Our Flag Our Pride: भारत का तिरंगा केवल तिरंगा ही नहीं है जबकि भारतीयों के लिए एक जज्बात है। तिरंगा देखकर सभी भारतीयों का सी जैसे फूल जाता है। तिरंगे को देख खुशी की एक तरंग भी दौड़ जाती है। इस बार 15 अगस्त 2024 को भारत को आजाद हुए 77 साल पूरे हुए हैं। आज के खास दिन पर जानेंगे तिरंगे का महत्व और इतिहास।
तिरंगे में मौजूद रंगों का महत्व।
रंगों का अर्थ
भारतीय ध्वज में तीन रंग हैं जो पट्टियों में
बंटे हुए हैं। जिसमें सबसे ऊपर भगवा रंग है, जो शक्ति और साहस का प्रतीक है। बीच में सफेद रंग, जो शांति और सत्य का प्रतीक है, और सबसे नीचे हरा रंग है, जो उर्वर भूमि से हमारे संबंध को दर्शाता है। सफेद पट्टी के केंद्र में अशोक चक्र है, जिसमें 24 तीलियाँ हैं। यह चक्र जीवन के निरंतर गति और प्रगति को दर्शाता है।
इतिहास
वर्तमान ध्वज 1921 में पिंगली वेंकैया ने बनाया था। इससे पहले, भारत ने कई ध्वजों के विभिन्न संस्करण देखे हैं:
1906
पहला राष्ट्रीय ध्वज कोलकाता के पारसी बागान स्क्वायर में फहराया गया था। इसमें हरा, पीला, और लाल रंग थे, जिनमें क्रमशः 8 सफेद कमल, ‘वंदे मातरम’ और कोनों में चाँद और सूरज थे।
1907
मादाम भीकाजी कामा ने जर्मनी में इस ध्वज को फहराया। ध्वज में हल्के बदलाव किए गए थे, जैसे कि शीर्ष पट्टी नारंगी हो गई थी और कमल की जगह तारे आ गए थे।
1917
एनी बेसेंट और बाल गंगाधर तिलक ने होम रूल आंदोलन के दौरान एक अलग ध्वज फहराया। इसमें ब्रिटिश ध्वज भी था, जो भारत की स्वायत्तता की मांग का प्रतीक था।
1921
कांग्रेस के एक सत्र में, पिंगली वेंकैया ने महात्मा गांधी को एक नया ध्वज दिखाया, जिसमें सफेद, हरा, और लाल रंग थे और केंद्र में चरखा था, जो विभिन्न समुदायों की एकता का प्रतीक था।
1931
पिंगली वेंकैया ने अपने ध्वज में थोड़ा बदलाव किया, जिसमें चरखे की जगह धर्म चक्र रखा गया।
1947
आजादी के बाद, राजेंद्र प्रसाद की अध्यक्षता में एक समिति ने धर्म चक्र के साथ वर्तमान ध्वज को अपनाया।
राष्ट्रीय ध्वज के डिजाइनर
आंध्र प्रदेश के एक गाँव से आने वाले पिंगली वेंकैया एक स्वतंत्रता सेनानी थे। उन्होंने ब्रिटिश सेना में काम करते हुए यूनियन जैक को सलामी दी, जिसने उनकी देशभक्ति को जगाया। महात्मा गांधी से मुलाकात के बाद, उन्होंने राष्ट्रीय ध्वज के निर्माण में अपनी ऊर्जा लगाई, ताकि सभी समुदाय एक साथ आ सकें।
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