Srikanth Movie Review: श्रीकांत: दृष्टिहीन श्रीकांत के किरदार में राजकुमार ने खुद भूमिका निभाई है; इस फिल्म देख दया नहीं आएगी, सिर्फ प्रेरणा मिलेगी, इसके लिए डायरेक्टर को पूरे नंबर देना चाहिए
दृष्टिबाधित इंडियन इंडस्ट्रीलिस्ट श्रीकांत बोला की लाइफ पर फिल्म श्रीकांत आज 10 मई को रिलीज हुआ है आज हम फिल्म का रिव्यू लेकर आए हैं। बायोपिक इस फिल्म की लेंथ 2 Hr 2 Minute है।
Srikanth Movie Review : फिल्म की कहानी क्या है?
13 JULY, 1992 को आंध्र प्रदेश के मछलीपट्टनम में एक लड़के ‘श्रीकांत’ (राजकुमार राव) का जन्म होता है। घर में लड़के की किलकारी गूंजती है तो मां-बाप खुशी से फूले नहीं समाते। हालांकि, उन्हें एक धक्का तब लगता है, जब पता चलता है कि उनका बच्चा जन्म से अंधा है यानी वो देख नहीं सकता।
पर उनका बच्चा देख नहीं सकता, लेकिन मां-बाप उसकी शिक्षा में कोई कमी नहीं करते। दसवीं के बाद श्रीकांत साइंस सब्जेक्ट में एडमिशन लेना चाहता है, लेकिन ब्लाइंड (अंधा) होने की वजह से उसे एडमिशन नहीं मिलता। श्रीकांत अपनी टीचर (ज्योतिका) की मदद से ‘एजुकेशन सिस्टम’ पर केस कर देता है, इसमें उसे जीत भी मिलती है।
हालांकि, इसके बाद भी श्रीकांत की पढाई में परेशानियां कम नहीं हुई। नेत्रहीन (अंधे) होने की कारण से उसे ‘IIT’ में एडमिशन नहीं मिलती है।
श्रीकांत दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित संस्थान में से एक MIT, अमेरिका में अप्लाई करता है, जहां उसका नामांकन हो जाता है। वहां से लौटने के बाद श्रीकांत की लाइफ में क्या-क्या चुनौतियां आती हैं, कैसे वो खुद का बिजनेस (कारोबार) शुरू करता है, इसके लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी।
श्रीकांत फिल्म में स्टारकास्ट की एक्टिंग कैसी है?
इसमें कोई शक नहीं है कि ‘राजकुमार राव’ एक उम्दा व अच्छा एक्टर हैं। असल जिंदगी में एक नेत्रहीन कैसे बात करता है, आंखों की मूवमेंट कैसे रखता है, राजकुमार ने इसे बखूबी अच्छे से करा है। उनकी एक्टिंग टॉप क्लास है। टीचर के रोल में ज्योतिका का रोल बहुत संजीदा व पसंदीदार है।
फिल्म शैतान के बाद इसमें भी उनका रोल की तारीफ के लायक है। श्रीकांत की लव इंटरेस्ट के किरदार में अलाया एफ (Alaya F) काफी प्यारी लगी हैं। श्रीकांत के दोस्त में रोल में ‘शरद केलकर’ भी जमे हैं। मिसाइल मैन व पूर्व राष्ट्रपति “Dr. APJ Abdul Kalam” के रोल में जमील खान का काम भी काफी शानदार है।
डायरेक्शन कैसा है?
फिल्म का डायरेक्शन तुषार हीरानंदानी ने किया है। अमूमन देखा जाता है कि बायोपिक वाली फिल्मों में भावनात्मक दृश्य ज्यादा होते हैं, लेकिन यहां भावनाओ को थोपे नहीं गए हैं। फिल्म में संघर्ष तो दिखाया गया है, लेकिन बहुत पॉजिटिव अंदाज तरीके में।
फिल्म देखने के दौरान आपके अंदर ‘दया भाव’ से ज्यादा खुशी और “महसूस” होगी। तुषार हीरानंदानी ने मुख्य किरदारो को बिल्कुल रियल अंदाज में रखा है, वे किरदार का अलग साइड दिखाने में नहीं हिचके हैं। फिल्म के डायलॉग्स भी काफी दमदार हैं, इसके लिए डायलॉग राइटर को पूरे नंबर मिलने चाहिए।
पहला हाफ पुरे एंटरटेनिंग है, लेकिन दूसरे हाफ में कुछ सीन्स कहानी की रफ्तार को Slow कर देती हैं। हालांकि, क्लाइमैक्स के बाद आप अच्छा फील करके ही सिनेमा से निकलेंगे।
फिल्म में म्यूजिक कैसा है?
फिल्म “कयामत से कयामत तक” का गाने “पापा कहते हैं” को Re-Create किया गया है। फिल्म के अनुक्रम के हिसाब से यह गाना खूब जंचता है। और भी कुछ गाने हैं।
अंतिम फैसला, देखें या नहीं?
हमारे समाज में दिव्यांग जनों को लेकर एक राय है कि वे अपने जिंदगी में कुछ असाधारण कार्य नहीं कर सकते। यह फिल्म इस अवधारणा को बदलती है। फिल्म श्रीकांत का एक डायलॉग ये है कि : “हमारे चक्कर में मत फंसना, हम आपको बेच कर खा जाएंगे”।
इस डायलॉग से श्रीकांत यह बताना चाहते हैं कि नेत्रहीन (अंधे) होने के बावजूद वे किसी से कम नहीं हैं। यह फिल्म आपको प्रेरित करने वाली है, इसमें कोई संदेह नहीं है। इसके लिए आप सिनेमा का रुख बिल्कुल कर करना चाहिए।