Dhanteras Puja Vidhi: धनतेरस का त्योहार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन माता लक्ष्मी, कुबेर देवता और भगवान धन्वंतरि की पूजा करना बेहद शुभ माना जाता है। इसके अलावा (Moreover) इस दिन खरीदारी और पूजा करने से घर में समृद्धि, खुशहाली और आरोग्य की प्राप्ति होती है।
पूजा का शुभ मुहूर्त
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तिथि: 18 अक्टूबर, शनिवार
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प्रदोष काल: दोपहर 12:20 बजे से अगले दिन 1:52 बजे तक
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सर्वश्रेष्ठ समय: शाम 5:04 बजे से 6:35 बजे तक
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लाभ चौघड़िया: शाम 6:41 बजे से 7:38 बजे तक
आवश्यक सामग्री (Ingredients)
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भगवान धन्वंतरि, लक्ष्मी और कुबेर की मूर्तियां या तस्वीर
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रोली, अक्षत, फूल और कलावा
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तेल से भरा दीपक
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विविध फल, पुष्प और पकवान
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तिल और सात मिठाइयां

पूजा विधि (Step-by-step Vidhi)
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सबसे पहले (First) लकड़ी की चौकी पर भगवान धन्वंतरि की प्रतिमा रखें और वस्त्र बिछाएँ।
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उसके बाद (Then) आचमनी से जल लेकर तीन बार आचमन करें।
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जल का छिड़काव, रोली और अक्षत से टीका करें।
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इसके बाद (Next) वस्त्र और कलावा अर्पित करें।
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फिर (After that) गणेश पूजन करें और ‘ओम श्री गणेशाय नम:’ का जाप करें।
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हाथ में फूल और अक्षत लेकर भगवान धन्वंतरि को प्रणाम करें और ‘ओम श्री धनवंतरै नम:’ का जाप करें।
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दीपक प्रज्वलित करें और अन्न के ढेर तथा घर के द्वार पर दीपक जलाएँ।
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अंत में(Finally) गौ पूजा के लिए सप्त धान्य, सात मिठाइयां, फल, पुष्प आदि अर्पित करें और तीन दिन पूजा करें। चौथे दिन स्नानादि करके गायत्री मंत्र से आहुति देकर व्रत का विसर्जन करें।
धनतेरस का महत्व (Importance)
वास्तव में (Actually) धनतेरस केवल धन और भौतिक समृद्धि का प्रतीक नहीं है बल्कि स्वास्थ्य, आरोग्य और घर में खुशहाली का पर्व भी है। इसलिए (Therefore) इस दिन सोना, चांदी और नए बर्तन खरीदना अत्यंत शुभ माना जाता है। इसके अलावा (Moreover ) शास्त्रों के अनुसार त्रयोदशी तिथि में प्रदोष काल में पूजा करने से माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है और घर में धन-धान्य, स्वास्थ्य और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है। अतः (Hence) धनतेरस( Dhanteras Puja Vidhi) हमें भौतिक और आध्यात्मिक दोनों तरह की समृद्धि का संदेश देता है, जिससे घर और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
