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Important Parenting Tips For Parents : बच्चों से ये बातें कभी न कहें।

बच्चों के भविष्य की नींव आज आप ही बना रहे हैं। सकारात्मक माहौल में पले-बढ़े बच्चे ही खुशहाल, आत्मविश्वासी और सफल इंसान बनते हैं।

Important Parenting Tips For Parents : बच्चों से ये बातें कभी न कहें।
बच्चों का मेंटल और इमोशनल डेवलपमेंट बहुत हद तक इस पर निर्भर करता है कि उन्हें कैसे और क्या बोला जाता है। माता-पिता का व्यवहार और उनकी बातें बच्चों पर गहरा असर डालती हैं। इसलिए, यह जानना ज़रूरी है कि किन बातों से बचना चाहिए। यहां कुछ खास बातें दी गई हैं जो अभिभावकों को अपने बच्चों से कभी नहीं कहनी चाहिए।

1. “तुमसे कोई काम सही से नहीं होता।”
ये एक डायलॉग बच्चे का आत्मविश्वास पूरी तरह से हिला देने में सक्षम है। अगर बच्चे को बार-बार सुनना पड़े कि वह कभी कुछ सही नहीं कर सकता तो वह अपने आप को अयोग्य समझने लगता है, ऐसे में बच्चा खुद को कम समझने लगता है। जो उसके मानसिक विकास के लिए काफी खतरनाक साबित हो सकता है।

2. “तुम अपने भाई/बहन जैसे बनो।”
जितना हमें लगता है उससे कहीं ज्यादा बुरा ये एक वाक्य आपके बच्चों के लिए साबित हो सकता है। कंपैरिजन करना बच्चों के दिमाग में इनसिक्योरिटी और जलन के भाव को पैदा करता है। हर बच्चा अपने आप में अलग होता है और उसकी क्षमता भी अलग होती है। ऐसा कहने से हम बच्चों की यूनीकनेस को दरकिनार कर रहे होते हैं।

3. “तुम्हें तो कुछ आता ही नहीं है।”
ऐसी बातें बच्चे की एबिलिटी पर क्वेश्चन मार्क लगाने का काम करता हैं जिससे उसे असफलता और हार जाने का डर सताने लगता है। जिससे बच्चे का कॉन्फिडेंस कम होता है और वो नई चीज़ें सीखने से जी चुराने लगता है।

4. “तुम्हारी वजह से मुझे शर्म आती है।”
यह बात बच्चे को निराश और उत्साहहीन करती है। जिससे वो खुद को कसूरवार मानने लगता है। और अपने आप में हीन महसूस करता है। इससे बच्चे की मेंटल हेल्थ पर बुरा असर पड़ सकता है।

5.  “तुम्हारे ऊपर हमेशा कोई ना कोई मुसीबत मंडराती रहती है।”
बच्चे को इस तरह की बातें बोलना उन पर एक तरीके से इस बात का टैग लगाने का काम करता है। जिससे उसकी नकारात्मक छवि बन जाती है। और फिर वो खुद को ही हीन भावना से देखने लगता है। उसे लगने लगता है कि वो तो हमेशा ही गलतियां करता है और फिर ये एक आदत में तब्दील हो सकती है।

6. “तुमसे तो कुछ उम्मीद करना ही गलत है।”
ये एक बात बच्चे को ये सोचने पर मजबूर कर देता है की उसकी तो कोई वैल्यू ही नहीं है। बच्चे के अंदर यह भावना उठ सकती है कि उसकी तो कोई कदर हो नहीं है। इससे उसकी प्रेरणा और आत्म-सम्मान पर गहरा आघात पहुँचता है।

7. “तुम्हें कुछ समझ में क्यों नहीं आता?”
बच्चे को कहना की उसे कुछ समझ नहीं आता, ये एक बात उसे अपनी समझ और दिमाग पर संदेह करने के लिए काफ़ी होता है। जिससे उसकी लर्निंग कैपेसिटी पर असर पड़ता है।

8. “कितने आलसी हो तुम।”
बच्चों को आलसी कहना भर ही, काम करने की उनकी इच्छा शक्ति को कम कर सकता है। एक ही बात बार-बार सुनने से बच्चा उस बात को सच मान सकता है। इसके बजाय, बच्चो का प्रोत्साहन बढ़ाने वाले शब्दों का प्रयोग करें।

9. “तुम्हारे पास तो दिमाग ही नहीं है।”
बच्चों को इस तरह की बातें कहने से उसका आत्मविश्वास पूरी तरह डगमगा सकता है। ऐसे में वो सच में ये सोचने पर मजबूर हो जाते हैं की उनका दिमाग कमज़ोर है, और वे अपने साथ के बच्चो से काफी पीछे हैं। इन सबके बजाए अभिभावक उनकी योग्यता को पहचान कर उसे स्वीकारें और बच्चों को बेहतर बनने के लिए प्रोत्साहित करें। न की उनके अंदर हीन भावना का बीज बोने का काम करें।

10. “तुमसे तो हमेशा ही गलतियाँ होती है।”
बच्चों से यह कहना कि वे हमेशा गलतियाँ करते हैं। ये बात उनकी सेल्फ रिस्पेक्ट को चोट पहुँचाता है। उन्हें समझाएं कि गलतियाँ जीवन का हिस्सा हैं उन गलतियों से सीखते रहना ही जीवन है। उन्हें बताएं कि गलतियां ही एक इंसान की सबसे अच्छी टीचर होती है, उससे डरे नहीं। और आगे बढ़ते रहें।

11. “मुझे तुमसे नफरत है।”
अपने बच्चे से इस तरह की बातें कहना बहुत ही गलत है। ये उसके मन में गहरे घाव छोड़ सकता है। फ़िर चाहे वो कितना भी बड़ा क्यों न हो जाए ये बातें उसके दिल पर गहरा घाव कर जाती हैं। इसलिए उन्हें प्यार और समझ से सही राह दिखाएं।

12. “तुम्हें कोई पसंद नहीं करता।”
ये एक डायलॉग बच्चों को बाहर की दुनिया से अलग-थलग कर सकता है। और हो सकता है की उसे बाहर की दुनिया में कोई दिलचस्पी न रहें जिसके चलते उसे घुलने मिलने में दिक्कत हो। इसलिए बच्चों को प्यार से समझाएं कि वे प्यार और सम्मान दोनो के ही हकदार हैं।

13. “तुम्हारी ही वजह से सब खराब हो गया।”
बच्चों को किसी भी समस्या की वजह मानना उन्हें गहरे डिप्रेशन का शिकार बना सकता है। इसलिए गलतियों का ठीकरा उनके सर न फोड़े। समस्याओं को सुलझाने का तरीका सिखाएं, न कि उन्हें दोष दें।

14. “तुम पागल हो।”
बच्चों को पागल कहना उनकी मेंटल एबिलिटी पर सीधे सीधे सवाल खडा करना है। ऐसे में बच्चा खुद को कम आंकने लगता है। उनके गुणों को पहचानें और उसमे ही आगे बढ़ने के लिए उनकी हौसला अफजाई करें।

15. “तुम्हारे अंदर कोई खासियत नहीं है।”
बस इस एक वाक्य से ही बच्चे खुद पर डाउट करने लग जाते हैं। बस यह एक वाक्य ही बच्चों को उनपर और उनकी काबिलियतो पर संसय करने पर मजबूर कर सकती है। बच्चों की काबिलियतों को पहचाने और उसमें बेहतर करने में मदद करे।

16. “तुम्हारी इन हरकतों के चलते तुम्हें जिंदगी में कुछ नहीं मिलेगा।”
इस तरह की नकारात्मक भविष्यवाणी बच्चों के मनोबल को गिरा सकती है। उन्हें सिखाएं कि मेहनत और प्रयास से सब कुछ संभव है।

17. “तुम्हें मेरी बात समझ में नहीं आती।”
बच्चों को यह कहना कि वे आपकी बात नहीं समझते, उन्हें हीन महसूस करा सकता है। बातों को आसान भाषा में समझाएं।

18. “तुम हमेशा झूठ बोलते हो।”
बच्चों को झूठा कहना उन्हें और ज्यादा झूठ बोलने के लिए उकसा सकता है। उन्हें सत्य और ईमानदारी का महत्व सिखाएं।

19. “तुम्हें ऐसा करने की परमिशन नहीं है।”
बिना सही वजह बताए किसी चीज़ पर प्रतिबंध लगाना बच्चों को विद्रोह के लिए प्रेरित कर सकता है। उन्हें कारण बताएं और समझाएं। एकदम से कोई बात इनपर थोपे नहीं।

20. “तुम कभी नहीं बदल सकते।”
बच्चों को ये कहना कि वे कभी नहीं बदल सकते, उनकी सुधार की संभावना को खत्म कर सकता है। बच्चों को सुधार और विकास के लिए प्रेरित करें।

पॉजिटिव अप्रोच अपनाएं
बच्चों से बात करते समय सकारात्मक और प्रेरणादायक भाषा का उपयोग करें। उनकी कोशिशों को एप्रिशिएट करें, गलतियों से सीखने का मौका दें और उनका आत्मविश्वास बढ़ाने में मदद करें।आपके शब्द बच्चों की मेंटल और इमोशनल डेवलपमेंट में खास भूमिका निभाते हैं। इसलिए, सोच-समझकर और संवेदनशीलता से बात करें।

याद रहे, बच्चों के भविष्य की नींव आज आप ही बना रहे हैं। सकारात्मक माहौल में पले-बढ़े बच्चे ही खुशहाल, आत्मविश्वासी और सफल इंसान बनते हैं। इसलिए, ध्यान रहे कि आपके शब्द और व्यवहार बच्चों के जीवन पर गहरा प्रभाव डालते हैं।

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