Air India Vistara Merger News: एयर इंडिया और विस्तारा का विलय: सिंगापुर एयरलाइंस को मिली एफडीआई मंजूरी, मर्जर की दिशा में बड़ा कदम
सिंगापुर एयरलाइंस को मिली भारत सरकार से मंजूरी, एयर इंडिया और विस्तारा का विलय जल्द होगा पूरा.
एयर इंडिया और विस्तारा के विलय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। सिंगापुर एयरलाइंस को भारत सरकार से एयर इंडिया में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) के लिए मंजूरी मिल गई है। इससे इस प्रस्तावित विलय को पूरा करने की राह और साफ हो गई है। यह मर्जर इस साल के अंत तक पूरा होने की संभावना है।
सिंगापुर एयरलाइंस ने शुक्रवार को कहा कि एफडीआई की मंजूरी मिलना, एंटी-ट्रस्ट और विलय नियंत्रण मंजूरी के साथ-साथ दूसरी सरकारी और रेगुलेटरी मंजूरी, विलय की दिशा में एक बड़ा कदम है। अब सिंगापुर एयरलाइंस और टाटा ग्रुप मिलकर विलय की समयसीमा को 31 अक्टूबर, 2024 से बढ़ाने पर विचार कर रहे हैं।
विलय की पूरी जानकारी
विलय का ऐलान
यह विलय नवंबर 2022 में घोषित किया गया था।
हिस्सेदारी
विलय के बाद, एयर इंडिया में, सिंगापुर एयरलाइंस की 25.1% हिस्सेदारी होगी। वहीं बात करें टाटा ग्रुप की तो उनके पास 73.8% हिस्सेदारी रहेगी। तो वहीँ SBICAP ट्रस्टी कंपनी के पास एयर इंडिया का 1.52% हिस्सा होगा।
पहले की मंजूरियां
मार्च में सिंगापुर की कंपटीशन एंड कंज्यूमर कमीशन ने इस विलय के लिए सशर्त मंजूरी दी थी, जून में NCLT ने हरी झंडी दी थी, और सितंबर 2023 में भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने मंजूरी दी थी।
बाजार पर असर
एयर इंडिया और विस्तारा मिलकर इंडिगो, स्पाइसजेट और अकासा एयर जैसे घरेलू प्रतिद्वंद्वियों को चुनौती देंगी। जुलाई 2024 में भारतीय एयरलाइंस ने 1.3 करोड़ यात्रियों को सेवाएं दीं, जो पिछले साल की तुलना में 7.3% की वृद्धि दर्शाता है। इंडिगो का भारतीय एविएशन मार्केट पर दबदबा अब भी कायम है, जिसकी बाजार हिस्सेदारी बढ़कर 62% हो गई है। एयर इंडिया की हिस्सेदारी घटकर 14.3% रह गई है, जबकि विस्तारा की हिस्सेदारी बढ़कर 10% हो गई है।
आगे की योजना
सिंगापुर एयरलाइंस ने कहा कि यह विलय सही दिशा में बढ़ रहा है और एफडीआई की मंजूरी मिलने से मर्जर की राह और आसान हो गई है। सिंगापुर एयरलाइंस और टाटा ग्रुप मिलकर इस मर्जर को दिसंबर 2024 तक पूरा करने की कोशिश करेंगे।
इस विलय के पूरा होने के बाद, एयर इंडिया दुनिया के सबसे बड़े एयरलाइन ग्रुप्स में शामिल हो जाएगी और इसका असर भारतीय और अंतरराष्ट्रीय एयरलाइन बाजार पर देखने को मिलेगा।