भारत में हर चुनाव से पहले मतदाता सूची यानी वोटर लिस्ट को अपडेट करने की प्रक्रिया शुरू होती है। इस दौरान नए नाम जोड़े जाते हैं, पुराने या गलत नाम हटाए जाते हैं और डाटा में सुधार भी किया जाता है। लेकिन अक्सर इस प्रक्रिया में गड़बड़ियां सामने आती हैं। कई बार मतदाताओं के नाम बिना जानकारी हट जाते हैं। इन गड़बड़ियों को रोकने और पारदर्शिता लाने के लिए चुनाव आयोग ने अब ई-साइन वेरिफिकेशन सिस्टम लॉन्च किया है।
क्या है ई-साइन सिस्टम?
ई-साइन एक डिजिटल पहचान सत्यापन प्रक्रिया है। इसके तहत जो भी व्यक्ति वोटर लिस्ट में नाम जोड़ने (Form-6), नाम हटाने (Form-7) या सुधार (Form-8) का आवेदन करेगा, उसे ई-साइन के जरिए अपनी पहचान की पुष्टि करनी होगी।
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आवेदन के समय आवेदक को अपना आधार नंबर दर्ज करना होगा।
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आधार से लिंक मोबाइल पर भेजे गए ओटीपी (वन टाइम पासवर्ड) से वेरिफिकेशन होगा।
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ओटीपी दर्ज करने और सहमति देने के बाद ही आवेदन स्वीकार होगा।
इसका मतलब है कि अब बिना आधार आधारित वेरिफिकेशन कोई भी आवेदन आगे नहीं बढ़ पाएगा।
वेरिफिकेशन की पूरी प्रक्रिया
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सबसे पहले नागरिक को ECINET पोर्टल या मोबाइल ऐप पर संबंधित फॉर्म भरना होगा।
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इसके बाद सिस्टम स्वतः आवेदक को ई-साइन पोर्टल पर ले जाएगा।
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यहाँ आधार नंबर दर्ज करने के बाद, आधार से जुड़े मोबाइल पर ओटीपी आएगा।
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ओटीपी डालकर सहमति देने के बाद ही आवेदन ECINET पोर्टल पर वापस भेजा जाएगा और सबमिट किया जा सकेगा।
क्यों पड़ी इस बदलाव की ज़रूरत?
हाल ही में कई राज्यों से वोटर लिस्ट से नाम हटाने को लेकर विवाद सामने आए। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कर्नाटक के आलंद इलाके में लगभग 6,000 मतदाताओं के नाम हटाने की कोशिश का आरोप लगाया था। पहले बिना किसी सख्त वेरिफिकेशन के भी आवेदन संभव था, जिससे गलत तरीके से नाम हटाए जाने की घटनाएँ होती थीं।
इसी तरह के मामलों को रोकने और फर्जी आवेदन पर अंकुश लगाने के लिए आयोग ने यह कदम उठाया है।
ई-साइन सिस्टम के फायदे
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फर्जी आवेदन और मतदाता पहचान के दुरुपयोग पर रोक लगेगी।
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वोटर लिस्ट की प्रक्रिया अब ज्यादा पारदर्शी और सुरक्षित बनेगी।
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मतदाताओं को भरोसा रहेगा कि उनका नाम बिना जानकारी के सूची से नहीं हटेगा।
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चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता और निष्पक्षता मजबूत होगी।
चुनौतियाँ भी मौजूद
हालांकि यह सिस्टम कई मायनों में बेहतर है, लेकिन कुछ चुनौतियाँ भी सामने आ सकती हैं।
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जिनका आधार और वोटरकार्ड का डाटा मेल नहीं खाता, उन्हें परेशानी हो सकती है।
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जिन मतदाताओं का मोबाइल नंबर आधार से लिंक नहीं है, वे ई-साइन प्रक्रिया पूरी नहीं कर पाएंगे।
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तकनीकी जानकारी की कमी वाले ग्रामीण और बुजुर्ग मतदाताओं को यह डिजिटल प्रक्रिया मुश्किल लग सकती है।
निष्कर्ष
चुनाव आयोग का ई-साइन सिस्टम मतदाता सूची को फर्जीवाड़े से बचाने और पारदर्शिता लाने की दिशा में ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है। भले ही शुरुआत में कुछ चुनौतियाँ आएँ, लेकिन लंबे समय में यह प्रणाली चुनाव प्रक्रिया को और मजबूत और विश्वसनीय बनाएगी।