Iran vs Israel War Breaking: ईरान और इजरायल की दोस्ती कैसे दुश्मनी में बदली: कभी तेल और हथियार होते थे सप्लाई।

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Iran vs Israel War Breaking: 1991 में गल्फ वर की समाप्ति ने ईरान और इजरायल के बीच खुली दुश्मनी के युग की शुरुआत की सोवियत संघ के पतन और एकमात्र महाशक्ति के रूप में अमेरिका के उदय ने इस क्षेत्र को और अधिक पोलराइज्ड कर दिया वहीं ईरान और इजरायल ने खुद को लगभग हर प्रमुख जियो पोलिटिकल विमर्श में एक दूसरे के खिलाफ पाया 1980 के दशक में शुरू हुआ ईरान का न्यूक्लियर प्रोग्राम 1990 के दशक से विवाद का केंद्र बन गया।

ईरान और इजराइल एक दूसरे के कट्टर दुश्मन है जो कि आप जंग के मुहाने पर खड़े हैं इसकी वजह है ईरान का इजराइल पर 180 से ज्यादा मिसाइल अटैक या हमला पिछले मंगलवार की रात को हुआ था जब इजरायल के आसमान में ईरानी मिसाइल की भारी बौछार देखी गई हालांकि यह कोई रहस्य नहीं है कि ईरान और इजराइल का कट्टर दुश्मन है लेकिन कई लोगों को यह जानकार हैरानी हो सकती है कि कभी ऐसा भी समय था जब दोनों देशों के बीच बहुत करीबी संबंध थे लेकिन आज हालात पूरी तरह से अलग है।

शाह शासन के वक्त दोस्त थे ईरान इजरायल।

1953 में तख्ताफत के बाद ईरान मिश्र के शासन की वापसी हुई इसने ईरान इजरायल संबंधों में एक महत्वपूर्ण मोड़ दिया मोहम्मद राजा शाह पहलवी की सत्ता में वापसी के साथ ईरान और इजरायल ने एक घनिष्ठ और बहूयामी गठबंधन बनाना शुरू कर दिया ईरान ने आधिकारिक तौर पर 1950 में इजराइल को मान्यता दी उसे समय ईरान में पश्चिम एशिया में सबसे बड़ी यहूदी आबादी रहती थी साफ पहलवी शासन ने इजराइल को यहां सहयोगी के रूप में देखा।

कभी ईरान से इजराइल पहुंचता था तेल।

ईरान से तेल इजरायल की इंडस्ट्री और सानिया जरूरत के लिए काफी जरूरी था जबकि इजरायल के दुश्मन अरब देशों ने तेल पर प्रतिबंध लगा रखा था 1968 में स्थापित इलाज उसके लोन पाइपलाइन कंपनी एक महत्वपूर्ण संयुक्त परियोजना थी जिसे मिस्र के अधीन स्वेज नहर को दरकिनार करते हुए ईरानी तेल को इजराइल तक पहुंचा।

रिश्तो में ऐसे आई गिरावट।

1989 में ईरानी क्रांति ने ईरान इजरायल संबंधों में एक बड़ा बदलाव किया पल्लवी राजवंश के पतन और अयातुल्लाह के नेतृत्व में इस्लामी गणराज्य की स्थापना ने ईरान की विदेशी नीति और वर्ल्ड यू व्यू को पूरी तरह से उलट दिया हालांकि शुरुआती साल में ईरान और इजरायल ने अपने संबंधों को सामान्य बनाए रखने पर जोर दिया इजराइल और ईरान दोनों ने सद्दाम हुसैन की इराक की सरकार का मुकाबला करना अपने हित में देखा 1980-88 कि ईरान इराक युद्ध के दौरान इसराइल ने ईरान को सालाना 500 मिलियन डॉलर के हथियार भेजे थे रिपोर्ट्स के मुताबिक इन शब्दों को सुविधाजनक बनाने के लिए इजराइल ने स्विस बैंक में खाते भी खोलें इसराइली अधिकारियों को उम्मीद थी कि हथियारों की सप्लाई ईरानी सी को खुश रखेगी और अयातुल्लाह के शासन को उखाड़ फेडेगी ईरान इराक युद्ध के बाद भी कुछ समय तक दोनों देशों के बीच सीक्रेट रिलेशन जारी रहे लेकिन बाद में संबंधों में गिरावट आने वाली थी।

ईरान ने इजराइल को बताया था छोटा शैतान।

जो की एक अर्थशास्त्र देश है वह इजराइल को फिलिस्तीन जमीन पर कब्जा करने वाला मानता है जब इजरायल के साथ रिश्तों में कड़वाहट गोली तो ईरान ने इजराइल को छोटा शैतान तक कहा था।

ईरान ने तोड़े इजराइल से संबंध।

इस घटना के बाद ईरानी सरकार ने इजरायल के साथ सभी राजनीतिक संबंध तोड़ दिए और ईरान ने फिलीस्तीन और अन्य इजरायल विरोधी आंदोलन का सक्रिय रूप से समर्थन करना शुरू कर दिया इस अवधि में दोनों देशों के बीच संबंधों में उल्लेखनीय गिरावट हुई रिपोर्ट के मुताबिक इस अवधि में ईरान ने किया ले बनानी तत्वों को समर्थन देना शुरू किया जिसे बाद में हिजबुल्ला का रूप ले लिया।

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Neyaz Ahmad

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