Mpox Outbreak Alert: Mpox के प्रकोप को लेकर केरल और तमिलनाडु में अलर्ट, सख्त स्क्रीनिंग प्रोटोकॉल लागू पूरी दुनिया में अफ्रीका में फैले मंकीपॉक्स (Mpox) बीमारी के प्रकोप को लेकर हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसे “अंतर्राष्ट्रीय चिंता की सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल (PHEIC)” घोषित किया है, जिसके बाद कई देशों ने अपनी निगरानी को मजबूत कर दिया है, जिसमें भारत भी शामिल है। विभिन्न देशों में मंकीपॉक्स के मामले सामने आए हैं और WHO ने सभी देशों को सतर्क रहने और सभी संभावित एहतियाती उपाय करने की सलाह दी है।
भारत में हालिया खबरों के अनुसार, केरल स्वास्थ्य विभाग ने मंकीपॉक्स के प्रकोप को लेकर अलर्ट जारी किया है। राज्य ने सतर्कता मोड में जाने की घोषणा की है।
केरल में स्क्रीनिंग के सख्त निर्देश
विशेष रूप से हवाई अड्डों जैसी जगहों पर निगरानी टीमें तैनात की गई हैं। स्वास्थ्य विभाग ने मंकीपॉक्स प्रभावित देशों से आने वाले सभी यात्रियों की स्क्रीनिंग करने की सलाह दी है। यदि कोई पॉजिटिव केस पाया जाता है, तो उसे राज्य सरकार द्वारा 2022 में जारी मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) के अनुसार अलग-थलग किया जाएगा और उसका इलाज किया जाएगा।
तमिलनाडु में भी स्क्रीनिंग प्रोटोकॉल लागू
इसी तरह की सख्त स्क्रीनिंग के निर्देश तमिलनाडु स्वास्थ्य विभाग ने भी जारी किए हैं। यहां हवाई अड्डों पर आने वाले सभी यात्रियों की थर्मल स्क्रीनिंग अनिवार्य कर दी गई है, खासकर जो यात्री विदेश से आ रहे हैं। राज्य के सार्वजनिक स्वास्थ्य और निवारक चिकित्सा निदेशालय ने पिछले शुक्रवार को यह भी कहा था कि यात्रियों के पिछले 21 दिनों के यात्रा इतिहास की जांच की जानी चाहिए।
अन्य जानकारी
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, मंकीपॉक्स से संक्रमित व्यक्तियों में बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द और थकान जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। इसके बाद त्वचा पर दाने और छाले उभर आते हैं। यह बीमारी संपर्क में आने से फैलती है, इसलिए संक्रमित व्यक्तियों को जल्द से जल्द अलग-थलग करना और उनका उचित उपचार करना आवश्यक है। इसके साथ ही, आम जनता को भी सतर्क रहने की सलाह दी गई है और व्यक्तिगत स्वच्छता पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) ने भी कहा है कि देश में मंकीपॉक्स के प्रसार को रोकने के लिए निगरानी, जांच और नियंत्रण के सभी उपायों को तेजी से लागू किया जाना चाहिए। राज्य सरकारों को भी स्थानीय स्तर पर सामुदायिक जागरूकता कार्यक्रम शुरू करने की सलाह दी गई है, ताकि लोग इस बीमारी के लक्षणों और इससे बचाव के तरीकों को समझ सकें।