श्रीहरिकोटा लॉन्चपैड पर LVM-3 रॉकेट को CMS-03 उपग्रह के साथ लॉन्च की तैयारी में भेजा गया।

ISRO ने LVM-3 रॉकेट को लॉन्चपैड पर भेजा, 2 नवंबर को नौसेना के संचार उपग्रह CMS-03 (GSAT-7R) का प्रक्षेपण तय

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ISRO ने श्रीहरिकोटा से CMS-03 (GSAT-7R) मिशन की तैयारी पूरी की, LVM-3 रॉकेट लॉन्चपैड पर पहुँचा

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने शुक्रवार को एक और ऐतिहासिक कदम उठाया, जब उसने अपने शक्तिशाली LVM-3 (Launch Vehicle Mark-3) रॉकेट को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के लॉन्चपैड पर पहुंचाया। इस रॉकेट के माध्यम से भारत 2 नवंबर को भारतीय नौसेना के संचार उपग्रह CMS-03 (GSAT-7R) का प्रक्षेपण करेगा।

इस मिशन को भारत की सामरिक और रक्षा क्षमताओं को और मजबूत करने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है। यह उपग्रह भारतीय नौसेना को समुद्री निगरानी और संचार नेटवर्क में उच्च तकनीकी सहायता प्रदान करेगा।

LVM-3: भारत का शक्तिशाली रॉकेट

LVM-3, जिसे पहले GSLV Mk-III के नाम से जाना जाता था, इसरो का सबसे शक्तिशाली लॉन्च व्हीकल है। यह रॉकेट 4 टन तक के उपग्रहों को भू-स्थिर कक्षा (GEO) में स्थापित करने में सक्षम है। इसी रॉकेट का उपयोग भारत ने चंद्रयान-3 मिशन के प्रक्षेपण के लिए भी किया था, जिसने 2023 में चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग कर भारत को गौरवान्वित किया था।

CMS-03 उपग्रह के साथ यह रॉकेट एक बार फिर अपनी क्षमता और विश्वसनीयता साबित करने के लिए तैयार है। इसरो के वैज्ञानिकों के अनुसार, लॉन्च से पहले सभी तकनीकी और संरचनात्मक जांच पूरी कर ली गई हैं।

CMS-03 (GSAT-7R): नौसेना का नया संचार प्रहरी

CMS-03, जिसे GSAT-7R के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय नौसेना के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया है। यह उपग्रह समुद्री अभियानों, संचार, निगरानी और नेटवर्क सुरक्षा को सशक्त बनाएगा।
इससे नौसेना को हिंद महासागर क्षेत्र में अधिक बेहतर और सुरक्षित संचार सुविधा मिलेगी, जो आधुनिक नौसैनिक अभियानों के लिए अत्यंत आवश्यक है।

GSAT-7R उपग्रह भारत की “नेटवर्क-सेंट्रिक वॉरफेयर” क्षमताओं को भी बढ़ाएगा। यह उपग्रह नौसेना के जहाजों, पनडुब्बियों और विमान इकाइयों को रीयल-टाइम डेटा लिंक प्रदान करेगा, जिससे संचार बाधाओं को कम किया जा सकेगा।

इसरो की तैयारियों का अंतिम चरण

इसरो ने मिशन की अंतिम तैयारियां पूरी कर ली हैं। लॉन्च से पहले रॉकेट इंटीग्रेशन, फ्यूल लोडिंग, और काउंटडाउन सिस्टम की जांच की जा चुकी है। वैज्ञानिकों ने बताया कि मौसम की स्थिति की निगरानी लगातार की जा रही है और यदि सभी परिस्थितियाँ अनुकूल रहीं, तो प्रक्षेपण 2 नवंबर की शाम को निर्धारित समय पर होगा।

मिशन डायरेक्टर डॉ. एस. सोमनाथ ने बताया,

“CMS-03 मिशन भारत की सामरिक क्षमताओं को नए स्तर पर ले जाएगा। यह उपग्रह देश की समुद्री सीमाओं की निगरानी में एक प्रमुख तकनीकी संपत्ति सिद्ध होगा।”

भारत की रक्षा संचार श्रृंखला को मजबूती

CMS-03, GSAT-7 श्रृंखला का हिस्सा है — इस श्रृंखला में पहले से ही GSAT-7 (Rukmini), GSAT-7A, और GSAT-7B जैसे उपग्रह कार्यरत हैं। ये सभी भारतीय सशस्त्र बलों को विशेष संचार सेवाएँ प्रदान करते हैं।

CMS-03 की तैनाती के बाद नौसेना की संचार क्षमता में 30% से अधिक सुधार होने की उम्मीद है। यह उपग्रह सुरक्षित बैंडविड्थ और विस्तृत कवरेज के साथ उच्च गति डेटा ट्रांसमिशन सक्षम करेगा, जिससे मिशन संचालन और आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रणाली को बेहतर बनाया जा सकेगा।

श्रीहरिकोटा से नई उम्मीदें

सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा, देश के सभी प्रमुख अंतरिक्ष मिशनों का केंद्र रहा है। LVM-3 को लॉन्चपैड पर ले जाने के साथ ही वहां वैज्ञानिकों और तकनीशियनों में उत्साह का माहौल है।
लॉन्च साइट पर काउंटडाउन क्लॉक सक्रिय कर दी गई है और मिशन रिहर्सल का अंतिम चरण शुरू हो गया है।

विशेषज्ञों के अनुसार, यदि यह मिशन सफल होता है, तो भारत रक्षा उपग्रह संचार क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक और बड़ी छलांग लगाएगा।

राष्ट्रीय सुरक्षा में अंतरिक्ष की भूमिका

बीते कुछ वर्षों में भारत ने रक्षा उद्देश्यों के लिए अंतरिक्ष तकनीक का व्यापक उपयोग किया है। 2013 में GSAT-7 के प्रक्षेपण के बाद नौसेना को अंतरिक्ष-आधारित संचार में विशेष मजबूती मिली थी। अब CMS-03 मिशन इस नेटवर्क को और विस्तारित करेगा।

भारत की अंतरिक्ष-आधारित निगरानी क्षमताएँ हिंद महासागर क्षेत्र में चीन और अन्य देशों की गतिविधियों पर नज़र रखने में अहम भूमिका निभाएंगी।

ISRO के मिशनों की सफलता दर

इसरो ने हाल के वर्षों में लगातार सफल प्रक्षेपणों का रिकॉर्ड कायम किया है।
2023 का चंद्रयान-3 मिशन और 2024 का PSLV-C58 मिशन ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की तकनीकी क्षमता को साबित किया।
LVM-3 का यह नया मिशन भारत की “आत्मनिर्भर अंतरिक्ष रणनीति” की दिशा में एक और मील का पत्थर साबित हो सकता है।

समापन

2 नवंबर को जब LVM-3 रॉकेट CMS-03 उपग्रह को अंतरिक्ष में ले जाएगा, तब न केवल भारत की नौसेना बल्कि पूरा देश एक और गौरवशाली क्षण का साक्षी बनेगा।
इस मिशन की सफलता भारत की अंतरिक्ष तकनीक को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगी और राष्ट्रीय सुरक्षा के क्षेत्र में “स्वदेशी नवाचार” का एक और अध्याय जोड़ेगी।

Tags: ISRO, LVM-3, CMS-03, GSAT-7R, Indian Navy Satellite, Space Launch, Sriharikota, Defence Communication, Indian Space Programme, भारत अंतरिक्ष मिशन

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