नई दिल्ली।
भारत की संस्कृति और आस्था में दुर्गा पूजा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि उत्सव और उल्लास का पर्व है। नवरात्रि के नौ दिन जहां पूरे देश में देवी दुर्गा की आराधना के लिए समर्पित रहते हैं, वहीं बंगाल, ओडिशा, असम और पूर्वोत्तर भारत में यह पर्व दुर्गा पूजा के रूप में भव्य उत्सव का रूप लेता है। ढाक की थाप, पंडालों की सजावट और मां की आरती के बीच सप्तमी का दिन विशेष महत्व रखता है, क्योंकि इसी दिन नवपत्रिका पूजन होता है। यह पूजन देवी दुर्गा के आगमन का प्रतीक है और इसे दुर्गा पूजा का औपचारिक आरंभ माना जाता है।
नवपत्रिका पूजन का शुभ मुहूर्त
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तारीख: 29 सितंबर 2025, सोमवार
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अरुणोदय: सुबह 05:49 बजे
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सूर्योदय: सुबह 06:15 बजे
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सप्तमी तिथि की शुरुआत: 28 सितंबर दोपहर 02:27 बजे
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सप्तमी तिथि की समाप्ति: 29 सितंबर शाम 04:31 बजे
नवपत्रिका पूजन की विधि
महासप्तमी को भक्त विशेष श्रद्धा के साथ नवपत्रिका की स्थापना करते हैं। इसे कोलाबोऊ या कल्लाबोऊ पूजा भी कहा जाता है।
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इस दिन नौ पौधों के पत्तों को पवित्र जल में स्नान कराकर लाल/नारंगी वस्त्र में लपेटा जाता है।
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इन पत्तों को देवी दुर्गा की प्रतिमा के समीप स्थापित किया जाता है।
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परंपरा के अनुसार नवपत्रिका को गणेश जी की पत्नी का रूप माना जाता है और इसे भगवान गणेश की प्रतिमा के दाईं ओर रखा जाता है।
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इसके बाद देवी की प्राण प्रतिष्ठा की जाती है और षोडषोपचार विधि से पूजन संपन्न होता है।
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पूजा के दौरान प्रतिमा के सामने रखा आईना, जिस पर देवी का प्रतिबिंब दिखाई देता है, उसे महास्नान कहा जाता है।
नौ पत्तों का महत्व
नवपत्रिका में शामिल केला, हल्दी, दारुहल्दी, अनार, अशोक, धान, अमलतास, जयंती और बेलपत्र—मां दुर्गा के नौ रूपों का प्रतीक हैं। धार्मिक मान्यता है कि इस पूजन से देवी प्रसन्न होकर भक्तों को सुख, शांति और समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं। खासकर किसानों के लिए यह पर्व शुभ फसल का संकेत लेकर आता है।
दुर्गा पूजा 2025 की खास तिथियां
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षष्ठी (28 सितंबर): कलश स्थापना और देवी का आवाहन
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सप्तमी (29 सितंबर): नवपत्रिका पूजन
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महाअष्टमी (30 सितंबर): संधि पूजा, महाभोग और विशेष आराधना
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महानवमी (1 अक्टूबर): बलिदान और हवन
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विजयादशमी (2 अक्टूबर): सिंदूर खेला और देवी विसर्जन
आस्था और संस्कृति का संगम
नवपत्रिका पूजन केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि प्रकृति और जीवन का उत्सव है। यह पूजा देवी शक्ति के आगमन की प्रतीक है और इस दिन से पंडालों, आरती और भजनों की गूंज से वातावरण और भी पावन हो जाता है। बंगाल में इसे कोलाबोऊ के रूप में पूजकर परिवार और समाज की एकता का संदेश दिया जाता है।
इस प्रकार, सप्तमी का नवपत्रिका पूजन दुर्गा पूजा की आत्मा माना जाता है, जो भक्तों को मां के आशीर्वाद से शक्ति और समृद्धि प्रदान करता है।