कफ सिरप से मासूमों की मौत पर मध्य प्रदेश की सरकार एक्शन में नज़र आ रही है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कोल्ड्रिफ सिरप की बिक्री पर रोक लगा दी है। CM ने X पोस्ट कर कहा, ‘छिंदवाड़ा में कोल्ड्रिफ सिरप के कारण हुई बच्चों की मृत्यु दुखद है। इस सिरप की बिक्री को पूरे MP में बैन कर दिया गया है।
राज्य सरकार द्वारा तमिलनाडु सरकार को जांच के लिए कहा गया था, क्योंकि यह सिरप बनाने वाली फैक्ट्री कांचीपुरम में है। तमिलनाडु एफडीए से 3 अक्टूबर 2025 की शाम प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार, कोल्ड्रिफ कफ सिरप के सैंपल में DEG (डायथिलीन ग्लाइकॉल) की मात्रा तय सीमा से अधिक पाई गई है।
जहरीला केमिकल मिला: कफ सिरप बैन MP क्यों? (Why the Ban?)
सैंपल की जांच में यह जानकारी सामने आई है कि सिरप के नमूने मिलावटी पाए गए हैं, क्योंकि (because) इसमें डायथिलीन ग्लाइकॉल (48.6% w/v) है, जो एक जहरीला पदार्थ है। यह सामग्री दवा को स्वास्थ्य के लिए हानिकारक बना सकती है। इसलिए (Therefore), मुख्यमंत्री ने कोल्ड्रिफ सिरप की बिक्री को तुरंत रोकने का निर्देश दिया है।
CM डॉ. मोहन यादव के कड़े निर्देश
मुख्यमंत्री द्वारा जारी आदेश में, अधिकारियों को तत्काल और कड़े निर्देश दिए गए हैं:
- संबंधित औषधि की बिक्री तत्काल प्रभाव से रोकें और अपने अधिकार क्षेत्र में इसकी अनुपलब्धता सुनिश्चित करें।
- यदि विषयगत औषधि उपलब्ध पाई जाती है, तो उसे तुरंत फ्रीज कर दिया जाए और नियमों के अनुसार आवश्यक कार्रवाई की जाए।
- परीक्षण के लिए औषधि का नमूना लेकर तुरंत प्रयोगशालाओं को भेजा जाए।
- अन्य बैचों के कोल्ड्रिफ सिरप की उपलब्धता न हो। यदि उपलब्ध हो, तो नमूने लें और तुरंत फ्रीज करें।

कंपनी के अन्य उत्पादों पर भी रोक: कफ सिरप बैन MP की व्यापक कार्रवाई
राज्य सरकार ने व्यापक जनहित में श्रीसन फार्मास्युटिकल, नंबर 787, बंगलौर हाईवे, सुंगुवाचत्रम (मथुरा) कांचीपुरम द्वारा निर्मित अन्य सभी उत्पादों की बिक्री और वितरण को रोकने और परीक्षण/विश्लेषण के लिए कानूनी नमूने लेने का निर्देश दिया है।
दोषियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा और इस मामले में जांच के लिए राज्य स्तर पर भी एक टीम बनाई गई है।
केंद्रीय जांच और आगे की प्रक्रिया
स्थानीय कार्रवाई के साथ-साथ, केंद्र सरकार भी सक्रिय है:
- केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, CDSCO ने कुल 6 सैंपल लिए थे, जिनकी जांच में DEG/EG नहीं पाया गया। इसी तरह, मध्य प्रदेश एफडीए के 13 सैंपल में से 3 में भी DEG/EG नहीं मिला था।
- हालांकि, 3 अक्टूबर 2025 से देश के 6 राज्यों में स्थित 19 दवा कंपनियों पर जोखिम आधारित जांच (रिस्क बेस्ड इंस्पेक्शन) शुरू की गई है।
- इसके अलावा (Moreover), मौतों के कारणों की जांच के लिए विशेषज्ञों (NIV, ICMR, NEERI, CDSCO और AIIMS नागपुर) की एक बहु-विषयक टीम भी छिंदवाड़ा में जांच कर रही है।
यह दिखाता है कि कफ सिरप बैन MP का निर्णय बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए लिया गया एक कठोर कदम है।
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