दिल्ली की सुमन देवी (60 वर्ष) कई सालों से घुटनों और कमर के दर्द से परेशान थीं। दवाइयों से राहत न मिलने पर उन्होंने एक बड़े प्राइवेट अस्पताल का रुख किया। वहां डॉक्टरों ने बताया कि घुटनों की ग्रीस खत्म हो रही है और दर्द से छुटकारा पाने के लिए नी रिप्लेसमेंट सर्जरी ही एकमात्र उपाय है। बेटे की सहमति से सर्जरी कराई गई और कुछ महीनों तक आराम भी मिला। लेकिन जल्द ही दर्द फिर से लौट आया।
जब सुमन ने दोबारा उसी अस्पताल में डॉक्टर से परामर्श लिया, तो उन्हें जवाब मिला कि हर मरीज में नी ट्रांसप्लांट सफल नहीं होता। कई महीनों तक पेनकिलर्स पर गुजारा करने के बाद, एक रिश्तेदार की सलाह पर सुमन एम्स पहुँचीं। जांच के बाद डॉक्टरों ने पाया कि उनकी असली समस्या घुटनों में नहीं, बल्कि स्पाइन (रीढ़ की हड्डी) में थी। निचले हिस्से की नसें दब रही थीं, जिससे दर्द घुटनों तक फैल रहा था। अब एम्स में सही इलाज मिलने पर सुमन पूरी तरह ठीक हो गईं।
क्यों होती है ऐसी गलती?
एम्स के आर्थोपेडिक विभाग के प्रोफेसर डॉ. भावुक गर्ग के अनुसार, कई बार मरीज और डॉक्टर दोनों ही घुटनों और स्पाइन के दर्द में फर्क नहीं कर पाते।
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स्पाइन (रीढ़ की हड्डी) शरीर को सीधा खड़ा रखने और नसों के जरिए सिग्नल पहुंचाने का काम करती है। जब इसमें समस्या होती है तो दर्द कमर से होते हुए पैरों और घुटनों तक पहुँच सकता है।
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घुटनों का दर्द मुख्य रूप से हड्डियों और जोड़ों के घिसने, कमजोरी या उम्र बढ़ने के कारण होता है। इसमें सूजन, जकड़न और चलने-फिरने में कठिनाई सामान्य लक्षण हैं।
गलत पहचान की वजह से कई मरीजों के घुटनों का ट्रांसप्लांट कर दिया जाता है, जबकि असली दिक्कत स्पाइन में होती है।
कैसे पहचानें दर्द का सही कारण?
डॉ. गर्ग के अनुसार, कुछ सामान्य लक्षणों से पता लगाया जा सकता है कि परेशानी घुटनों में है या स्पाइन में:
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अगर घुटनों में सूजन है और मूवमेंट से दर्द बढ़ता है → यह नी जॉइंट की समस्या का संकेत है।
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अगर दर्द कमर से शुरू होकर पैरों तक फैल रहा है और इसके साथ सुन्नपन भी है → यह स्पाइन की समस्या हो सकती है।
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स्पाइन का दर्द आराम करने से कम हो जाता है
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, जबकि घुटनों का दर्द एक्टिविटी या मूवमेंट से बढ़ता है।
क्यों जरूरी है सही जांच?
डॉक्टरों के मुताबिक, किसी भी मरीज को नी रिप्लेसमेंट कराने से पहले फिजिकल टेस्ट और इमेजिंग करवाना जरूरी है। इससे यह स्पष्ट हो पाता है कि समस्या असल में घुटनों में है या स्पाइन में।
मरीजों के लिए सलाह
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लंबे समय से जारी कमर से घुटनों तक का दर्द स्पाइन से जुड़ा हो सकता है।
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नी रिप्लेसमेंट कराने से पहले कम से कम दो-तीन विशेषज्ञ डॉक्टरों की राय जरूर लें।
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MRI और X-Ray जैसी जांचें सही डायग्नोसिस के लिए बेहद जरूरी हैं।
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बेवजह सर्जरी से बचने के लिए सेकंड ओपिनियन लेना हमेशा फायदेमंद है।
यह केस बताता है कि घुटनों और स्पाइन के दर्द को लेकर सतर्क रहना कितना जरूरी है। गलत डायग्नोसिस न सिर्फ आर्थिक बोझ बढ़ा सकता है बल्कि मरीज को सालों तक अनावश्यक दर्द भी झेलना पड़ सकता है।