Doctor Rape-Murder Case में पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार और कोलकाता पुलिस कई सवालों के घेरे में है। इस मामले में सरकार और पुलिस की कार्यशैली पर सुप्रीम कोर्ट की फटकार के साथ-साथ जनता का भी गुस्सा बढ़ता जा रहा है। यहाँ इस केस से जुड़ी कुछ प्रमुख गलतियाँ और विवादों की बातें सामने आई हैं:
1. मामला दबाने की कोशिश:
घटना के तुरंत बाद इसे आत्महत्या का मामला बताया गया, जबकि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से साफ हुआ कि डॉक्टर का रेप और हत्या हुआ था। पीड़िता के माता-पिता को भी कई घंटों तक बेटी के शव को देखने से रोका गया, और अंतिम संस्कार के लिए जल्दीबाजी में दबाव बनाया गया।
2. लीपापोती और मुआवजा विवाद:
पुलिस ने जांच में लापरवाही दिखाई। पीड़िता की डायरी का महत्वपूर्ण पन्ना गायब हो गया, जो शायद महत्वपूर्ण जानकारी दे सकता था। वहीं, ममता बनर्जी सरकार ने 10 लाख रुपये मुआवजे की घोषणा की, जिसे पीड़िता के पिता ने अपमान बताया।
3. सबूत नष्ट करने की कोशिश:
जिस सेमिनार हॉल में यह घटना हुई थी, वहाँ कुछ समय बाद चिनाई का काम शुरू करा दिया गया। इस कदम से यह संदेह हुआ कि सबूतों को नष्ट करने की कोशिश की गई।
4. प्रिंसिपल का प्रमोशन:
आरजी कर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल संदीप घोष, जिन्होंने इसे आत्महत्या बताया था, उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। उन्हें पद छोड़ने के बाद सीनियर पोस्ट पर नेशनल मेडिकल कॉलेज में तैनात कर दिया गया।
5. प्रदर्शन और पुलिस की नाकामी:
इस घटना के विरोध में हुए प्रदर्शनों के दौरान भीड़ ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज में तोड़फोड़ की, और पुलिस ने कोई सख्त कदम नहीं उठाया। पुलिस चुपचाप खड़ी रही और भीड़ को हंगामा करने दिया।
6. विरोध करने वालों पर एक्शन:
सरकार ने आलोचनाओं को दबाने की कोशिश की। मीडिया और सोशल मीडिया पर उठ रहे सवालों को रोकने के लिए कई लोगों पर कार्रवाई की गई। इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, पश्चिम बंगाल और अन्य राज्यों से 280 लोगों को नोटिस जारी किए गए, और कुछ को गिरफ्तार भी किया गया।
यह केस न केवल ममता बनर्जी सरकार और कोलकाता पुलिस के लिए चुनौती बना हुआ है, बल्कि पूरे देश में इस घटना ने गुस्सा और आक्रोश पैदा कर दिया है। मामले की जांच CBI द्वारा की जा रही है, और हर रोज़ नए खुलासे हो रहे हैं।