Sleep Apnea: स्लीप एपनिया एक नींद संबंधी विकार है जो आपकी सेहत पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है। यह समस्या श्वसन रुकावट के कारण उत्पन्न होती है, जिससे हृदय (Heart) को नुकसान पहुंच सकता है। सांस रुकने की इस स्थिति के कारण हृदय पर क्या-क्या प्रभाव पड़ सकते हैं, और इसे किस तरह प्रबंधित किया जा सकता है? इन सवालों के जवाब जानने के लिए हमने डॉक्टर से बात की। आइए, जानते हैं उन्होंने क्या सलाह दी।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Sleep Apnea:
सोना हमारी सेहत के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है, और इस बात का अंदाजा हम सभी को है। स्वस्थ जीवन के लिए रोजाना 7-8 घंटे की गुणवत्तापूर्ण नींद आवश्यक है। इस दौरान हमारे शरीर को दिनभर की थकान मिटाने और आराम करने का मौका मिलता है। दिल और दिमाग जैसे महत्वपूर्ण अंगों के लिए भी नींद बेहद जरूरी है। लेकिन अगर नींद पूरी न हो या बार-बार टूटे, तो इससे सेहत पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। नींद से जुड़ी एक गंभीर समस्या स्लीप एपनिया (Sleep Apnea) है, जिसमें सोते समय व्यक्ति की बार-बार सांस रुक जाती है, जिससे नींद की गुणवत्ता और स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है।
स्लीप एपनिया के रिस्क फैक्टर्स?
- मोटापा
- गले की चौड़ाई जेनेटिक्स
- नाक बंद होना
- श्वांस नली संकरी होना हार्ट फेलियर / हार्ट डिजीज
- डायबिटीज
- हाई ब्लड प्रेशर
- अस्थमा
- शराब पीना / ड्रग्स लेना
- स्मोकिंग
- बुढ़ापा लिंग (पुरुष)
स्लीप एपनिया Sleep Apnea: दिल को प्रभावित करने वाला गंभीर स्लीपिंग डिसऑर्डर
स्लीप एपनिया (Sleep Apnea) में श्वास रुकने के कारण, मस्तिष्क व्यक्ति को बार-बार जगा देता है ताकि वह पुनः श्वास लेना शुरू कर सके। इस रुकावट के गंभीर परिणाम हो सकते हैं, जिनमें दिल की बीमारियों का खतरा भी शामिल है। कैसे स्लीप एपनिया दिल को प्रभावित करता है (Sleep Apnea effects on heart) और इसे किस प्रकार मैनेज किया जा सकता है (Heart Health Tips), इन सवालों के उत्तर जानने के लिए हमने डॉ. बिमल छाजर (AIIMS के पूर्व कंसल्टेंट और SAAOL हार्ट सेंटर, नई दिल्ली के निदेशक) से बात की। आइए, जानते हैं इस विषय में उनकी क्या राय है।
क्या है स्लीप एपनिया?
स्लीप एपनिया (Sleep Apnea) एक नींद से संबंधित विकार है जिसमें व्यक्ति सोते समय बार-बार श्वास लेना बंद कर देता है। क्लीवलैंड क्लीनिक के अनुसार, यह विकार दो मुख्य कारणों से उत्पन्न होता है: पहला, श्वांस नली में अवरोध (Obstructive Sleep Apnea), और दूसरा, मस्तिष्क का श्वास को ठीक से नियंत्रित न कर पाना (Central Sleep Apnea)।
जब व्यक्ति सांस नहीं ले पाता, तो शरीर में ऑक्सीजन की कमी होने लगती है, जिससे शरीर को नींद तोड़कर श्वास को पुनः शुरू करने के लिए मजबूर होना पड़ता है। हालांकि, सोने पर यह समस्या फिर से शुरू हो जाती है, जिससे आरामदायक और गहरी नींद बाधित होती है। यह स्थिति लंबे समय तक सेहत पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।
स्लीप एपनिया के लक्षण?
- सुबह जागने के बाद थका हुआ महसूस करना
- मूड स्विंग्स
- याददाश्त कमजोर होना / एकाग्रता की कमी
- सोते समय घबराहट महसूस होना
- बार – बार नींद टूटना खरटि लेना इनसोम्निया
- सिर दर्द
- चिड़चिड़ाहट सुबह सिर में दर्द
- मुंह सूखना
स्लीप एपनिया के प्रकार
- ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया (OSA): यह स्लीप एपनिया का सबसे सामान्य प्रकार है। इसमें सोते समय गले की मांसपेशियां रिलैक्स हो जाती हैं, जिससे श्वांस नली पर दबाव पड़ता है और हवा का प्रवाह अवरुद्ध हो जाता है। परिणामस्वरूप, फेफड़ों तक ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाती, जिससे सांस लेने में रुकावट होती है।
- सेंट्रल स्लीप एपनिया (CSA): इस प्रकार में मस्तिष्क श्वास प्रक्रिया को ठीक से नियंत्रित नहीं कर पाता। मस्तिष्क श्वास लेने के लिए आवश्यक मांसपेशियों को सही समय पर सिग्नल नहीं भेजता, जिससे सोते समय व्यक्ति की सांस रुक जाती है।
- कॉम्प्लेक्स स्लीप एपनिया: इसे मिक्स्ड स्लीप एपनिया भी कहा जाता है, क्योंकि इसमें ऑब्सट्रक्टिव और सेंट्रल स्लीप एपनिया दोनों के लक्षण होते हैं।
कैसे करता है दिल को प्रभावित?
स्लीप एपनिया दिल पर गहरा और हानिकारक प्रभाव डाल सकता है। डॉ. छाजर के अनुसार, स्लीप एपनिया, विशेषकर ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया (OSA), दिल से संबंधित कई समस्याओं का कारण बन सकता है। नींद के दौरान सांस रुकने से शरीर में ऑक्सीजन का स्तर गिर जाता है, जिससे दिल पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है।
ऑक्सीजन की कमी के कारण ब्लड प्रेशर बढ़ने लगता है, जो हृदय पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। इससे क्रॉनिक हाइपरटेंशन (दीर्घकालिक उच्च रक्तचाप) विकसित हो सकता है। इसके अलावा, स्लीप एपनिया से हार्ट एरिथमिया (दिल की अनियमित धड़कन), एट्रियल फिब्रिलेशन, दिल से संबंधित अन्य समस्याएं, हार्ट अटैक, और स्ट्रोक जैसी जानलेवा स्थितियों का जोखिम भी बढ़ जाता है।
वास्तव में, स्लीप एपनिया सामान्य कार्डियक फंक्शन्स को बाधित करता है, जिससे हार्ट फेलियर का खतरा बढ़ सकता है या पहले से मौजूद दिल की समस्याएं और गंभीर हो सकती हैं। इसलिए, स्लीप एपनिया के मरीजों को विशेष रूप से हृदय की देखभाल करने की आवश्यकता होती है। यह सावधानी उन लोगों के लिए और भी महत्वपूर्ण है जो पहले से दिल की किसी बीमारी से पीड़ित हैं।
स्लीप एपनिया से जुड़ी परेशानियां?
- मेटाबॉलिक बीमारियां दिन में कभी भी सो जाना
- हार्ट एरिथमिया
- हार्ट फेलियर
- कार्डियक अरेस्ट
- हाई ब्लड प्रेशर
- खर्राटे लेना डायबिटीज
कैसे रखें दिल का ख्याल?
डॉ. छाजर बताते हैं कि जीवनशैली में कुछ बदलाव लाकर स्लीप एपनिया और दिल की बीमारियों के खतरे को कम किया जा सकता है:
- वजन नियंत्रित करें: मोटापा, स्लीप एपनिया और दिल की बीमारियों का प्रमुख जोखिम कारक है। नियमित व्यायाम और स्वस्थ आहार अपनाकर वजन नियंत्रित रखें। इससे स्लीप एपनिया के लक्षणों को कम करने और दिल को स्वस्थ रखने में मदद मिलती है।
- संतुलित आहार खाएं: अपनी डाइट में फल, सब्जियां, साबुत अनाज, लीन प्रोटीन, और स्वस्थ वसा (हेल्दी फैट्स) शामिल करें। इससे दिल की सेहत को बनाए रखने और वजन को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। जंक और प्रोसेस्ड फूड्स से बचें, क्योंकि ये कोलेस्ट्रॉल बढ़ा सकते हैं, जो दिल के लिए हानिकारक है।
- स्मोकिंग और ड्रिंकिंग न करें: धूम्रपान और शराब का सेवन स्लीप एपनिया को गंभीर बना सकता है और हृदय रोगों के खतरे को बढ़ा सकता है। इन आदतों से परहेज करें ताकि दिल की बीमारियों का जोखिम कम हो।
- डायबिटीज को नियंत्रित करें: यदि आपको डायबिटीज है या आप प्रीडायबेटिक हैं, तो ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित रखें। उच्च ब्लड शुगर दिल को नुकसान पहुंचा सकता है और धमनियों में सूजन बढ़ा सकता है, जो दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ाता है।
- नियमित व्यायाम करें: रोजाना कम से कम 30 मिनट व्यायाम करें। इससे कोलेस्ट्रॉल कम होता है, फेफड़े मजबूत बनते हैं, और वजन नियंत्रित रहता है। व्यायाम दिल को मजबूत करने और स्लीप एपनिया के लक्षणों को कम करने में सहायक है।
इन सुझावों को अपनाकर आप दिल की बीमारियों के जोखिम को कम कर सकते हैं और स्लीप एपनिया के लक्षणों को प्रबंधित कर सकते हैं।
स्लीप एपनिया कैसे मैनेज करें?
- कंटिन्यूअस पॉजिटिव एयरवे प्रेशर (CPAP):
CPAP मशीन स्लीप एपनिया के लिए सबसे प्रभावी उपचार है। यह डिवाइस सोते समय व्यक्ति की श्वासनली को खुला रखती है, जिससे सांस लेने में रुकावट नहीं होती और ऑक्सीजन का स्तर सही बना रहता है। - सेडेटिव्स या स्लीपिंग पिल्स से बचें:
सेडेटिव्स और नींद की गोलियां गले की मांसपेशियों को अत्यधिक रिलैक्स कर देती हैं, जिससे स्लीप एपनिया की समस्या गंभीर हो सकती है। इनसे बचना आवश्यक है। - एलर्जी और नाक बंद होने की समस्या का इलाज करें:
सांस लेने में आसानी हो, इसके लिए एलर्जी या बंद नाक का उपचार करें। इसके लिए दवाओं, नेजल स्प्रे और ह्यूमिडिफायर का उपयोग किया जा सकता है। - डेंटल डिवाइस का उपयोग करें:
डेंटल डिवाइस, जो जबड़ों और जीभ की स्थिति को ठीक रखते हैं, सांस लेने में तकलीफ को कम करने में सहायक हो सकते हैं। ये उपकरण माइल्ड स्लीप एपनिया को प्रबंधित करने में कारगर हैं।
इन उपायों को अपनाकर स्लीप एपनिया के लक्षणों को प्रभावी ढंग से प्रबंधित किया जा सकता है और स्वस्थ नींद सुनिश्चित की जा सकती है।
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