Haryana Assembly Election: हरियाणा में कांग्रेस का बैलेंस गेम : क्या बिना मुख्यमंत्री फेस के चुनाव लड़ने से होगा फायदा।

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Haryana Assembly Election: खबरों के मुताबिक एक नेता के लिए हाई कमान द्वारा समर्थन को उसके समर्थक को सीएम पद के लिए हरी झंडी के रूप में पेश करेंगे जो पार्टी की चुनाव हुई संभावनाओं को नुकसान पहुंचा सकता है यह संतुलन पार्टी के घोषणा पत्र के लॉन्च में साफ नजर आ रहा है एक तरफ जहां भूपेंद्र सिंह हुड्डा कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ मंच साझा कर रहे थे तो वहीं राहुल गांधी असंद निर्वाचन क्षेत्र में अपने हरियाणा चुनाव प्रचार की शुरुआत करेंगे जहां सैलजा के वफादार शमशेर सिंह जोगी चुनाव लड़ रहे हैं।

हरियाणा में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए टिकट बंटवारे के बाद कांग्रेस पार्टी अंदरूनी उथल-पुथल से गुजर रही है पार्टी का सर से नेतृत्व अलग-अलग गुटों खासकर हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और पांच बार की संसद और दलित नेता कुमारी शैलजा के बीच संतुलन बनाए रखने की कोशिश कर रहे हैं।

पार्टी एक जूता का आसपास संडे देना चाहती है कि वह मुख्यमंत्री पद के लिए सौदेबाजी नहीं कर रही है बल्कि लोगों के अधिकार के लिए खड़ी है किसी भी वरिष्ठ नेता ने राज्य की किसी भी नेता का समर्थन नहीं किया है वास्तव में यह कांग्रेस अध्यक्ष पर छोड़ दिया गया था कि वह कांग्रेस प्रेस वार्ता में मुख्यमंत्री पद के चेहरे को लेकर पूछे जाने वाले सवालों का जवाब दें।

संतुलन बनाकर चल रही है कांग्रेस।

खबर कॉमेडी बताया गया है कि हाई कमान द्वारा समर्थन को उसके समर्थक को मुख्यमंत्री पद के लिए हरी झंडी के रूप में पेश करेंगे जो पार्टी के लिए चुनावी संभावनाओं को नुकसान पहुंचा सकता है यह संतुलन पार्टी की घोषणा पत्र के लॉन्च में साफ नजर आया है।

एक तरफ जहां भूपेंद्र सिंह हुड्डा कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिका अर्जुन लड़के के साथ मां सजा कर रहे थे वहीं राहुल गांधी की आसान निर्वाचन क्षेत्र में अपने हरियाणा चुनावी प्रथा की शुरुआत करेंगे जहां शैलजा के वफादार शमशेर सिंह जोगी चुनाव लड़ रहे हैं इसी तरह कैथल में रणदीप सिंह सुरजेवाला के बेटे आदित्य सुरजेवाला के लिए सर एक सार्वजनिक बैठक की योजना आई बनाई जा रही है जिसमें राहुल गांधी परिवार या कांग्रेस अध्यक्ष शामिल होंगे।

पहले भी काम कर चुका है खड़गे का फार्मूला।

मल्लिकार्जुन खड़गे ने पार्टी के सामूहिक नेतृत्व और चुनाव के बाद ही फैसला लेने के रुको दोहराया इस मामले में उन्होंने या सुनिश्चित किया है कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा का खेमा भी यही बात दोहराया और अपने समर्थकों को साथ रखें इससे पहले यह फार्मूला कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस के लिए काम कर चुका है जहां पार्टी बिना मुख्यमंत्री चेहरे के पार्टी और सामूहिक नेतृत्व के बैनर तले चुनाव लड़ी थी।

खुलकर सामने आई कुमारी शैलजा की नाराजगी।

स्पेशल जा की नाराजगी अब पूरी तरह से स्वरोजनी को गई है उन्होंने हुड्डा समर्थकों को अधिक टिकट दिए जाने पर नाराजगी जताई है कांग्रेस द्वारा स्पष्ट रूप से जानती है कि एक तरफ जहां भूपेंद्र सिंह हुड्डा के पास जाट वोटो का एक बड़ा समूह है और वह एक लोकप्रिय व्यक्ति हैं तो वही कुमारी से अल्लाह को भी अकेला नहीं छोड़ा जा सकता खास कर जब कांग्रेस इस कृषि प्रधान राज्य में दलित फोटो के एकीकरण पर भरोसा कर रहा है।

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Neyaz Ahmad

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