सियोल में व्यापार सम्मेलन के दौरान भाषण देते डोनाल्ड ट्रंप, पृष्ठभूमि में दक्षिण कोरिया और अमेरिका के झंडे, निवेश और कृषि सहयोग पर चर्चा करते प्रतिनिधि मंडल।

Donald Trump ने दक्षिण कोरिया दौरे में सोयाबीन खरीद समझौते का संकेत दिया; निवेश जुटाने में रही नाकामी

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अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति ने सियोल में व्यापारिक सहयोग की वकालत की, लेकिन कोरियाई उद्योगपतियों से निवेश आश्वासन नहीं मिला

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के दक्षिण कोरिया दौरे के दौरान अमेरिकी कृषि उत्पादों, विशेषकर सोयाबीन (Soybean) की खरीद को लेकर हुए संकेतों ने एशियाई बाजारों में हलचल मचा दी है। हालांकि, उम्मीदों के विपरीत ट्रंप अपने इस दौरे में निवेश जुटाने में विफल रहे। दक्षिण कोरियाई उद्योग जगत ने इस बार अमेरिकी निवेश प्रस्तावों पर सावधानी बरतते हुए कोई ठोस प्रतिबद्धता नहीं दिखाई।

ट्रंप का यह दौरा एशियाई देशों के साथ व्यापार संबंध मजबूत करने और अमेरिकी कृषि निर्यात को बढ़ावा देने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा था। लेकिन विश्लेषकों के अनुसार, उनके दौरे के राजनीतिक स्वर और “अमेरिका फर्स्ट” नीतियों की पुनरावृत्ति ने कोरियाई निवेशकों को सतर्क कर दिया।

 

सियोल में व्यापार वार्ता और सोयाबीन संकेत

सियोल पहुंचने के बाद ट्रंप ने कोरिया-अमेरिका बिजनेस फोरम में भाग लिया, जहां उन्होंने दोनों देशों के बीच कृषि और तकनीकी क्षेत्र में सहयोग की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा,

“हम दक्षिण कोरिया के साथ एक नए व्यापारिक समझौते पर काम कर रहे हैं, जिसके तहत कोरिया अमेरिका से अधिक मात्रा में सोयाबीन और अन्य कृषि उत्पाद खरीदेगा। यह दोनों देशों की अर्थव्यवस्था के लिए लाभदायक साबित होगा।”

इस बयान के बाद अमेरिकी कृषि कंपनियों के शेयरों में हल्की बढ़ोतरी दर्ज की गई, जबकि एशियाई बाजारों में मिश्रित प्रतिक्रिया देखने को मिली। ट्रंप ने यह भी कहा कि अमेरिका चाहता है कि दक्षिण कोरिया ऊर्जा, रक्षा और इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्रों में भी साझेदारी को बढ़ाए।

 

निवेश की उम्मीदों पर पानी फिरा

ट्रंप के इस दौरे का एक प्रमुख उद्देश्य दक्षिण कोरियाई उद्योगपतियों से अमेरिका में निवेश आकर्षित करना था। उन्होंने सैमसंग, ह्युंदई, एलजी और पोस्को जैसी शीर्ष कंपनियों के सीईओ से मुलाकात की। सूत्रों के अनुसार, ट्रंप ने इन कंपनियों से अमेरिका में सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रिक व्हीकल निर्माण संयंत्रों में निवेश बढ़ाने का आग्रह किया।

हालांकि, इन चर्चाओं से कोई ठोस नतीजा नहीं निकल सका। कोरियाई कंपनियों ने कहा कि वे पहले से ही अमेरिका में बड़े पैमाने पर निवेश कर चुकी हैं और फिलहाल वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता और अमेरिकी व्यापार नीतियों के कारण नए निवेश पर सावधानी बरतना चाहती हैं।

एक कोरियाई उद्योग विशेषज्ञ ने कहा,

“ट्रंप के बयान अभी भी राजनीतिक रंग लिए हुए हैं। निवेशक स्थिर नीतियों और दीर्घकालिक दृष्टिकोण की तलाश में हैं, जो फिलहाल स्पष्ट नहीं है।”

 

‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति का असर

ट्रंप के भाषणों में उनकी पुरानी “America First” नीति की झलक साफ दिखी। उन्होंने कहा कि अमेरिका को पहले अपने उद्योग और किसानों के हितों को प्राथमिकता देनी होगी। उन्होंने यह भी दावा किया कि उनके नेतृत्व में अमेरिका “सबसे मजबूत व्यापारिक शक्ति” बनकर उभरेगा।

हालांकि, दक्षिण कोरियाई व्यापार विश्लेषकों ने इसे दोधारी नीति बताया। उनका कहना है कि “अमेरिका फर्स्ट” जैसी नीतियां अमेरिका के सहयोगी देशों के लिए व्यापारिक जोखिम बढ़ा सकती हैं। इससे द्विपक्षीय विश्वास कमजोर होता है और लंबे समय में आर्थिक साझेदारी प्रभावित होती है।

 

कृषि निर्यात को लेकर अमेरिका की रणनीति

ट्रंप प्रशासन और अमेरिकी कृषि उद्योग लंबे समय से एशियाई बाजारों में सोयाबीन, मक्का और गेहूं की बिक्री बढ़ाने की कोशिश में हैं। चीन और भारत के बाद दक्षिण कोरिया को एक महत्वपूर्ण कृषि निर्यात गंतव्य माना जाता है।

अमेरिकी कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार, दक्षिण कोरिया हर साल लगभग 1.2 मिलियन टन सोयाबीन का आयात करता है, जिसमें से 60% हिस्सा अमेरिका से आता है। अगर नया समझौता होता है, तो यह आंकड़ा 20-25% तक बढ़ सकता है, जिससे अमेरिकी किसानों को बड़ा लाभ मिलेगा।

लेकिन कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि कोरियाई सरकार अपने किसानों की सुरक्षा के लिए आयात प्रतिबंध और गुणवत्ता मानकों पर सख्ती बरत सकती है। इस कारण किसी नए समझौते को लागू करने में समय लग सकता है।

 

राजनीतिक संदेश और चुनावी संकेत

ट्रंप का यह एशियाई दौरा सिर्फ आर्थिक नहीं, बल्कि राजनीतिक रणनीति से भी जुड़ा माना जा रहा है। अगले वर्ष अमेरिका में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव से पहले ट्रंप अपने वैश्विक प्रभाव को दोबारा स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं।

उन्होंने सियोल में अपने भाषण के दौरान कहा,

“अमेरिका को फिर से महान बनाना मेरी जिम्मेदारी है, और इसके लिए हम हर साझेदार देश के साथ निष्पक्ष व्यापार करेंगे।”

राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, यह बयान उनके घरेलू मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए था, क्योंकि अमेरिकी किसान वर्ग ट्रंप के प्रमुख समर्थक रहे हैं।

 

आलोचनाएं और प्रतिक्रियाएं

हालांकि ट्रंप के समर्थक इसे “अमेरिकी किसानों के लिए अवसर” बता रहे हैं, वहीं आलोचकों का कहना है कि उन्होंने इस दौरे में कूटनीतिक संतुलन नहीं दिखाया। दक्षिण कोरियाई मीडिया ने लिखा कि “ट्रंप ने व्यापार को राजनीति से जोड़ दिया, जिससे निवेशकों में भ्रम फैला।”

अमेरिकी विपक्षी नेताओं ने भी टिप्पणी की कि ट्रंप अपने पुराने तरीके पर लौट आए हैं, जहां वे “समझौते की घोषणा तो करते हैं, लेकिन ठोस परिणाम नहीं दिखाते।”

 

निष्कर्ष

Donald Trump का दक्षिण कोरिया दौरा सोयाबीन खरीद समझौते के संकेत देने के बावजूद निवेश के मोर्चे पर निराशाजनक साबित हुआ। हालांकि कृषि क्षेत्र में संभावित सहयोग से दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों में कुछ सुधार की उम्मीद है, लेकिन फिलहाल निवेशकों और उद्योग जगत में अस्थिरता और अनिश्चितता बनी हुई है।

आने वाले हफ्तों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या ट्रंप इस संकेत को औपचारिक समझौते में बदल पाते हैं, या यह एक बार फिर सिर्फ राजनीतिक बयानबाजी बनकर रह जाएगा।

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