क्या आपने कभी कोई सपना देखकर सोचा है — आखिर हम सपने क्यों देखते हैं? कभी ये इतने हकीकत जैसे लगते हैं कि हम खुद को उसमें जीता हुआ महसूस करते हैं, तो कभी ये बिल्कुल कल्पनाओं की उड़ान भरते हैं। जब हम नींद में होते हैं, तब हमारा शरीर आराम करता है, लेकिन दिमाग अपनी सबसे सक्रिय अवस्था में पहुंच जाता है। इसी दौरान हमारे दिनभर के अनुभव, भावनाएं और विचार आपस में मिलकर सपनों का निर्माण करते हैं। यही वो रहस्यमयी प्रक्रिया है, जो बताती है कि हम सपने क्यों देखते हैं।
REM Sleep में कैसे बनते हैं सपने
नींद का सबसे अहम चरण होता है REM Sleep — यानी Rapid Eye Movement। इसी दौरान हमारा दिमाग पूरे दिन की यादों को छांटता है और उन्हें व्यवस्थित करता है। यहीं पर सपनों के बनने का असली रहस्य छिपा है। इस अवस्था में मस्तिष्क कल्पनाओं और अनुभवों को जोड़कर एक नई कहानी रचता है, जो हमें जागने के बाद भी याद रह जाती है।

भावनाओं और तनाव से जुड़ी प्रक्रिया
सपने दरअसल हमारे मन का एक तरीका हैं — दिनभर के तनाव, डर और अधूरी इच्छाओं को समझने और उनसे निपटने का। कई बार जो बातें हम दिन में महसूस नहीं कर पाते, वही रात के सपनों में सामने आती हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार, यही कारण है कि हम सपने क्यों देखते हैं का संबंध हमारी मानसिक और भावनात्मक स्थिति से होता है।

सोचने और सीखने की क्षमता पर प्रभाव
रिसर्च के अनुसार, सपने हमारे दिमाग की रचनात्मकता और समस्या-समाधान क्षमता को मजबूत बनाते हैं। यानी हम सपने क्यों देखते हैं इसका एक वैज्ञानिक पहलू यह भी है कि हमारा मस्तिष्क सोते हुए भी सोचता और नई संभावनाओं की खोज करता है।
सपना — दिमाग का संदेश
तो अगली बार जब कोई सपना आए, तो उसे हल्के में मत लीजिए। हो सकता है कि वह आपके मन की गहराई से निकला कोई संदेश हो। आखिरकार, यह दिमाग का तरीका है खुद से संवाद करने का — जो बताता है कि सोते हुए भी सोचने की प्रक्रिया कभी रुकती नहीं।