Work Culture Improvement: हाल ही में, महाराष्ट्र के Labour Commissioner के अधिकारियों ने पुणे में अर्न्स्ट एंड यंग (EY) के ऑफिस का दौरा किया। यह कदम 26 साल की चार्टर्ड अकाउंटेंट अन्ना सेबास्टियन पेरीयल की दुखद मौत के बाद उठाया गया। अन्ना की मां का कहना है कि उनकी बेटी की जान काम के बहुत ज्यादा दबाव की वजह से गई।
माँ का पत्र और आरोप
अन्ना की माँ ने एक पत्र में लिखा कि उनकी बेटी ने लगातार काम करने के कारण दिल का दौरा पड़ने से दम तोड़ दिया। उन्होंने यह भी कहा कि अन्ना को कंपनी की ओर से बहुत ज्यादा दबाव का सामना करना पड़ा। इस पत्र ने न केवल परिवार की चिंताओं को उजागर किया, बल्कि समाज में इस मुद्दे को भी महत्वपूर्ण बना दिया।
जांच की शुरुआत
अन्ना के मामले के बाद, महाराष्ट्र सरकार ने तुरंत कार्रवाई करते हुए EY के ऑफिस का निरीक्षण शुरू किया। श्रम आयुक्त के अधिकारी वहां पहुंचे और कार्यस्थल के माहौल का जायजा लिया। उनका कहना है कि इस मामले की गंभीरता को देखते हुए एक विस्तृत जांच की जाएगी, ताकि यह समझा जा सके कि क्या वास्तव में काम के बोझ के कारण कोई समस्या थी।
EY का जवाब
जांच के बढ़ने के साथ ही, EY ने अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि उनकी कर्मचारी की मौत और काम के बोझ के बीच कोई सीधा संबंध नहीं है। कंपनी ने बताया कि वे हमेशा अपने कर्मचारियों की भलाई का ख्याल रखते हैं और उन्हें उचित काम के घंटे देने का प्रयास करते हैं। उन्होंने कहा कि वे परिवार के प्रति संवेदनशील हैं और इस मामले को गंभीरता से ले रहे हैं।
सोशल मीडिया पर चर्चा
अन्ना का मामला सोशल मीडिया पर काफी चर्चा में रहा। उनकी माँ का पत्र, जिसमें काम के तनाव का जिक्र था, तेजी से वायरल हो गया। लोगों ने इस पर अपनी राय दी और कई ने कार्यस्थल पर तनाव के मुद्दे को उठाया। यह मामला न केवल अन्ना के परिवार के लिए बल्कि समाज के लिए भी एक जागरूकता का विषय बन गया।
श्रम मंत्री की बातें
19 सितंबर को केंद्रीय श्रम मंत्री शोभा करंदलजे ने इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि “असुरक्षित और शोषणकारी कार्य वातावरण के आरोपों की गहन जांच चल रही है।” यह बयान इस बात का संकेत है कि सरकार इस मुद्दे को गंभीरता से ले रही है और कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा के लिए कदम उठाने को तैयार है।
आगे का रास्ता
जांच अभी जारी है, और आगे की कार्रवाई कंपनी की औपचारिक प्रतिक्रिया और निरीक्षण रिपोर्ट के निष्कर्षों पर निर्भर करेगी। उम्मीद है कि इस मामले से कार्यस्थल की स्थितियों में सुधार होगा और भविष्य में कर्मचारियों के साथ किसी भी प्रकार का अन्याय न हो।
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