WHO Warning on Ear Buds: आजकल की भाग दौड़ भरी जिंदगी में हमारी जरूरत का हिस्सा ऐसी चीज बन गई है जो लॉन्ग टर्म में हमें काफी नुकसान पहुंचा सकते हैं। जिनमें से एक है हेडफोन, इयरफोंस, इयरबड्स, जिनका इस्तेमाल आजकल काफी आम हो गया है साथ ही कुछ लोग तो पूरे दिन ही अपने कानों में इयरबड्स या फिर एयरफोन लगाकर रखते हैं। लोगों का यह शौक है तो कुछ लोगों को अपने काम के चलते ऐसा करना पड़ता है।
क्या दावा किया है WHO ने
हो ने हाल ही में जारी की अपनी रिपोर्ट में यह दावा किया है कि 2050 तक हर 4 में से एक व्यक्ति बहरेपन का शिकार हो सकता है। इसकी वजह इयररफोन हेडफोंस इयरबड्स, जरूर से ज्यादा इस्तेमाल करना है।
WHO ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि आज लगभग 65% लोग हेडफ़ोन ,इयरफोन, इयरबड्स आदि का इस्तेमाल करते हैं। जिसमें वॉल्यूम 85 डेसिबल से ज्यादा होती है जो आपके कानों के लिए बहुत हानिकारक हो सकती है। अगर आप भी वॉल्यूम को काफी तेज रखते हैं तो आप भी काफी ऊंचा सुनते होंगे।
दुनिया भर में 5% लोग ऐसे हैं नहीं काफी ऊंचा सुनाई देता है। इसलिए कुछ सावधानियां है जिन्हें भारत कर हम उसे स्थिति तक पहुंचने से पहले ही बच सकते हैं।
सावधानियां जिसे हम बहरेपन का शिकार होने से बच सकते हैं?
एयरफोन और हेडफोन इसलिए ज्यादा खतरनाक है क्योंकि इन्हें लगाने के बाद आवाज सीधा कान में जाती है। यह कान के काफी नजदीक होते हैं।। जिससे कान में आ रही आवाज की तरंग उठती है।
जिससे कान के पर्दों में वाइब्रेशन जो सेंसेशन होती है। इसके बाद वह वाइब्रेशन कोक लिया तब भी पहुंच जाती है यहां बताना जरूरी है कि कोचलिया हमारे कान के अंदर होती है और सुनने में इसकी काफी बड़ी भूमिका होती है।
इसके अलावा हम आवाज को धीरे करके सुन तो इतना नुकसान नहीं है।
बात ही हम कितनी देर तक एयरफोन हेडफोंस इयरबड्स के संपर्क में रहते हैं यह भी जरूरी है।
यहां यह बताना भी जरूरी है कि लगातार हेडफोन या इयरफोंस का इस्तेमाल किया जाए तो काफी उम्मीद है कि उसे व्यक्ति को सुनने से संबंधित परेशानियां हो जाए। इनका कोई इलाज नहीं है।
हर वक्त एयरफोन हेडफोंस इयरबड्स लगाने से केवल आपकी कान ही खराब नहीं होंगे बल्कि आपके अन्य अंगों को भी प्रभावित करेंगे।
हर वक्त यह फोन लगाने से होने वाले नुकसान।
सबसे पहले तो आप काफी ऊंचा सुनते लगेंगे।
स्थिति गंभीर होने पर हो सकता है आप बहरे भी हो जाए।
एयरफोन इयरबड्स लगाने से कानों में इन्फेक्शन भी हो सकता है।
कान में होने वाले इन्फेक्शन का असर बाकी के हिस्सों जैसे आंख पर भी पड़ेगा।
ऐसा होने पर आपको एक बीमारी भी हो सकती डिजरटीइनाइटिस कहते हैं इसमें आपको ऐसा महसूस होता है जैसे आपके कान में घंटी बज रही हो।
साथ ही ऐसे लोगों को नींद आने में भी दिक्कत होती है। नींद आ भी जाती है तो बार-बार खुल जाती है।
इस वक्त एयरफोन हेडफोंस लगाने से दिमाग पर भी इसका असर पड़ता है।
कितना डेसिबल वॉल्यूम रखना है सुरक्षित।
यहां बताना जरूरी है कि डेसीबल एक वॉल्यूम मेजरिंग यूनिट है। अगर डीबी यानी डेसीबल काम हो तो इतना असर नहीं पड़ता है यहां हम आपको बताएंगे कि- कितने डेसीबल वॉल्यूम आपके कानों के लिए नुकसानदेह नहीं है। ज्यादातर इयरफोंस और हेडफोंस में 60% वॉल्यूम पर ही 75 से 85 डेसिबल होता है। अब ध्यान देने वाली बात यह है कि अगर आप 85 डेसीबल से ज्यादा वॉल्यूम पर सुनते हैं तो धीरे-धीरे आपके सुनने की क्षमता प्रभावित होगी।
मार्केट में मिलने वाले एयरफोन और हेडफोंस की फुल वॉल्यूम 110 डीबी होती है। जो कानों के लिए बहुत हानिकारक है इसलिए यह फोंस और हेडफोंस लगाकर कभी भी फुल वॉल्यूम में ना सुनें।
90 मिनट से ज्यादा एयरफोन और हेडफोन का इस्तेमाल 1 दिन में नहीं करना चाहिए।
किन अन्य सावधानियां को बरता जा सकता है।
कोशिश करें कि हेडफोंस के इस्तेमाल को कम करें।
अपने फोन की आवाज को 60% से ज्यादा ना बढ़ाएं। कि आपका फोन में 60% पर जो आवाज होती है वह 85 डेसीबल तक होती है और उससे ज्यादा आवाज में सुना आपके लिए घातक हो सकता है।
वही बता दे की ईयरफोन ऑल ईयर बर्ड्स से ज्यादा सुरक्षित हेडफोंस है।
ज्यादा शोर शराबे संपर्क में आने से बचने की कोशिश करें।
अगर मजबूरी है शोर शराबी में रहना तो नॉइस कैंसिलेशन हेडफोन भी लगा सकते हैं।
1 घंटे से ज्यादा लगातार इस्तेमाल न करें। कुल मिलाकर आप 90 मिनट तक ईयरफोन और इयरबड्स का इस्तेमाल कर सकते हैं।
अपने इयरबड्स या हेडफोंस को साफ करके ही इस्तेमाल करें।
इन सावधानियों को बरत कर आप किसी गंभीर स्थिति तक पहुंचने से बच जाएंगे।
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