राजस्थान सरकार ने भारी वर्षा और बाढ़ से हुई फसलों की क्षति के चलते 7.63 लाख से अधिक किसानों के लिए राहत पैकेज की घोषणा की है। राज्य सरकार ने इनपुट सब्सिडी के रूप में करोड़ों रुपये की सहायता स्वीकृत की है, ताकि किसानों को फसल नुकसान की भरपाई में मदद मिल सके। यह निर्णय राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया, जिसमें मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने प्रभावित क्षेत्रों की स्थिति की समीक्षा की।
भारी वर्षा से फसलों को भारी नुकसान
पिछले कुछ महीनों में राजस्थान के कई जिलों — जैसे कोटा, बूंदी, झालावाड़, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, और उदयपुर — में अत्यधिक वर्षा और बाढ़ जैसी स्थिति देखी गई।
इन इलाकों में धान, मक्का, सोयाबीन, मूंग, उड़द और तिल जैसी फसलें जलभराव के कारण बर्बाद हो गईं।
कृषि विभाग की प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में 10 लाख हेक्टेयर से अधिक कृषि भूमि इस आपदा से प्रभावित हुई है।
राज्य सरकार ने इन जिलों के कृषि अधिकारियों से विस्तृत सर्वे रिपोर्ट प्राप्त की, जिसके आधार पर किसानों को राहत राशि स्वीकृत करने का निर्णय लिया गया।
कितनी राशि मिलेगी किसानों को
सरकार द्वारा स्वीकृत योजना के अनुसार, फसल क्षति के स्तर के आधार पर किसानों को इनपुट सब्सिडी दी जाएगी।
- जिन किसानों की फसल का 33% से अधिक नुकसान हुआ है, उन्हें प्रति हेक्टेयर ₹6,800 तक की सहायता मिलेगी।
- 50% से अधिक नुकसान की स्थिति में यह राशि बढ़ाकर ₹13,500 प्रति हेक्टेयर तक दी जाएगी।
- छोटी और सीमांत जोत वाले किसानों को प्राथमिकता दी जाएगी।
राज्य सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि राहत राशि सीधा किसानों के बैंक खातों में डीबीटी (Direct Benefit Transfer) के माध्यम से जमा की जाएगी, ताकि पारदर्शिता बनी रहे और भ्रष्टाचार की कोई संभावना न रहे।
मुख्यमंत्री का बयान
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा —
“हमारा किसान हमारे राज्य की रीढ़ है। प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित हर किसान तक सरकार की सहायता पहुँचाना हमारी जिम्मेदारी है। किसी भी किसान को संकट में अकेला नहीं छोड़ा जाएगा।”
उन्होंने संबंधित विभागों को निर्देश दिए हैं कि सभी जिलों में राहत वितरण प्रक्रिया को तेजी से पूरा किया जाए और कोई पात्र किसान वंचित न रहे।
जिलावार राहत कार्यों की शुरुआत
राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (RSDMA) ने राहत कार्यों की निगरानी शुरू कर दी है।
कोटा, बारां, बूंदी, झालावाड़, उदयपुर और डूंगरपुर जिलों में पहले चरण में किसानों के बैंक खातों में सहायता राशि ट्रांसफर की जाएगी।
इन जिलों में कुल 3.2 लाख किसानों को पहले चरण में सहायता मिलेगी, जबकि शेष प्रभावित किसानों को अगले चरण में सब्सिडी प्रदान की जाएगी।
कृषि विभाग की भूमिका
राजस्थान कृषि विभाग ने फसल क्षति आकलन के लिए ड्रोन सर्वे और सैटेलाइट इमेजरी का इस्तेमाल किया है।
इससे नुकसान का वास्तविक आंकलन किया गया और उसी के अनुसार राहत राशि का निर्धारण किया गया।
कृषि मंत्री किरण माहेश्वरी ने कहा —
“हम किसानों को न केवल आर्थिक सहायता दे रहे हैं बल्कि अगली फसल के लिए बीज और खाद की आपूर्ति भी सुनिश्चित कर रहे हैं।”
इसके अतिरिक्त, सरकार ने बीज निगम के माध्यम से कृषि इनपुट किट प्रदान करने की योजना बनाई है, जिसमें खाद, बीज और कीटनाशक शामिल होंगे।
केंद्र सरकार से भी राहत की उम्मीद
राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से भी वित्तीय सहायता की मांग की है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के तहत किसानों को जल्द से जल्द दावा राशि दिलाई जाएगी।
इसके लिए केंद्र को रिपोर्ट भेजी जा चुकी है।
कृषि सचिव आर.के. गुप्ता ने बताया कि राज्य ने केंद्र से लगभग ₹1,200 करोड़ के अतिरिक्त राहत पैकेज की मांग की है, ताकि प्रभावित किसानों को और अधिक सहायता मिल सके।
किसानों में राहत की भावना
इस घोषणा के बाद राज्यभर के किसानों में राहत की भावना देखने को मिली है।
कोटा जिले के किसान रामलाल मीणा ने कहा —
“हमारी पूरी फसल पानी में डूब गई थी। अब सरकार ने जो राहत दी है, उससे अगली फसल बोने की उम्मीद जगी है।”
वहीं झालावाड़ की किसान रीना चौधरी ने कहा कि सरकार अगर समय पर सहायता राशि दे देती है, तो यह कदम किसानों के लिए बड़ी राहत साबित होगा।
विपक्ष की प्रतिक्रिया
विपक्षी दलों ने राहत पैकेज का स्वागत करते हुए सरकार से पारदर्शिता की अपील की है।
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा —
“यह एक स्वागतयोग्य कदम है, लेकिन यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि वास्तविक किसान तक सहायता पहुँचे, न कि केवल कागजों में।”
स्थानीय प्रशासन को सख्त निर्देश
राज्य सरकार ने सभी जिलाधिकारियों को राहत वितरण की निगरानी का जिम्मा सौंपा है।
सरकार ने कहा है कि जिन किसानों के नाम सूची में नहीं आए हैं, वे स्थानीय प्रशासन से संपर्क कर सत्यापन करा सकते हैं।
इसके लिए प्रत्येक जिले में हेल्प डेस्क और ऑनलाइन शिकायत पोर्टल शुरू किया गया है।
भविष्य के लिए दीर्घकालिक योजना
राजस्थान सरकार ने इस अवसर पर यह भी घोषणा की कि भविष्य में प्राकृतिक आपदाओं से किसानों को कम नुकसान हो, इसके लिए दीर्घकालिक योजनाएं तैयार की जाएंगी।
इसमें शामिल हैं:
- जल निकासी और सिंचाई प्रणालियों में सुधार
- जल संरक्षण अभियान
- बीज भंडारण और फसल बीमा कवरेज का विस्तार
- फसल विविधीकरण के लिए किसानों को प्रोत्साहन
कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभाव के चलते अब स्थायी समाधान की आवश्यकता है।
समापन
राजस्थान सरकार द्वारा भारी वर्षा से प्रभावित किसानों के लिए इनपुट सब्सिडी स्वीकृत करने का निर्णय लाखों किसानों के लिए राहत लेकर आया है।
यह कदम न केवल फसल नुकसान की भरपाई में मदद करेगा, बल्कि किसानों के आत्मविश्वास को भी पुनर्जीवित करेगा।
राज्य सरकार की इस पहल से यह स्पष्ट होता है कि किसान कल्याण उसके नीति एजेंडा का केंद्र बिंदु है।
यदि सहायता राशि समय पर वितरित की जाती है, तो यह कदम राजस्थान की कृषि अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगा।
