मुंबई पुलिस ने एक सनसनीखेज खुलासे के बाद अज्ञात लोगों के खिलाफ Fake Aadhaar Card Case में एफआईआर दर्ज की है। यह कार्रवाई एनसीपी (शरद पवार गुट) के विधायक रोहित पवार के उस दावे के बाद हुई है, जिसमें उन्होंने बताया था कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नाम पर फर्जी आधार कार्ड बनाया गया और उसका इस्तेमाल फर्जी वोटर रजिस्ट्रेशन में किया गया।
हालांकि (However), पुलिस अब यह पता लगाने में जुटी है कि इस पूरे नेटवर्क के पीछे कौन लोग शामिल हैं।
कैसे हुआ मामले का खुलासा
इसी दौरान (Meanwhile), विधायक रोहित पवार ने 16 अक्तूबर को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह मामला उजागर किया था। उन्होंने दिखाया कि कैसे एक वेबसाइट पर फर्जी आधार कार्ड बनाए जा रहे हैं और फिर उनका इस्तेमाल वोटर लिस्ट में धांधली के लिए किया जा रहा है।
इसके अलावा (In addition), उन्होंने दावा किया था कि यह तरीका चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है और बड़े पैमाने पर गड़बड़ी का संकेत देता है। इस तरह Fake Aadhaar Card Case ने महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल मचा दी है।
भाजपा नेता ने की शिकायत
वहीं (Furthermore), भाजपा की सोशल मीडिया सेल के सह-संयोजक धनंजय वागसकर ने इस वीडियो को यूट्यूब चैनल पर देखने के बाद पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।
उन्होंने अपनी शिकायत में कहा कि फर्जी वेबसाइट के जरिए आधार कार्ड बनाना जनता में भ्रम और गुस्सा फैलाने की कोशिश है, जिससे सामाजिक सौहार्द को नुकसान हो सकता है।
इस बीच (Meanwhile), साइबर पुलिस ने फर्जी वेबसाइट की तकनीकी जांच शुरू कर दी है ताकि यह पता लगाया जा सके कि सर्वर कहां से संचालित किया जा रहा है।
शरद पवार गुट के विधायक रोहित पवार के आरोप
रोहित पवार ने आरोप लगाया था कि लोकसभा चुनावों में भाजपा गठबंधन (महायुति) को उम्मीद के मुताबिक परिणाम न मिलने के बाद वोटर लिस्ट में हेराफेरी की गई।
उन्होंने कहा, “कई जगह मृत मतदाताओं के नाम से वोट डाले गए और कुछ लोगों के आधार कार्ड का उपयोग दूसरे इलाकों में अलग नाम और फोटो के साथ हुआ।”
अंत में (Finally), उन्होंने बताया कि केवल उनके कारजत-जामखेड क्षेत्र में ही 14,292 वोटर जोड़े गए, 5,360 नाम हटाए गए और 14,162 डुप्लीकेट नाम जोड़े गए — जो काफी संदिग्ध है।
जांच में जुटी मुंबई पुलिस
इस समय (Currently), मुंबई पुलिस की साइबर टीम इस पूरे Fake Aadhaar Card Case की गहराई से जांच कर रही है। पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि फर्जी वेबसाइट किसने बनाई और उसका इस्तेमाल किन उद्देश्यों के लिए किया गया।
वहीं (Meanwhile), अधिकारी यह भी जांच रहे हैं कि क्या इस नेटवर्क का कोई राजनीतिक संबंध है या यह किसी संगठित साइबर गैंग का हिस्सा है।


