Mobile Tariff Hike Clarification by Govt: तीनों प्रमुख दूरसंचार कंपनियों (जिओ , एयरटेल और आईडिया-वोडाफ़ोन ) के द्वारा मोबाइल टैरिफ बढ़ाए जाने का ये मामला फ़िलहाल राजनीतिक रंग ले चुका है. प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस की कड़ी आलोचना के बाद सरकार ने भी अब इस मामले पर आधिकारिक रूप से अपनी सफाई जारी की है. सरकार का कहना है कि वह मोबाइल टैरिफ की दरों के निर्धारण में कोई दखल नहीं देती है. साथ ही सरकार ने साफ बताया है कि अभी भी भारत में मोबाइल सेवाएं दुनिया के प्रमुख देशों की तुलना में अभी सस्ती हैं.
सरकार का कोई दखल नहीं, बाजार के हिसाब से तय होती हैं
संचार मंत्रालय के दूरसंचार विभाग ने इसे लेकर शुक्रवार को एक बयान को जारी किया हैं. बयान में दूरसंचार विभाग ने ये कहा हैं कि अभी घरेलू बाजार में 1 सरकारी कंपनी और 3 प्राइवेट कंपनियां काम कर रही हैं. मोबाइल सेवाओं का बाजार अब काफी डिमांड और सप्लाई के हिसाब से काम करती है. मोबाइल कंपनियां नियामक ट्राई (TRAI) द्वारा तय किए गए ढांचे के तहत अपनी दरें तय करती हैं. सरकार फ्री मार्केट के निर्णयों में कोई भी दखल नहीं देती है.
टैरिफ में कोई भी बदलाव की ट्राई करता है निगरानी
बयान के मुताबिक, टेलीकॉम कंपनियों के द्वारा दरों में की जाने वाली बढ़ोतरी की ट्राई अच्छे से निगरानी करता है और देखता है कि ये बदलाव तय दायरे में रहें हैं या नही. दूरसंचार विभाग ने साथ में ही ये भी जोड़ा कि बीते 2 सालों से देश में मोबाइल टैरिफ में कोई भी बदलाव नहीं हुआ था, जबकि उस दौरान टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स ने देश में 5G सेवाएं को शुरू करने पर भारी निवेश किया हैं.
तो उसी का परिणाम है कि आज देश में औसत मोबाइल स्पीड बढ़कर 100 MBPS के स्तर पर पहुंच गया है और मोबाइल स्पीड के मामले में देश की अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग अक्टूबर 2022 के 111 से छलांग लगाकर 15 रैंक पर पहुंच गया है.
टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स ने इतना महंगा किया अपना प्लान
तीनों प्रमुख टेलीकॉम कंपनियों रिलायंस जियो (Jio), भारती एयरटेल (Airtel) और वोडाफोन आइिडया (VI) ने इस महीने से अपने प्लान को महंगा कर दिया है. दूरसंचार कंपनियों ने मोबाइल की टैरिफ में करीबन 11 से 25 फीसदी तक की बढ़ोतरी करी है. सबसे पहले रिलायंस जियो ने अपनी टैरिफ को बढ़ाने का ऐलान किया था. उसके बाद भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया ने भी अपने टैरिफ प्लान को बढ़ाने का ऐलान किया. टैरिफ बढ़ने से मोबाइल उपभोक्ताओं पर हजारों करोड़ रुपये का बोझ बढ़ जाने का अनुमान लगाया जा रहा है. विपक्षी पार्टियां ने इस बात को मुद्दा बना रही हैं.
वहीं सरकार ने ताजे बयान में सफाई देते हुए ये दोहराया है कि अभी भी भारत में मोबाइल सेवाओं की दरें दुनिया के प्रमुख देशों की तुलना में काफी कम हैं. दूरसंचार विभाग ने अपनी बात रखने के लिए इंटरनेशनल टेलीकॉम यूनियन (International Telecommunication Union) के द्वारा जारी आंकड़ों को आधार अपना रिपोर्ट बनाया है. ITU के आंकड़ों में न्यूनतम मोबाइल, वॉयस और डेटा के बास्केट (140 Minute, 70 SMS और 2 GB Data) की दरें को बताई गई हैं. ये डेटा पिछले साल यानी 2023 के हिसाब से है.
प्रमुख देशों में मोबाइल टैरिफ की दरें
इन आंकड़ों के मुताबिक, मिनिमम सेवाओं के लिए चीन में उपभोक्ता 8.84 $ खर्च कर रहे हैं. इसी तरह अफगानिस्तान में 4.77 $, भूटान में 4.62 $, बांग्लादेश में 3.24 $, नेपाल में 2.75 $ और पाकिस्तान में 1.39 $ खर्च करना पड़ रहा है. प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की दरों को देखा जाये तो वे अमेरिका में 49 $, ऑस्ट्रेलिया में 20.1 $, दक्षिण अफ्रीका में 15.8 $, ब्रिटेन में 12.5 $, रूस में 6.55 $, ब्राजील में 6.06 $, इंडोनेशिया में 3.29 $ और मिस्र में 2.55 $ हैं. भारत के इस मामले में यह दर 1.89 $ है, जिसमें उपभोक्ताओं को अनलिमिटेड वॉयस कॉल के साथ 18 GB डेटा का लाभ भी मिल रहा है.