भारत के सबसे Haunted Place की यानी की सबसे भूतिया जगह की
Bhangarh Fort in Hindi : एक खौफनाक खंडहर जहां सदियों का इतिहास वो झटपटा रहा है और घुटन की चारदीवारी में एक अनमोल विरासत का दम घुट रहा है. हम बात कर रहे हैं भारत के सबसे भूतिया जगह भानगढ़ किले (Bhangarh Fort) की।
तो हमारे भारत के Haunted Place की जब भी बात होती है तो उसमे Bhangarh Kila का नाम सबसे उप्पर आता है। राजस्थान में मौजूद इस 500 साल पुराने किले का लोगों मे कुछ ऐसा खतरनाक खोफ है की यहाँ पर लोग रात तो रात, दिन में जाने से भी कतराते हैं और यहा तक की इतना ही नहीं कहा जाता है की रात के समय में जो कोई भी इस किले में जाता है वो फिर कभी भी वापस लौट कर नहीं आ पाता है।
इस लिए सरकार ने भी खुद वहाँ पर बोर्ड लगा कर रात के समय इस किले में जाने से रोक लगाई हुई है। आप भी अगर इन सब बातों के बारे में जानने के लिए बेहद जिज्ञासा रखते है
क्या हैं पूरी कहानी
तो आज हम आपको एक बात बताते हैं जिसे सुनके आपके भी रोंगटे खड़े होने वाले हैं जिसके बारे मे आज तक आपको पता ही नहीं होगा Bhangarh Fort में अगर आप जाएंगे तो किले में पीछे की तरफ जंगलों में एक रास्ता जाता है जहां पर बहुत काम लोग ही जाते हैं वहाँ पर खाली एक दीवार की मस्जिद बनी हुई है बस एक दीवार है और उसके अंदर मस्जिद की नाक्षी की हुई है मतलब जो लोग कैमरा पर जाते हैं वो आपको बाहर बाहर से फोर्ट को दिखा देंगे. लेकिन जब आप वहाँ से उस जंगल में पैदल चलना शुरू करते हैं।
उस जंगल का नाम है Sariska Forest
सरिस्का जंगल की तरफ दो तीन किलोमीटर आप चलेंगे तब आपको दिखाई देगी एक सिंगल दीवार की बनी हुई एक मस्जिद। जहां के बारे मे ये मान्यता है की वहाँ पर आज भी जिन्नात आकार नमाज पढ़ के जाता है मतलब उस जगह पर जिन्नात आ के नवाज पढ़ते है और बृहस्पतिवार की रात तो वो आते ही आते है जुम्मे की नवाज अदा करके जाते है।
बताया जाता है उसकी Height भी सात/साढ़े सात फूट की है। ऐसी कई बाते हैं जिन्हे सुनके आज भी रोंगटे खड़े हो जाते है। कहते हैं करीब 300 साल पहले एक श्राप की वजह से पूरा भानगढ़ तबाह हो गया था आइए जानते हैं तो फिर Bhangarh के इस किले का इतिहास क्या है ? ओर आखिर क्यों ये इतना ज्यादा खौफनाक और भूतिया माना जाता है ।
क्या हैं Bhangarh का किला इतिहास
राजस्थान के अलवर जिले में भानगढ़ नाम के गांव में एक किला है जिसे भानगढ़ का किला कहा जाता है. आज से करीब 500 साल पहले जब 1573 में आमेर के भगवंत दास ने अपने पुत्र माधोसिंह के लिए भानगढ़ का यह किला बनवाया था और Bhangarh नामक इस शहर को बसाया गया था. इस किले का नाम भान सिंह के नाम पर रखा गया जो माधो सिंह के पिता थे. भानगढ़ का किला तीन तरफ से पहाड़ियों से घिरा हुआ है.
इस किले की भूतिया कहानियों का खौफ इतना है कि सरकारी निर्देशानुसार सूर्यास्त होने के बाद इस किले में किसी भी व्यक्ति के जाने पर रोक लगाई हुई है। कहते हैं करीब 300 साल पहले एक श्राप से पूरा भानगढ़ जो है वो तबाह हो गया था।
भानगढ़ के किले में वहां की एक बेहद खूबसूरत राजकुमारी रहा करती थी जिसका नाम रत्नावती था. रत्नावती आसपास के राज्यों में सबसे खूबसूरत महिला के रूप में जानी जाती थी।
एक दिन की बात है कि राजकुमारी रत्नावती अपनी सहेलियों के साथ Bhangarh के बाजार में घूमने के लिए निकली. वह पूरे बाजार में घूम रही थी।
राजकुमारी को इत्र बहुत पसंद था इसलिए वह तरह तरह के इत्र देख रही थी. वहाँ उन इत्र की शीशी खुली हुई थी जिस वजह से खुशबू वहाँ पर फैली हुई थी. लेकिन वही थोड़ी ही दूर पर एक व्यक्ति उनकी खूबसूरती में खोया हुआ था. उस व्यक्ति का नाम था सिंधिया सेवड़ा। वह राजकुमारी को एकटक निगाहों से देखे ही जा रहा था मानो की उसने किसी अप्सरा को देख लिया हो. वह उस समय का बहुत ही बड़ा तांत्रिक भी कहा जाता था ।
कैसे किया काला जादू
जो कि अपने काले जादू से किसी को भी अपने वश में कर सकता था. उसके बाद जब राजकुमारी ने इत्र खरीद लिया.. और दुकान वाले से कहा कि यह इत्र उनके महल में भिजवा दिया जाए. इतना कहकर वह अपनी सहेलियों के साथ महल की तरफ जाने लगी लेकिन तभी इसी बीच वह तांत्रिक भी वही खड़ा हुआ था. लेकिन राजकुमारी ने उसकी तरफ कोई नहीं ध्यान भी नहीं दिया। जिस वजह से तांत्रिक को बहुत ही गुस्सा आ गया।
तांत्रिक सिंधिया सेवड़ा ने राजकुमारी रत्नावती को पाने के लिए एक योजना बनाई. उसने इत्र की दुकान पर जाकर इत्र की शीशी पर काला जादू कर दिया जिसको राजकुमारी रत्नावती ने नहीं खरीदा था. यह एक तरह का वशीकरण मंत्र था जो उसने उस इत्र की शीशी पर किया था।
जिससे जो भी उस शीशी के इत्र को लगाता वह उस तांत्रिक की ओर खिचा चला आता. उसके बाद राजकुमारी रत्नावती को इस बात का पता चलता है । उन्होंने उस इत्र की शीशी को मंगाया और एक चट्टान के ऊपर फेक के मारा जिससे पूरा इत्र उस चट्टान के ऊपर बिखर गया. और वह चट्टान लुढ़कते हुए तांत्रिक के ऊपर जा गिरी जिससे उसकी मृत्यु हो गई.
लेकिन तांत्रिक ने मरते-मरते पूरे भानगढ़ को श्राप दे दिया कि कुछ ही दिनों में पूरा भानगढ़ तहेश नहेश हो जाएगा यहां के सभी लोग मारे जाएंगे. तभी कुछ ऐसा होता है किसी कारण से कुछ ही महीनों बाद भानगढ़ और अजबगढ़ राज्य में युद्ध छिड़ता है . जिस युद्ध में वहां के सभी व्यक्ति मारे जाते हैं और इसमें राजकुमारी रत्नावती की भी मृत्यु हो जाती हैं।
और कुछ ही समय में पूरा भानगढ़ सुनसान हो गया था , कहते हैं कि वहां पर मारे गए लोगों की आत्माएं आज भी भटकती हैं. इसीलिए भानगढ़ किले को भुतहा किला भी कहा जाता है . इतना ही नहीं कहा जाता है कि भानगढ़ किले के गलियारों में इंसानी आवाजें आज भी सुनाई देती हैं. जो नृतका हवेली में नृत्य किया करती थी उनके घुंघरू की आवाजे आज भी वहाँ पर सुनाइ देती हैं।
वैसे ये सारी जानकारी इन्टरनेट पर उपलब्द हैं आप खुद भी इस्पे और अधिक जानकारी ले सकती हैं हमारे द्वारा दिये गए जानकारी इन्टरनेट और कुछ दस्तावेज पर बनी हुई हैं तो यह था भानगढ़ किले का इतिहास। इस लिए इसको इतना खोफनाक माना जाता है।
इसे भी पढ़ें: भगदड़ के बाद प्रयागराज से लोगों को निकालने के लिए चलेंगी 360 स्पेशल ट्रेनें