Heatstroke: वर्तमान में देश के कई राज्यों में भीषण गर्मी से सभी परेशान हैं। तेज गर्म हवाओं ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है, और एसी-कूलर तक बेअसर साबित हो रहे हैं। कई क्षेत्रों में तापमान 45 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है। दिल्ली समेत विभिन्न राज्यों के अस्पतालों में हीट स्ट्रोक के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल के डॉ. रितेश गुप्ता के अनुसार, हीट स्ट्रोक तब होता है जब शरीर अपने बढ़ते तापमान को नियंत्रित नहीं कर पाता और ठंडा करने के लिए पसीने का तंत्र विफल हो जाता है। ऐसे में विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है। आइए जानें कि हीट स्ट्रोक क्या है, इसके लक्षण क्या हैं, और इससे बचने के घरेलू उपाय क्या हैं।
हीट स्ट्रोक क्या होता है?Heatstroke:
हीट स्ट्रोक, जिसे आम भाषा में ‘लू लगना’ कहते हैं, एक गंभीर स्थिति है जो तब होती है जब शरीर अपना तापमान नियंत्रित नहीं कर पाता। इस स्थिति में शरीर का तापमान तेजी से बढ़ता है और सामान्य स्तर पर वापस नहीं आ पाता। हीट स्ट्रोक के दौरान शरीर का पसीना तंत्र (स्वेटिंग मैकेनिज्म) फेल हो जाता है, जिससे पसीना आना बंद हो जाता है। इसके परिणामस्वरूप, शरीर का तापमान 10 से 15 मिनट के भीतर 106°F (41°C) या इससे अधिक हो सकता है। यदि समय पर उपचार नहीं हुआ, तो इससे गंभीर जटिलताएं हो सकती हैं, जैसे अंगों का फेल होना या मृत्यु।
हीट स्ट्रोक के लक्षण
हीट स्ट्रोक के लक्षणों को पहचानना महत्वपूर्ण है क्योंकि समय पर उपचार से गंभीर परिणामों को रोका जा सकता है। हीट स्ट्रोक के आम लक्षणों में शामिल हैं:
- सिर दर्द: तीव्र और थकाने वाला सिर दर्द।
- तेज बुखार: शरीर का तापमान 104°F (40°C) या उससे अधिक हो जाना।
- बेहोशी: होश खोना या चक्कर आना।
- मानसिक स्थिति में बदलाव: भ्रम, चिड़चिड़ापन, या उलझन।
- मतली और उल्टी: पेट में असहजता और उल्टी का अनुभव।
- त्वचा का लाल होना: चेहरे और शरीर की त्वचा का लाल होना।
- हार्ट रेट बढ़ना: हृदय गति का असामान्य रूप से तेज होना।
- त्वचा का सूखा और नर्म होना: पसीना न आना और त्वचा का सूखापन।
- डिमेंशिया: मानसिक स्थिति में अत्यधिक गिरावट।
हीट स्ट्रोक के लक्षणों को पहचानना उपचार के लिए पहला कदम है, जिससे इस गंभीर स्थिति को समय रहते संभाला जा सकता है।
हीट स्ट्रोक के कारण
हीट स्ट्रोक कई कारणों से हो सकता है, जिनमें निम्नलिखित प्रमुख हैं:
- अत्यधिक गर्म स्थान पर लंबे समय तक रहना: तेज धूप या उच्च तापमान वाले वातावरण में अधिक समय बिताना हीट स्ट्रोक का सामान्य कारण है।
- ठंडे मौसम से गर्म जगह पर जाना: ठंडे मौसम से अचानक गर्म क्षेत्र में जाने पर शरीर को अनुकूल होने में कठिनाई होती है, जिससे हीट स्ट्रोक का जोखिम बढ़ जाता है।
- गर्म मौसम में अधिक व्यायाम करना: गर्मी के दौरान अत्यधिक शारीरिक गतिविधि करना शरीर को ओवरहीट कर सकता है।
- निर्जलीकरण: गर्मी में अत्यधिक पसीना आने के बाद पर्याप्त पानी न पीने से शरीर की हाइड्रेशन संतुलन बिगड़ जाती है, जिससे हीट स्ट्रोक का खतरा बढ़ता है।
- अधिक शराब का सेवन: अत्यधिक शराब का सेवन शरीर की तापमान नियंत्रित करने की क्षमता को प्रभावित करता है, जिससे हीट स्ट्रोक हो सकता है।
- अनुपयुक्त कपड़े पहनना: ऐसे कपड़े पहनना जो पसीने और हवा को पास नहीं होने देते, शरीर को ठंडा नहीं रख पाते और हीट स्ट्रोक का जोखिम बढ़ा सकते हैं।
हीट-स्ट्रोक का प्रारंभिक उपचार
यदि किसी को हीट-स्ट्रोक हो गया है, तो निम्नलिखित प्रारंभिक उपाय को तुरंत अपनाया जा सकता है, लेकिन यह ध्यान दें कि प्रारंभिक उपायों को अपनाने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
- धूप में न रखें: व्यक्ति को धूप में नहीं रखें।
- कपड़ों की मोटी लेयर हटाएं: व्यक्ति की कपड़ों की मोटी लेयर हटा दें और हवा लगने दें।
- कूलर या पंखे के पास बैठाएं: शरीर को ठंडक पहुंचाने के लिए कूलर या पंखे के पास बैठाएं।
- ठंडे पानी से नहलाएं: ठंडे पानी से नहलाएं और शरीर को ठंडे पानी के कपड़े से पोछें।
- आइस पैक या ठंडे पानी से गीले कपड़े रखें: सिर पर आइस पैक या कपड़े को ठंडे पानी से गीला करके रखें और ठंडे पानी में भीगे तौलिये को सिर, गर्दन, बगल और कमर पर रखें।
इन उपायों को अपनाने से पहले डॉक्टर से सलाह लें और उपचार के लिए अपनी स्थिति को अवलोकित करें।
(Disclaimer: इन प्रारंभिक उपायों को हीट-स्ट्रोक से राहत पाने के लिए अपना सकते हैं, लेकिन इन्हें अपनाने से पहले डॉक्टर से सलाह लेना सुनिश्चित करें।)
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