महाशिवरात्री 2025: महाशिवरात्रि का महत्व:
महाशिवरात्रि भगवान शिव के भक्तों के लिए महत्वपूर्ण त्यौहार है। महाशिवरात्रि वह दिन है जब भगवान शिव और माँ पार्वती सदियों की प्रतीक्षा, तपस्या और साधना के बाद एक हो गए थे। कुछ लोगों के लिए, यह वह रात है जब भगवान शिव ने तांडव किया था, ब्रह्मांडीय सृजन, संरक्षण और विनाश का नृत्य।
कुछ लोगों का मानना है कि, इस दिन भगवान शिव पृथ्वी पर उतरते हैं, विशेष रूप से अपने शहर ‘काशी’ में, और देवताओं, मनुष्यों एवं साधकों के बीच खुशी फैलाते हैं।
और महाशिवरात्रि के बारे मे एक और प्रसिद्ध व्याख्या है कि जब भगवान ब्रह्मा और भगवान विष्णु के बीच इस बात पर चर्चा हुई कि उनमें से कौन सबसे शक्तिशाली है, तो भगवान शिव एक लिंगम के रूप में प्रकट हुए, जो प्रकाश से चमक रहे थे। जब भगवान शिव ने उन दोनों को प्रकाश पर चढ़ने के लिए कहा, तो उनमे से कोई भी कार्य पूरा नहीं कर सका, और उन्होंने संयुक्त रूप से टिप्पणी की कि भगवान शिव ही प्रबुद्ध हैं। और इसे महाशिवरात्रि के रूप में मनाया जाने लगा ।
कुछ लोग यह भी मानते हैं कि महाशिवरात्रि को भक्तिपूर्वक मनाने से पिछले पाप नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष प्राप्त होता है। ऐसा कहा जाता है कि इस रात जागने से आध्यात्मिक विकास होता है, इस दिन उपवास करने से शरीर और मन से विषैले तत्व बाहर निकल जाते हैं और बहुत ही अच्छा वाला अनुभव होता है।

Mahashivrastri Date and Timing
इस साल महाशिवरात्रि बुधवार, 26 Feb, 2025 को सुबह 11:08 am से शुरू होगी और अगले दिन यानि बृहस्पतिवार को सुबह 08:54 am तक रहेगी
महाशिवरात्रि 2025: अनुष्ठान और पूजा विधि
महाशिवरात्रि के दिन, भक्त भगवान शिव का आशीर्वाद पाने और उनके योग्य होने के लिए विशेष अनुष्ठानों का पालन करते हैं। कुछ लोग इन अनुष्ठानों को घर में ही करते हैं और कुछ लोग भगवान शिव के प्रसिद्ध मंदिरों या अपने घर के पास के मंदिरों में जाकर पूजा और अनुष्ठान करते हैं।
महाशिवरात्रि के दिन भक्त सूर्योदय से पहले ही उठ जाते हैं और गंगाजल एवं पानी से स्नान करते हैं, और फिर घर के मंदिर की सफाई करते हैं। लोग इस दिन या तो सफेद या केसरिया रंग के कपड़े पहनते हैं।
महाशिवरात्रि के दिन भक्त शिव मंदिर भी जाते हैं और शिवलिंग पर जल, दूध और बिल्व पत्र चढ़ाते हैं। रुद्राभिषेक अनुष्ठान में भी भाग लेते हैं, जहाँ भगवान शिव की पूजा पंचामृत से की जाती है, जिसमे दूध, दही, घी, शहद और चीनी का मिश्रण होता है। इसमे समूह जप भी होते हैं जहाँ लोग एक साथ बैठते हैं और ‘ओम नमः शिवाय’ का जाप करते हैं। महामृत्युंजय मंत्र या भगवान शिव को समर्पित अन्य मंत्रों का सामूहिक जाप भी होता है।