Dr Manmohan Singh : मनमोहन सिंह के एहसान को सोनिया और राहुल को कभी नहीं भूलना चाहिए: इतिहास चाहे जैसे भी उनका आकलन करें।

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Dr Manmohan Singh : डॉ मनमोहन सिंह के कार्यकाल के मूल्यांकन का काम इतिहास पर छोड़ भी दिया जाए तो गांधी परिवार उनके एहसान तले दबा हुआ है जिसमें एक उदाहरण 1984 के दंगों के लिए उनका माफी मांगना भी हो।

पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दम पर ही यूपीए की सत्ता में वापसी हुई थी पहली पारी तो नहीं लेकिन दूसरी पारी में केंद्र सरकार के मंत्रियों पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपो के चलते मनमोहन सिंह निशाने पर आ गए थे लेकिन वह हमेशा ही बेदाग रहे जनवरी 2014 में दिल्ली में पत्रकारों से बात करते हुए मनमोहन सिंह ने एक बात कही थी जिसका बार-बार हवाला दिया जाता है मैं यह नहीं जानता कि मैं एक कमजोर प्रधानमंत्री रहा हूं मैं ईमानदारी से यह मानता हूं कि इतिहास मेरे प्रति समकालीन मीडिया या संसद में विपक्ष की तुलना में अधिक उदार होगा राजनीतिक मजबूरियों के बीच मैंने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास किया है।

1984 के सिख विरोधी दंगों के लिए पुरे देश से माफी मांगी थी।

2005 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 1984 दंगों के लिए संसद और देश से माफी मांगी थी डॉ मनमोहन सिंह ने कहा था की मुझे न सिर्फ सिख समुदाय बल्कि पुरे देश से भी माफी मांगने में कोई हिचकिचाहट नहीं है देश में जो कुछ हुआ उसके लिए मैं शर्म से अपना सर झुकाता हूं।

भ्रष्टाचार पर भारतीय जनता पार्टी का रेनकोट इल्जाम झेलना।

फरवरी 2017 में राष्ट्रपति के अभीभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान राज्यसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस को भ्रष्टाचार के मुद्दे पर घेरते हुए मनमोहन सिंह का खास तरीके से नाम लिया था तब मोदी का कहना था पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल में इतने भ्रष्टाचार हुए लेकिन उन पर एक दाग तक नहीं लगा बाथरूम में रेनकोट पहनकर नहाने की कला तो कोई डॉक्टर साहब से सीखे।

प्रधानमंत्री मोदी के इस बयान के बाद कांग्रेस सांसदों ने राज्यसभा की कार्यवाही का बहिष्कार किया और बाहर चले गए भले ही मोदी ने मनमोहन सिंह को बेदाग बताया लेकिन उनकी नजर में कांग्रेस सरकार की करगुजारियों का तो माथा तो मनमोहन सिंह के माथे पर ही लगा सोनिया गांधी और राहुल गांधी तो दूर ही खड़े नजर आते हैं।

हमेशा ऐसे नेता बने रहे जिस पर आंख मूंद कर भरोसा किया जा सके।

2004 के आम चुनाव के नतीजे आने के बाद सोनिया गांधी के विदेशी मूल का मुद्दा दोबारा जोर-शोर से उछाला गया और भारतीय जनता पार्टी नेता सुषमा स्वराज और उमा भारती विरोध में सबसे आगे नजर आया रही थी बीजेपी मानती है कि उसके नेताओं की विरोध के चलते ही सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री न बनने का फैसला किया होगा लेकिन कांग्रेस नेता नटवर सिंह अपनी आत्मकथा में अलग ही किसे सुनाया है।

पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह लिखते हैं 17 में 2004 को दोपहर के लगभग 2:00 बजे 10 जनपद पहुंचे तो अंदर बुलाया गया कमरे में सोनिया गांधी सोफे पर बैठी थी वह काफी परेशान नजर आ रही थी मनमोहन सिंह और प्रियंका गांधी वाड्रा भी वहां मौजूद थे तभी राहुल गांधी वहां आए राहुल गांधी सीधे सोनिया गांधी से बोले आपको प्रधानमंत्री नहीं बना है मेरे पिता की हत्या कर दी गई दादी की हत्या कर दी गई 6 महीने में आपको भी मार देंगे।

सोनिया गांधी के सामने दो नाम प्रणब मुखर्जी और मनमोहन सिंह दोनों एक से बढ़कर एक काबिल दोनों ही अपनी अपनी खासियत और अनुभव था।

पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा से अपनी किताब में यह बात भी साफ कर दी है ओबामा लिखते हैं सोनिया गांधी ने मनमोहन सिंह को इसलिए प्रधानमंत्री बनाया था क्योंकि उन्हें मनमोहन सिंह से कोई खतरा महसूस नहीं हो रहा था।

सोनिया गांधी को कभी भी महसूस नहीं होने दिया की सरकार की कमान उनके हाथ में नहीं है।

सिर्फ न्यूक्लियर डील के वक्त का वाक्य छोड़ दे तो एक बार भी ऐसा मौका नहीं दिखाई देता जब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने खुलकर विरोध जताया हो न्यूक्लियर डील के दौरान वह सोनिया गांधी से मतभेदों के चलते वह इस्तीफा देने को तैयार थे।

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Neyaz Ahmad

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