Bihari Tarzan Raja Yadav: ‘बिहारी टार्जन’ का ओलंपिक सपना और सरकार से उम्मीदें
बिहार के बगहा जिले के राजापाकर गांव के रहने वाले राजा यादव, जिन्हें लोग ‘बिहारी टार्जन’ के नाम से जानते हैं, इन दिनों सोशल मीडिया पर खूब सुर्खियां बटोर रहे हैं। उनकी फिटनेस और दौड़ने की अद्वितीय क्षमता ने उन्हें बिहार का स्थानीय हीरो बना दिया है। राजा का सपना है कि वे ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करें और देश के लिए स्वर्ण पदक जीतें। इस सपने को लेकर राजा ने बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और खेल मंत्री सुरेंद्र मेहता से हाल ही में मुलाकात की।
राजा यादव का संघर्ष और सपने
राजा यादव का कहना है कि वे पिछले 10 सालों से ओलंपिक में 100 मीटर दौड़ में अपना स्थान बनाने के लिए लगातार मेहनत कर रहे हैं। उनके पास आधुनिक उपकरण या सुविधाएं नहीं हैं, इसलिए वे देसी तरीकों का सहारा लेकर ही अपनी ट्रेनिंग कर रहे हैं। टायर और पत्थर के टुकड़ों से वे गांव में ही अभ्यास करते हैं। अपने खान-पान में भी विशेष ध्यान देकर वे खुद को फिट रखते हैं, ताकि उनका प्रदर्शन किसी तरह प्रभावित न हो।
राजा का कहना है कि अन्य राज्यों में खिलाड़ियों को सुविधाएं मिलती हैं, लेकिन बिहार में अभी भी खेल के क्षेत्र में पर्याप्त संसाधनों का अभाव है। राजा का मानना है कि यदि बिहार के खिलाड़ियों को भी सुविधाएं मिलें, तो वे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बिहार का नाम रोशन कर सकते हैं। राजा की चाहत है कि सरकार उनकी स्थिति को समझे और अन्य गांव के खिलाड़ियों को भी आगे बढ़ने का मौका दे।
Bihari Tarzan Raja Yadav बिहारी टार्जन’ बनने की कहानी
राजा यादव का कहना है कि उन्हें ‘बिहारी टार्जन’ कहा जाना उनके लिए गर्व की बात है। यह नाम उनकी फिटनेस और साहस के कारण लोगों ने उन्हें दिया है। राजा की परिवारिक पृष्ठभूमि पहलवानी की रही है। उनके दादा और पिता दोनों पहलवान रहे हैं, लेकिन सुविधाओं की कमी के चलते वे केवल गांव तक ही सीमित रह गए। राजा यादव को भी पहलवानी विरासत में मिली है, लेकिन वे इससे भी आगे बढ़कर ओलंपिक में देश के लिए खेलने का सपना देख रहे हैं।
राजा यादव की सरकार से अपील
राजा यादव ने उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और खेल मंत्री सुरेंद्र मेहता से मिलने के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि वे बिहार के बच्चों को भी वही सुविधाएं मिलते देखना चाहते हैं, जो अन्य राज्यों के खिलाड़ियों को मिलती हैं। राजा ने कहा, “हमारे बिहार के युवाओं में भी काबिलियत है, लेकिन हमारे राज्य में खेल सुविधाओं की कमी है। अगर हमें भी अच्छे अभ्यास और ट्रेनिंग के अवसर मिलें तो हम भी ओलंपिक जैसे बड़े मंच पर अपना हुनर दिखा सकते हैं।”
उन्होंने यह भी कहा कि उनके जैसे सैकड़ों युवा गांवों में हैं जो खेल में भविष्य बनाने का सपना देखते हैं, लेकिन सुविधाओं के अभाव में वे उस स्तर तक नहीं पहुंच पाते। राजा ने सरकार से आग्रह किया कि यदि उन्हें और अन्य खिलाड़ियों को आवश्यक संसाधन और सुविधाएं मिलें, तो वे न केवल अपने सपनों को पूरा कर सकते हैं बल्कि देश का नाम भी रौशन कर सकते हैं।
विधायक राम सिंह का समर्थन
राजा यादव के साथ इस मुलाकात में बगहा विधानसभा के बीजेपी विधायक राम सिंह भी मौजूद थे। उन्होंने राजा की काबिलियत पर जोर देते हुए कहा कि राजा में प्रतिभा की कमी नहीं है, लेकिन उसे वह संसाधन और सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं जो एक खिलाड़ी को ऊंचे स्तर पर पहुंचने के लिए चाहिए। राम सिंह ने कहा कि वे राजा को खेल मंत्री सुरेंद्र मेहता और उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी के पास लेकर आए थे ताकि उनकी स्थिति को समझा जा सके और उन्हें मदद मिल सके।
राम सिंह ने यह भी बताया कि मुख्यमंत्री से मिलने के लिए भी समय मांगा गया है और अगले महीने 23 नवंबर को राजा को मुख्यमंत्री से मिलवाने का प्रयास करेंगे, ताकि उनकी मांगों को सरकार तक पहुंचाया जा सके और उन्हें सुविधाएं उपलब्ध कराई जा सकें।
राजा यादव का ओलंपिक का लक्ष्य
राजा यादव का मुख्य उद्देश्य ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करना है। उन्होंने देसी जुगाड़ से अपनी ट्रेनिंग जारी रखी है और अपनी फिटनेस को बनाए रखने के लिए शुद्ध खान-पान और नियमित अभ्यास पर ध्यान दिया है। राजा का कहना है कि अगर उन्हें उचित उपकरण और ट्रेनिंग का मौका मिले, तो वे न केवल ओलंपिक में भाग लेने का सपना पूरा कर सकते हैं बल्कि गोल्ड मेडल भी जीत सकते हैं।
राजा यादव की कहानी यह दिखाती है कि मेहनत और जुनून से किसी भी लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है, लेकिन सुविधाओं की कमी से रास्ता कठिन हो सकता है। उम्मीद है कि बिहार सरकार उनकी मदद के लिए आगे आएगी और इस ‘बिहारी टार्जन’ का ओलंपिक का सपना साकार हो सकेगा।