत्रीय शांति प्रस्ताव पेश किया है। इस योजना में युद्धविराम, बंधकों की रिहाई, गाजा का पुनर्निर्माण और अस्थायी प्रशासन की स्थापना जैसे कई अहम बिंदु शामिल हैं। ट्रंप ने चेतावनी दी है कि अगर हमास 3–4 दिनों में इस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं करता तो अमेरिका पूरी तरह इस्राइल का साथ देगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई वैश्विक नेताओं ने इस पहल का समर्थन किया है, वहीं हमास ने कहा है कि वह इस पर विचार करने के बाद प्रतिक्रिया देगा।
ट्रंप का 20 सूत्रीय शांति प्रस्ताव – मुख्य बिंदु
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गाजा को आतंक मुक्त क्षेत्र बनाना और वहां का पुनर्निर्माण करना।
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योजना स्वीकार होते ही इस्राइल चरणबद्ध तरीके से सेना हटाएगा।
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72 घंटे में सभी बंधकों की रिहाई और इसके बदले फलस्तीनी कैदियों को छोड़ना।
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हमास सदस्यों को शांति की शपथ लेने पर माफी, अन्यथा सुरक्षित रास्ता।
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गाजा में रोजाना 600 ट्रक मानवीय सहायता भेजी जाएगी।
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राहत सामग्री का वितरण संयुक्त राष्ट्र और रेड क्रिसेंट करेंगे।
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गाजा का प्रशासन तकनीकी विशेषज्ञों और अंतरराष्ट्रीय समिति के हाथों में।
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अस्थायी सुरक्षा बल की तैनाती और स्थानीय पुलिस को प्रशिक्षण।
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गाजा में विशेष आर्थिक क्षेत्र और निवेश योजना।
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गाजा का स्थायी कब्जा या विलय इस्राइल द्वारा नहीं किया जाएगा।
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भविष्य में फलस्तीनी राज्य बनने की संभावना।
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सांस्कृतिक और धार्मिक कार्यक्रमों के जरिए चरमपंथ से दूरी।
गाजा युद्ध और हमास की पृष्ठभूमि
गाजा पट्टी लगभग 365 वर्ग किलोमीटर का छोटा सा क्षेत्र है, जिसके तीन ओर इस्राइल और मिस्र की सीमाएं हैं। 2007 से यहां हमास का नियंत्रण है, जिसे अमेरिका और कई देशों ने आतंकी संगठन घोषित किया है। अक्टूबर 2023 में हमास के हमले के बाद से इस्राइल और हमास के बीच लगातार संघर्ष जारी है।
ट्रंप की योजना पर हमास और इस्राइल की प्रतिक्रिया
इस्राइल ने ट्रंप की शांति योजना का स्वागत किया है, लेकिन हमास ने अभी तक कोई आधिकारिक रुख नहीं अपनाया है। हमास के वार्ताकारों का कहना है कि वे इस पर विचार कर रहे हैं और बाद में जवाब देंगे। ट्रंप ने साफ कहा है कि अगर हमास पीछे हटता है तो अमेरिका इस्राइल का बिना शर्त समर्थन करेगा।
भारत और अन्य देशों की भूमिका
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्रंप की इस पहल का समर्थन करते हुए कहा कि यह योजना पश्चिम एशिया में शांति, सुरक्षा और विकास का रास्ता दिखाती है। इस्राइल के राजदूत ने भी भारत को गाजा के पुनर्निर्माण और विकास कार्यों में शामिल होने का आमंत्रण दिया है।
चीन, फ्रांस और अरब देशों समेत अंतरराष्ट्रीय समुदाय के कई हिस्सों ने भी इस पहल का स्वागत किया है।
योजना लागू करने में चुनौतियां
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हमास की भूमिका और उसकी सहमति सबसे बड़ी चुनौती है।
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इस्राइल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू अभी तक दो-राष्ट्र समाधान पर सहमत नहीं हुए हैं।
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गाजा का प्रशासन कौन संभालेगा, यह स्पष्ट नहीं है।
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हमास के हथियार छोड़ने और शासन से बाहर होने की शर्तें मुश्किल पैदा कर सकती हैं।
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अमेरिका को इस पुनर्निर्माण और सुरक्षा व्यवस्था में कितना शामिल होना पड़ेगा, यह भी सवाल बना हुआ है।
निष्कर्ष
ट्रंप का यह 20 सूत्रीय शांति प्रस्ताव गाजा में लंबे समय से चल रहे युद्ध को समाप्त करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। हालांकि इसमें कई अनुत्तरित सवाल और चुनौतियां हैं, लेकिन अगर लागू हुआ तो यह पश्चिम एशिया में स्थायी शांति का रास्ता खोल सकता है।