Hrithik Roshan Kaho Naa Pyaar Hai : कहो ना प्यार है का पूरा प्लॉट ही उस मसाले की गंध से महकता है जिसे स्वाद अनुसार से दो चम्मच ज्यादा डालकर 90s के कई फिल्म मेकर्स ने लगातार हिट्स पर हिट्स बटोरी अगर यह फिल्म इतना ही रेगुलर रूटीन प्लॉट और स्टोरी लाइन लेकर आई थी तो इतनी धमाकेदार चली कैसे: इसका जवाब इन पांच बातों में छुपा है।
कहानी का ग्रैंड ट्रीटमेंट और राकेश रोशन का कमाल।
एक प्लॉट देखिए लड़का और लड़की की बड़ी रिएक्टिव लव स्टोरी अधूरी रह जाती है क्योंकि लड़की की शादी किसी और से करवा दी जाती है लड़की के पति को पता चलता है तो वो उसे दुखी देखकर पसीज जाता है और लड़की को उसके प्रेमी से मिलने की कोशिश में जुट जाता है।
यह प्लॉट अनिल कपूर नसरुद्दीन शाह और पद्मश्री कोल्हापुरी स्टारर वो 7 दिन भी बन सकता है यही प्लॉट सलमान खान ऐश्वर्या राय और अजय देवगन के साथ हम दिल दे चुके सनम, में भी बन सकता है तो अंतर क्या है कहानी के ट्रीटमेंट और स्केल का।
सुभाष घई की कालीचरण में भी शत्रुघ्न सिन्हा का डबल रोल था दोनों कैरेक्टर एक दूसरे से बिल्कुल अलग पहले किरदार मारता है तो उसके गम में डूबे परिवार को उसी का हमशक्ल मिल जाता है हम शकल किरदार के साथ मिलकर पहले किरदार के साथ हुए गलत चीजों का बदला लिया जाने लगता है।
याद कीजिए कहो ना प्यार है का बेसिक मामला यही है लेकिन फिल्म के डायरेक्टर ऋतिक के पिता राकेश यूं ही बॉलीवुड के टॉप डायरेक्ट नहीं बने उन्होंने डबल रोल वाले इसी प्लॉट के हर एलिमेंट को ग्रैंड कर दिया इसका स्केल बहुत बड़ा कर दिया कालीचरण में शत्रुघ्न के दोनों लुक में बहुत खास फर्क नहीं था जबकि कहो ना प्यार में ऋतिक के दोनों किरदारों में अंतर तगड़ा था।
फिल्म की न्यू अपील।
राज के कहानी में आते ही कहो ना प्यार है की कहानी को विदेश जाना था लेकिन लंदन उस वगैरा तो बॉलीवुड फिल्मों में आने लगे थे तो राकेश रोशन चले गए न्यूजीलैंड. लोकेशन सिर्फ विदेश नहीं थी लोगों के लिए नई भी थी समंदर में खड़े शानदार क्रूज पर गाना सूट हो गया मतलब रूटिंग चीज भी ग्रैंड स्केल पर नए अंदाज में हो रही थी और यह बहुत महत्वपूर्ण चीज है क्योंकि सिनेमा एक विजुअल माध्यम है लोगों को आप जितना नया अनोखा दिलचस्प दिखा सकते हैं उतना बेहतर होता है।
प्रमोशन या (ना प्रमोशन) की स्ट्रेटजी।
सिनेमा में आज एक टर्म बहुत चलती है वर्ड ऑफ माउथ यानी जनता से मिलने वाली जुबानी तारीफ जिन फिल्मों को क्रिटिक्स भी बुरा बता देते हैं उन्हें पॉजिटिव वर्ड ऑफ माउथ ब्लॉकबस्टर बना देता है इसका बहुत अच्छा उदाहरण है कहो ना प्यार है फिल्म के पोस्टर लगवा दिए गए थे प्रोमो और ट्रेलर मार्केट में निकाल दिए गए थे केवल टीवी का दौर था और एमटीवी जैसे चैनल ऑडियंस के लिए नया कूल बन चुके थे टीवी पर लोग ट्रेलर और प्रोमो देखकर फिल्म देखने का मूड बना रहे थे लेकिन ऋतिक प्रमोशन में नहीं थे।
गाने।
कहो ना प्यार है को कल्ट का दर्जा दिलाने में फिल्म के गानों का रोल बहुत बड़ा रोल था लकी अली हिंदी पॉप कल्चर में 90s की कुल आवाज थे उनकी आवाज के साथ ऋतिक रोशन का चार्म मिक्स होकर जब एक पल का जीना में उतरा तो क्रेज अलग था इस गाने के रिलीज होने पर नई सदी के मुहाने पर खड़ी पूरी पीढ़ी को बेफिक्रे होकर लाइफ एंजॉय करने का मैसेज दिया और यंग क्राउड को इससे ज्यादा और क्या चाहिए।
ऋतिक।
थिएटर में धमाका करने का इरादा रखने वाली हर फिल्म को सारी चीजों के परफेक्ट कांबिनेशन के बावजूद एक और चीज चाहिए होती है एक्स फैक्टर. कहो ना प्यार है का एक्स फैक्टर ऋतिक थे लुक्स के मामले में ऋतिक वैसे भी गिफ्टेड थे और उनकी नीली आंखों का जादू उनके पहले स्क्रीन अपीरियंस से ही चलने लगा था हॉलीवुड स्टार्स के पोस्टर लगाने वाली इंडियन जनता भी ऋतिक को देखकर एक साथ सरप्राइज और शॉक दोनों थी।
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