Oropouche virus: ओरोपाउच वायरस का नाम उस गाँव के नाम पर पड़ा है जहाँ 1955 में इसे पहली बार खोजा गया था, जो त्रिनिदाद और टोबैगो में स्थित है। इस साल अब तक 8,000 से अधिक मामले रिपोर्ट किए जा चुके हैं, जिनमें से अधिकांश दक्षिण अमेरिका में हैं, लेकिन यह नए क्षेत्रों में भी फैल रहा है, जिनमें अमेरिका और यूरोप के कुछ हिस्से शामिल हैं।
लक्षण और जोखिम
संक्रमित लोगों में से लगभग 60% को डेंगू या ज़ीका की तरह के लक्षण दिखते हैं, जैसे बुखार, ठंड लगना, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, और चकत्ते। दुर्लभ मामलों में, यह मस्तिष्कज्वर (मेनिंजाइटिस) या मस्तिष्कशोथ (एन्सेफलाइटिस) जैसी गंभीर स्थिति पैदा कर सकता है। वायरस मुख्य रूप से काटने वाले मिडज और मच्छरों के माध्यम से फैलता है।
फैलाव और सावधानियाँ
यह वायरस अमेज़न बेसिन में, विशेषकर वन क्षेत्र में, वन्य जीवों और कीड़ों के बीच फैलता है। जलवायु परिवर्तन और वनों की कटाई इसके फैलने की संभावना बढ़ा सकती है। हाल की महामारी में बोलिविया, ब्राजील, कोलंबिया, क्यूबा और पेरू में मामले सामने आए हैं। अमेरिका में स्थानीय प्रसारण का कोई प्रमाण नहीं है, लेकिन यात्रा से संबंधित मामले रिपोर्ट किए गए हैं। प्यूर्टो रिको और यूएस वर्जिन आइलैंड्स में स्थानीय प्रसारण का जोखिम अधिक हो सकता है।
अभी वर्तमान में क्या है स्थिति?
इस साल पहली बार ओरोपाउच वायरस से मौतें और गर्भवती महिलाओं से भ्रूण में संक्रमण की घटनाएँ सामने आई हैं, जिससे माइक्रोसेफाली जैसी गंभीर समस्याएँ उत्पन्न हुई हैं। शोधकर्ता अभी भी इस वायरस और इसके प्रभावों के बारे में जान रहे हैं।
कैसे कर सकते है इस वायरस से सुरक्षित
ओरोपाउच वायरस के लिए कोई वैक्सीन या विशेष उपचार उपलब्ध नहीं है। कीड़ों के काटने से बचना बहुत महत्वपूर्ण है: सुबह और शाम को बाहर जाने से बचें, सुरक्षात्मक कपड़े पहनें और प्रभावी मच्छर रोधी क्रीम का उपयोग करें। गर्भवती महिलाओं को प्रभावित क्षेत्रों की यात्रा से बचने की सलाह दी जाती है।
ALSO READ THIS: Mpox Outbreak Alert: केरल और तमिलनाडु में हाई अलर्ट, एयरपोर्ट पर कड़ी स्क्रीनिंग