Jhansi Medical College Fire Update: झांसी मेडिकल कॉलेज में भीषण आग, 10 नवजात शिशुओं की मौत
झांसी मेडिकल कॉलेज में आज सुबह एक भयंकर आग लगने से अस्पताल में अफरातफरी मच गई। यह आग एनआईसीयू (नियोनेटल इंटेन्सिव केयर यूनिट) में लगी, जिसमें 10 नवजात शिशुओं की जान चली गई। प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार, आग ऑक्सीजन कंसंट्रेटर में स्पार्किंग की वजह से लगी, जिससे पूरे वार्ड में धुंआ और आग फैल गई।
सीएम योगी ने मदद की घोषणा की
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस हादसे में मारे गए नवजातों के परिवारों के प्रति अपनी संवेदनाएं व्यक्त की हैं और प्रत्येक मृतक के परिवार को 5-5 लाख रुपये की वित्तीय सहायता देने की घोषणा की है। उन्होंने अधिकारियों को हादसे की गंभीरता से जांच करने के निर्देश दिए हैं।
जांच के लिए तीन कमेटियां बनाई जाएंगी
इस हादसे के कारणों का पता लगाने के लिए तीन जांच कमेटियों का गठन किया जाएगा। ये कमेटियां अस्पताल में हुई लापरवाही और आग लगने के कारणों की विस्तृत जांच करेंगी। इसके साथ ही अस्पताल के सुरक्षा प्रबंधों की भी जांच की जाएगी।
डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने किया दौरा
इस घटना के बाद उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक मौके पर पहुंचे और घटनास्थल का निरीक्षण किया। उन्होंने अस्पताल प्रशासन से पूरी जानकारी ली और घायलों के इलाज में किसी भी प्रकार की कमी नहीं होने की बात की।
यह हादसा झांसी मेडिकल कॉलेज की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़ा करता है, और इस मामले में दोषी पाए गए अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की उम्मीद जताई जा रही है।
झांसी मेडिकल कॉलेज में लगी भीषण आग: 10 नवजात की दुखद मौत
झांसी मेडिकल कॉलेज के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में शुक्रवार रात एक भयावह आग लगी, जिसमें कई परिवारों को गहरा दुख और शोक का सामना करना पड़ा। जब आग की शुरुआत हुई, उस समय एनआईसीयू में ऑक्सीजन ऑन थी। ऑक्सीजन ने आग को तुरंत पकड़ लिया और एक के बाद एक कई धमाके हुए, जिससे आग तेजी से फैल गई।
जांच और रेस्क्यू प्रयास
घटना की गंभीरता को देखते हुए झांसी के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने बताया कि आग लगने के तुरंत बाद एक वॉर्ड ब्यॉय ने अग्निशमन यंत्र (फायर एक्सटिंग्विशर) को चलाने का प्रयास किया, लेकिन वह नाकाफी साबित हुआ। फिर स्टाफ और स्थानीय लोगों ने मिलकर बच्चों को बचाने और आग पर काबू पाने के प्रयास किए। इस प्रयास में 39 बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया। हालांकि, इस भयंकर घटना में 10 नवजात बच्चों की दुखद मौत हो गई, जिनमें से 6 बच्चों की पहचान हो गई है जबकि 4 की अभी तक पहचान नहीं हो सकी है। 16 बच्चों का इलाज मेडिकल कॉलेज में चल रहा है, 4 बच्चे वात्सल्य हॉस्पिटल में, 3 बच्चे मातृत्व में और एक-एक बच्चा जिला अस्पताल और मऊरानीपुर स्वास्थ्य केन्द्र में भर्ती हैं। चार बच्चे अपने परिजनों के साथ घर लौट चुके हैं।
डीएनए टेस्ट और अन्य सहायता
डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने बताया कि जिन बच्चों की पहचान नहीं हो पाई है, उनके डीएनए टेस्ट कराए जाएंगे। कुछ परिजनों से संपर्क नहीं हो पा रहा है क्योंकि उनके मोबाइल फोन बंद हैं। स्थानीय स्तर पर उनके घर भेजकर बच्चों के बारे में जानकारी प्राप्त की जा रही है। मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य ने बताया कि जिन बच्चों को आग से बाहर निकाला गया है, वे सभी पूरी तरह सुरक्षित हैं और उनका उपचार जारी है। वे आग से नहीं झुलसे बल्कि अन्य बीमारियों से पीड़ित थे।
माता-पिता की तलाश जारी
मेडिकल कॉलेज के एनआईसीयू में जीवित निकाले गए 2 मासूमों के माता-पिता की तलाश की जा रही है। उनकी पहचान अब तक नहीं हो पाई है और मेडिकल कॉलेज प्रशासन तथा अन्य सोर्सों से उनके अभिभावकों को तलाशने का प्रयास जारी है।
सरकार का समर्थन और जांच
डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने कहा कि सरकार पीड़ित परिवारों के साथ खड़ी है। घटना के कारणों की तथ्यात्मक जांच सुनिश्चित की जाएगी। उन्होंने घटना के सभी पहलुओं की जांच के लिए तीन अलग-अलग कमेटियों के गठन की घोषणा की:
- शासन स्तर पर स्वास्थ्य विभाग की जांच जिसमें फायर ब्रिगेड के अधिकारी शामिल होंगे।
- जिला स्तर पर प्रशासनिक जांच।
- मजिस्ट्रियल जांच भी कराई जाएगी। मुख्यमंत्री ने डीआईजी और कमिश्नर से घटना की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट 12 घंटे में मांगी है ताकि आगे के कदम उठाए जा सकें।
आर्थिक सहायता
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मृत बच्चों के परिजनों को तत्काल 5-5 लाख रुपए की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है। इसके अलावा, जो बच्चे इस दुखद घटना में झुलसे हैं, उनके समुचित उपचार की व्यवस्था करने और उनके परिजनों को 50-50 हजार रुपए की वित्तीय सहायता देने की भी घोषणा की गई है।
अपडेट जारी रहेगा…