Maharashtra Assembly Election Opinion: महाराज विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की नव अगर डगमगाती है तो इसके जिम्मेदार एक बार फिर अजित पवार और उनकी पार्टी एनसीपी ही होगी भारतीय जनता पार्टी जाकर भी उनसे छुटकारा नहीं पा सकी है।
आईए जानते हैं अजित पवार कैसे महायुती को डूबोएंगे।
भारतीय जनता पार्टी की वाशिंग मशीन को सबसे अधिक डेंट अजीत पवार ने ही लगाया।
चाहे विरोधी गठबंधन हो या मीडिया हाउसेस दोनों ही जगह पर अजित पवार को बीजेपी की वाशिंग मशीन में दूल्हा होने का ताना देकर मजाक उड़ाया जाता है दरअसल पार्टी में आने के पहले तक करीब करीब सभी भाजपा के नेता उनके ऊपर कई हजार करोड़ के घोटाले के आरोप लगाया करते थे पर अजित पवार के बीजेपी में शामिल होते ही उनके सारे भ्रष्टाचार के आरोप धुल गए अब कोई भारतीय जनता पार्टी का नेता उनके पुराने आरोपी पर चर्चा भी नहीं करता है।
जनता का सेंटीमेंट शरद पवार के साथ चाचा को धोखा देना नहीं पचा सकी की जनता।
इसके साथ ही अजीत पवार पर एक सबसे बड़ा धब्बा यह भी है कि उन्होंने अपने बुजुर्ग चाचा को धोखा दिया है महाराष्ट्र की राजनीति के चाणक्य शरद पवार का सम्मान सभी राजनीतिक दलों में है शरद पवार ने अपने भतीजे अजित पवार को इतनी ऊंचाई तक पहुंचा पर भतीजा केवल सत्ता के लोग में अपने चाचा को किनारे लगा दिया इतना ही नहीं उनकी बेटी सुप्रिया सुले संसद में ना पहुंच पाए इसलिए अपनी बीवी को उनके खिलाफ चुनाव में खड़ा कर दिया हालांकि जनता ने सुप्रिया सुलेख को संसद ने पहुंच कर अजीत पवार को यह एहसास कर दिया था कि वह अपने चाचा के आगे अभी कुछ नहीं है अपने चाचा को धोखा देने के चलते जनता में उनकी छवि एक अवसरवादी की हो चुकी है इसका सीधा असर भाजपा पर भी पड़ रहा है लोगों को लगता है कि भाजपा पूरे राज्य में पार्टियों को तोड़कर राज करना चाहती है।
लोकसभा चुनाव में प्रदर्शन भी सबसे खराब रहा।
इस साल की शुरुआत में हुए लोकसभा चुनाव में सत्ताधारी गठबंधन महायुद्ध में एनसीपी के घटते प्रभाव को स्पष्ट कर दिया है लोकसभा चुनाव में अजीत पवार के गुट ने चार में से केवल एक सीट ही जीत चुकी थी जबकि चाचा शरद पर की सीपी जो भी पक्षी महा विकास आघाड़ी का हिस्सा है उन्होंने आठ सिम जीत कर ऑफिस महत्व बता दी थी लोकसभा चुनाव के नतीजे का विश्लेषण अगर विधानसभा करें तो एनसीपी शरद पवार को 34 सीटों पर जीती थी वहीं एनसीपी अजीत पवार सिर्फ 6 सीटों पर ही सिमट गई यानी शरद पवार को 22 सीटों का ज्यादा फायदा होता दिख रहा कोई अजीत पवार को 34 सीटों का भारी नुकसान नजर आ रहा है।
अकेले चुनाव लड़ते तो एनसीपी (शरद पवार)के वोट करते।
हरियाणा में अपने चाचा से बगावत करके भाजपा के साथ आए जेपी के दुष्यंत चौटाला को और चुनाव के पहले पार्टी ने खुद से अलग कर दिया इसके पीछे यही राजनीति थी कि अगर बीजेपी अलग चुनाव लड़ेगी तो जाट वोटो को कुछ ना कुछ काटने किया ही काम करेगी इसी तरह महाराष्ट्र में भी ऐसा लग रहा था कि अजित पवार भी इन चुनाव के पहले सरकार से अलग हो जाएंगे पर ऐसा नहीं हुआ अब अजीत पवार महायुति में रहकर भी चुनाव लड़ेंगे जाहिर है कि ऐसे में एनसीपी और शिवसेना के वोट कटने से रहा।
पिछले दिनों अजीत पवार के बयान एनडीए की लाइन लेंथ पर कभी नहीं रहे।
जब सरजीत पवार महायुती सरकार में शामिल हुए हैं तभी से ऐसी बातें आनी शुरू हो गई थी कि वह सट्टा रोड गठबंधन में ज्यादा दिन के मेहमान नहीं है इस बीच कई बार शरद पवार से उनकी मुलाकात भी हुई जिससे ऐसा लगा कि अजित पवार जल्द ही घर वापसी कर लेंगे यही नहीं अजीत पवार ने इस दौरान कई ऐसे बयान भी दिए जिससे लगा कि वह बीजेपी शिवसेना के स्वाभाविक दोस्त नहीं हो सकते हैं।
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