दिल की बीमारी आज की जीवनशैली की सबसे गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है। हालांकि सही खानपान, नियमित एक्सरसाइज और समय पर चेकअप से इसे काफी हद तक रोका जा सकता है, लेकिन अगर परिवार में पहले से किसी को हार्ट की समस्या रही हो, तो अगली पीढ़ियों के लिए खतरा बढ़ जाता है। परिवारिक इतिहास में हार्ट अटैक या स्ट्रोक होने का मतलब यह नहीं कि आपको भी यह बीमारी होगी, लेकिन यह चेतावनी है कि आपको अपनी दिल की सेहत पर और अधिक ध्यान देने की जरूरत है।
अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (AHA) और अमेरिकन स्ट्रोक एसोसिएशन (ASA) की रिसर्च के अनुसार, जिन लोगों के परिवार में पहले हार्ट अटैक या स्ट्रोक की घटना हुई है, उन्हें 1.5 से 2 गुना अधिक जोखिम रहता है। यह खतरा तब और बढ़ जाता है जब मरीज की उम्र 55 साल से कम हो।
परिवारिक इतिहास जानना और जोखिम का मूल्यांकन
राजीव गांधी हॉस्पिटल के कार्डियोलॉजी विशेषज्ञ डॉ. अजीत जैन के अनुसार, सबसे पहला कदम है परिवारिक इतिहास को समझना। आपको यह पता होना चाहिए कि आपके माता-पिता, दादा-दादी या चाचा-चाची में हार्ट की समस्या रही है या नहीं।
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नियमित ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल, ब्लड शुगर और ईसीजी टेस्ट कराएं।
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छोटी चेतावनियों को अनदेखा न करें, जैसे छाती में दर्द, सांस लेने में कठिनाई या असामान्य थकान।
खानपान और हृदय स्वास्थ्य
दिल की सुरक्षा के लिए संतुलित आहार बेहद महत्वपूर्ण है।
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तली-भुनी चीजें, रेड मीट और अधिक शुगर वाली चीजों से बचें।
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थाली में शामिल करें सब्ज़ियां, फल, दालें, ओट्स और साबुत अनाज।
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ओमेगा-3 फैटी एसिड युक्त चीजें जैसे अखरोट, अलसी के बीज और मछली हृदय के लिए फायदेमंद हैं।
एक्सरसाइज और सक्रिय जीवनशैली
अगर परिवार में हार्ट प्रॉब्लम है, तो खुद को फिट और सक्रिय रखना जरूरी है।
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रोजाना कम से कम 30 मिनट वॉक करें।
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योग, स्ट्रेचिंग और हल्की एक्सरसाइज ब्लड प्रेशर और हार्ट रेट को नियंत्रित करती हैं।
तनाव को कम करें
तनाव हृदय रोग का सबसे बड़ा खतरा है।
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लगातार स्ट्रेस वाले लोगों में हार्ट अटैक का जोखिम अधिक होता है।
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मेडिटेशन, प्राणायाम और म्यूजिक थेरेपी जैसी तकनीकें तनाव कम करने में मददगार हैं।
समय पर हेल्थ चेकअप
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जिनके परिवार में हार्ट रोग है, उन्हें 30 साल की उम्र के बाद नियमित चेकअप कराना चाहिए।
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ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल, शुगर लेवल और ईसीजी टेस्ट समय-समय पर कराएं।
स्मोकिंग और अल्कोहल से दूरी
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धूम्रपान और अधिक शराब का सेवन हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा बढ़ाते हैं।
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अपनी सेहत की सुरक्षा के लिए इन्हें पूरी तरह से छोड़ दें।
दवाओं की तैयारी
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जिन लोगों को हार्ट अटैक का जोखिम अधिक है, उनके पास हमेशा एस्पिरिन और सोर्बिट्रेट 5 एमजी जैसी दवाएं उपलब्ध होनी चाहिए।
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हार्ट अटैक के लक्षण दिखाई देते ही तुरंत दवाएं लें।